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भागलपुर : भागलपुर में बन रही कचरे की तीसरी पहाड़ी, न तकनीक का इस्तेमाल न भविष्य की चिंता

संजीव, भागलपुर : भागलपुर में प्लास्टिक सने हुए कूड़े की दो पहाड़ी खड़ी करने के बाद डंपिंग यार्ड के नाम से तीसरी जगह पहाड़ खड़ा करने का काम शुरू है. रोज सैकड़ों टन कूड़े एक ही जगह पर गिराये जा रहे हैं. लेकिन कूड़ा फेंकने में न तो वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल हो रहा है […]

संजीव, भागलपुर : भागलपुर में प्लास्टिक सने हुए कूड़े की दो पहाड़ी खड़ी करने के बाद डंपिंग यार्ड के नाम से तीसरी जगह पहाड़ खड़ा करने का काम शुरू है. रोज सैकड़ों टन कूड़े एक ही जगह पर गिराये जा रहे हैं. लेकिन कूड़ा फेंकने में न तो वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल हो रहा है और न भविष्य की चिंता की जा रही है. आनेवाले समय में भागलपुर जहरीली आबोहवा के पंजे में होगा. शहर के ऊपर संकट के बादल घिर रहे हैं और नगर निगम प्रशासन सुस्त पड़ा है.

पहले चंपानाला, फिर मुसहरी घाट और अब कनकैथी
नगर निगम ने पहले चंपानाला पुल के बगल में नदी के तट पर कूड़ा गिरा कर एक छोटी पहाड़ी तैयार की. यहां बगल में पुरानीसराय के पास नदी के बीच में कूड़े की पहाड़ी बनने लगी, तो जेसीबी मशीन चला कर समतल कर दिया गया. यहां गांव वालों ने जब-जब कूड़ा फेंकने आयी गाड़ियों को खदेड़ा, मुसहरी घाट पर जमुनिया नदी के किनारे कूड़ा फेंका जाने लगा. यहां भी एक छोटी पहाड़ी खड़ी हो गयी. अब कूड़ा डंपिंग यार्ड के नाम से अमरपुर रोड स्थित कनकैथी के पास कूड़ा फेंका जा रहा है और वह भी बिना नियम-कायदे के.
भागलपुर में कचरा उठाव आंकड़ों में
04.11 लाख है नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या
100 टन कचरा का प्रतिदिन होता है उठाव
05 एकड़ में फैला है कूड़ा चंपानाला पुल के पास
03 एकड़ में फेंका जा रहा कचरा कनकैथी में
01एकड़ में फैला कूड़े का अंबार मुसहरी घाट के पास
इधर, कूड़े से खाद बनाकर "05 किलो बेच रहा मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर में स्थित कूड़ा डंपिंग प्वाइंट में बना कंपोस्ट पिट नाम से मुजफ्फरपुर के मड़वन प्रखंड के रौतनिया में कूड़ा डंपिंग प्वाइंट है. 11 एकड़ में फैले डंपिंग प्वाइंट में शहर का कूड़ा डंप किया जाता है. एमआरडीए परिसर में आइटीसी व सीएसइ की मदद से कंपोस्ट पिट का निर्माण हुआ है. यहां पर शहर से निकलने वाले गीले कचरे से जैविक खाद बनाया जाता है. यह पूरे प्रदेश में माॅडल के रूप में स्थापित है. पांच रुपये किलो की दर से खाद की पैकिंग कर बेचा भी जाता है.
कचरा को बिना रिसाइकलिंग किये अगर खुले में फेंक दिया गया, तो प्रदूषण को रोक पाना मुश्किल हो जाता है. उस पर मिट्टी डाल देने से तत्काल तो उपचार दिखता है, पर कार्सोजेनिक मेटैरियल पैदा होने से रोका नहीं जा सकता है. कार्सोजेनिक मैटेरियल से कैंसर जैसे घातक रोग की आशंका बढ़ जाती है.
डॉ ज्योतिंद्र चौधरी, सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, पीजी रसायनशास्त्र, टीएमबीयू
इनसे सीखें
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में फैले कचरे को साफ कर जंगल उगा रहे
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में स्थानीय निकाय के मैराथन अभियान से 40 साल पुराने कचरे के पहाड़ के दिन भी आखिर बदल ही गये और महज चार महीने में 13 लाख टन अपशिष्ट के उस बदबूदार भंडार से मुक्ति ही नहीं पा ली गयी, बल्कि अब उसकी जगह घना जंगल विकसित किया जा रहा है. शहर के बायपास रोड पर देवगुराड़िया क्षेत्र के करीब 150 एकड़ में फैले ट्रेंचिंग ग्राउंड में पिछले 40 साल से कचरा जमा किया जा रहा था. साल-दर-साल बढ़तेबढ़ते वहां करीब 13 लाख टन कचरा जमा हो गया.
पहाड़ हटाने के लिए किराये पर ली 17 अर्थ मूविंग मशीनें
आठ घंटों की दो पालियों में 150-150 लोगों ने किया काम
लगातार चार महीने अभियान चलाया गया
मशीनों से कचरे का रासायनिक विधि से किया उपचार
फिर अलग-अलग ढेर बना कर कचरे के छांटा गया
प्लास्टिक, गत्ता, चमड़ा, धातुओं के टुकड़े कबाड़ियों को बेच दिया
13 लाख टन के भंडार से चार लाख टन प्लास्टिक निकला
इंदौर से हर दिन करीब ,100 टन कचरा निकलता है
फिर 90 एकड़ जमीन पर लगाये गये हजारों पौधे
करीब 10 करोड़ का खर्च आया

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