भागलपुर : आदमपुर स्थित बंगीय साहित्य परिषद में कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 158वीं जयंती पर कवि प्रणाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया. गुरुदेव के तैलचित्र पर माल्यार्पण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के बांग्ला विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डाॅ शर्मिला बागची ने कहा कि कविगुरु भागलपुर में आयोजित बंगीय साहित्य परिषद के अखिल भारतीय अधिवेशन की अध्यक्षता करने यहां पधारे थे और विश्वविद्यालय स्थित रवींद्र भवन में ठहरे थे.
आज तमाम भौतिक उन्नति के बावजूद मानव जीवन में जो असहजता, असंतोष व अराजकता दिखायी पड़ती है, वो लोगों के हृदय में ऊंचे मानवीय भावनाओं व संवेदनाओं के अभाव के कारण है. जनमानस में कालजयी साहित्यकारों व कवियों के साहित्य के प्रति रुचि के अभाव व फूहड़ अपसंस्कृति के व्यापक प्रचार के कारण मानव अपने वास्तविक कल्याण और आनंद के मार्ग से भटक गया है.
जीवन में प्रेम, त्याग व करुणा जैसे मौलिक सिद्धांतों की पुनर्स्थापना के द्वारा मानव जीवन फिर से सुंदर बनाया जा सकता है और इसमें रवींद्रनाथ का साहित्य काफी मददगार होगा. सचिव अंजन भट्टाचार्य ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि सन् 1905 में स्थापित बंगीय साहित्य परिषद की भागलपुर शाखा साहित्य का अलख जगाने का लगातार प्रयास करती रही है.
उन्होंने मांग की कि इस पुस्तकालय को सरकार द्वारा एक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए. इस मौके पर देवदास आचार्य, शंभुनाथ बसाक, सुजय सर्वाधिकारी, सुदीप घोष, रघुनाथ घोष, तनय घोष, अरुणांशु बनर्जी, प्रोज्ज्वल सान्याल, रजत दास, प्रशांत दास, स्नेहेश बागची, परिमल बनिक उपस्थित थे.