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भागलपुर : आयुक्त की जांच में हुआ खुलासा, भड़के कहा : करें कार्रवाई, वरना झेलें निलंबन

भागलपुर : संयुक्त भवन स्थित बंदोबस्त कार्यालय के दो कर्मी के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत पर जांच कर रहे कमिश्नर राजेश कुमार ने कहा, पिछले साल जून में बंदाेबस्त कार्यालय से नकली अभिलेख बनाने का खुलासा हुआ. इसकी जांच रिपोर्ट सितंबर में आयी. दो कर्मी चिह्नित भी हुए और अभी तक उनसे सिर्फ शोकॉज […]

भागलपुर : संयुक्त भवन स्थित बंदोबस्त कार्यालय के दो कर्मी के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत पर जांच कर रहे कमिश्नर राजेश कुमार ने कहा, पिछले साल जून में बंदाेबस्त कार्यालय से नकली अभिलेख बनाने का खुलासा हुआ. इसकी जांच रिपोर्ट सितंबर में आयी. दो कर्मी चिह्नित भी हुए और अभी तक उनसे सिर्फ शोकॉज हुआ. उक्त कर्मी भी तबादले के बाद चले गये.

यह क्या चल रहा है. सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी रघुवंश कुमार से पूछा कि आपके स्तर पर कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. उन्होंने निर्देश दिया कि जल्द से जल्द कानूनी कार्रवाई करें, नहीं तो कर देंगे आपको सस्पेंड.
उन्होंने फर्जी अभिलेख बनाने व जांच रिपोर्ट संबंधी फाइल को तत्काल कब्जे में ले लिया. संयुक्त भवन स्थित बंदोबस्त कार्यालय में गुरुवार को शाम 3.30 बजे कमिश्नर जांच करने पहुंच गये. बंदोबस्त कार्यालय में पदाधिकारी के चैंबर में ताला लगा था.
वहां की अव्यवस्था को देख कमिश्नर भड़क गये और सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी की जमकर क्लास ली. उनके जांच की कार्रवाई घंटे भर चली. ज्ञात हो कि प्रभात खबर ने 11 जून 2018 को बंदोबस्त कार्यालय में नकली अभिलेख (रिकॉर्ड) बनाने का खुलासा किया था. इसके बाद डीएम के निर्देश पर जांच शुरू हुई. जांच के दौरान आयुक्त बंदोबस्त कार्यालय के अभिलेखागार गये, जहां पर इनवेंट्री की धीमी रफ्तार पर भी बिफर पड़े.
बाेले, पिछले साल अगस्त से इनवेंट्री बनाने का काम हो रहा है, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है. इस तरह की लेटलतीफी से तो भूमि विवाद के मामले बढ़ जायेंगे. इसको लेकर पदाधिकारी स्तर से गंभीरता नहीं बरती गयी, जो खेदजनक है. वर्तमान में सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के पास 8000 से अधिक भूमि विवाद के मामले लंबित हैं, जाे इनवेंट्री का काम होने के कारण आगे नहीं बढ़ रहा है.
नकली कागजात बनाने के लिए लेते हैं 50 हजार से एक लाख रुपये : कमिश्नर के पास किसी ने बंदोबस्त कार्यालय में काम कर रहे ऑपरेटर व एक कर्मी के खिलाफ शिकायत आयी. शिकायतकर्ता के अनुसार आॅपरेटर व कर्मी फर्जी तौर पर नकली अभिलेख तैयार करते हैं.
इसके लिए वह अभिलेखागार से मूल कागजात को गायब कर कंप्यूटर की मदद से हूबहू कागजात बना देते हैं. इसके लिए कागज को विशेष केमिकल में डाल दिया जाता है, ताकि वह पुराना दिखने लगे. इसके बाद कागज पर सियाही वाली लिखावट मूल कागजात से मिलाकर उतार दी जाती है. नकली कागजात बनाने में 50 हजार से एक लाख रुपये तक की मांग की जाती है.
बंदोबस्त कार्यालय में नकली अभिलेख बनाने के मामले में हुई कार्रवाई की जांच हाेगी. अबतक शोकॉज तक सीमित रहना संदेहास्पद लगता है. इसकी जांच करेंगे और जरूरी हुआ तो सरकार को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सौंपेंगे. इनवेंट्री के काम में भी सुस्ती होना गलत बात है.
राजेश कुमार, प्रमंडलीय आयुक्त, भागलपुर
हाल बंदाेबस्त कार्यालय का
पदाधिकारी के चैंबर में जड़ा मिला ताला, बिफरे
जिस भी फाइल को आयुक्त ने देखा, उसी में पकड़ी गड़बड़ी
आम लोगों के आवेदन दबा बैठे थे नाजिर, आयुक्त ने देखा, तो साथ में रुपये भी मिले

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