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भागलपुर : एक सप्ताह में पांच से ज्यादा कैंसर के रोगी, कैंसर सेंटर पर टिकी उम्मीद, फंड का इंतजार

भागलपुर : मायागंज अस्पताल में प्रत्येक सप्ताह पांच से ज्यादा कैंसर के मरीज विभिन्न विभागों में जांच कराने आते है. बीमारी की पुष्टि होते ही मरीज सीधे दूसरे राज्य इलाज कराने निकल जाते है. गंगा कोसी दियारा से सटे भाग में यह रोग तेजी से पांव पसार रहा है. वहीं पूर्वी बिहार के सबसे बड़े […]

भागलपुर : मायागंज अस्पताल में प्रत्येक सप्ताह पांच से ज्यादा कैंसर के मरीज विभिन्न विभागों में जांच कराने आते है. बीमारी की पुष्टि होते ही मरीज सीधे दूसरे राज्य इलाज कराने निकल जाते है. गंगा कोसी दियारा से सटे भाग में यह रोग तेजी से पांव पसार रहा है. वहीं पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में अब तक कैंसर रोग को लेकर उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि केंद्र सरकार ने यहां कैसर अस्पताल की मंजूरी दी है. इसका निर्माण कार्य जल्द आरंभ होगा.

प्रत्येक सप्ताह पांच लोग होते हैं मुंह के कैंसर के शिकार : मायागंज अस्पताल के दंत ओपीडी में सप्ताह में पांच से सात मरीज मुंह के कैंसर का शिकार होकर आते है. प्रारंभिक जांच उपरांत इनको बाहर बेहतर इलाज कराने के लिए सलाह दिया जाता है. वहीं कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ कुंदन कुमार कहते हैं कि जिले में कैंसर के रोगी बढ़ रहे है. दस में एक व्यक्ति इस रोग के शिकार हो रहे है. गुटका व खैनी के कारण जिले में ज्यादा रोगी इस रोग का शिकार हो रहे हैं.
रेडियोलॉजी में सप्ताह में पांच से ज्यादा मरीजों की होती है पहचान : मायागंज अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में सप्ताह में पांच से सात मरीज ऐसे मिलते हैं, जो कैंसर के प्रारंभिक अवस्था के शिकार हो चुके है. विभागाध्यक्ष डाॅ मुरारका कहते है सबसे ज्यादा मरीज की पहचान अल्ट्रासाउंड जांच से होती है. साथ ही सीटी स्कैन, एमआरआइ में भी कैसर की पहचान होती है. ज्यादातर कैसर गाल ब्लाडर व लिवर में होता है. रोग की पुष्टि होते ही मरीज सीधे पटना और महावीर संस्थान इलाज के लिए चले जाते है. 40 साल उम्र वाले व्यक्ति इसके ज्यादा प्रभावित हो रहे है.
कैसर का कारण
गुटखा, तंबाकू घंटों लगातार चबाने से गले का कैंसर,
कैसर का कारण
गुटखा, तंबाकू घंटों लगातार चबाने से गले का कैंसर
गोष्ठी का आयोजन : विश्व कैंसर दिवस के पूर्व संध्या पर सफाली युवा क्लब में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. क्लब अध्यक्ष डॉ फारुक अली ने कहा कि कैंसर रोग को लेकर जनजागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है. देश में मुंह के कैंसर रोगी ज्यादा पाये जाते है.
मायागंज अस्पताल में नहीं हैं कैंसर विभाग
मायागंज अस्पताल में कैंसर रोगी के इलाज के लिए अलग से कोई विभाग नहीं है. विभाग बन जाने से यहां कैसर रोग विशेषज्ञ की सेवा बहाल होगी. गरीब मरीजों को इलाज के लिए दूसरे प्रदेश नहीं जाना होगा. वहीं कैंसर रोग विभाग नहीं होने से यहां कैंसर रोगी की असल संख्या क्या है, इनका कैसे इलाज हो रहा है. जानकारी अस्पताल के पास पुख्ता नहीं है.
राज्य है तैयार, केंद्र को करनी है पहल
केंद्र सरकार कैंसर रोगी के लिए टर्शियरी कैंसर सेंटर खोलने जा रही है. इस पर केंद्र व राज्य सरकार के बीच करार भी हो गया है. इसके बाद अस्पताल अधीक्षक और मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने मायागंज अस्पताल में सेंटर निर्माण के लिए जमीन का भी चिह्नित कर लिया है. प्राचार्य ने सभी कागजात राज्य सरकार को पिछले दिनों सौंप दिया है. इसके बाद राज्य सरकार ने इसे केंद्र सरकार को भेज दिया है. अब सेंटर के लिए फंड निर्गत होने का इंतजार है.
कैसर के लक्षण : मुंह के अंदर या बाहर फोड़ा, जख्म का नहीं भरना, मुंह के अंदर या जीभ पर सफेद चकता होना, बलगम, शौच, पेसाब या गुप्तांग मार्ग से खून आना, स्तर में गांठ, चमड़े पर तिल या गांठ के आकार में अप्रत्याशित वृद्धि, अचानक आवाज बदल जाना, लंबे समय तक गले में खराश होना, खाना निगलने में परेशानी होना.
जागृति के लिए करें कार्यक्रम
विश्व कैंसर दिवस के मौके पर लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाने का निर्देश राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक लोकेश कुमार सिंह ने दिया है. कहा कि चार फरवरी को सभी सरकारी अस्पताल, पीएचसी में कार्यक्रम आयोजित हो. लोगों को कैंसर के कारण, लक्षण व बचाव के उपाय को बताया जाये. संदिग्ध मरीज मिलने पर आइजीआइएमएस पटना रेफर किया जाये. प्रचार-प्रसार के लिए रंगीन फ्लेक्स भी सभी जगह लगाया जाये. बच्चों के बीच चित्रकला प्रतियोगिता व वाद विवाद समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित किया जाये.

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