भागलपुर : वाहन-किराया से अधिक लाभ नहीं होने पर मजबूरीवश अपने कॉमर्शियल को प्राइवेट लाइसेंस में बदलने वाले आवेदकों के लिए अच्छी खबर है. लाइसेंस आवेदन के निबटारे को सहज बनाने के लिए परिवहन विभाग ने नियम में बदलाव कर दिया है. जिला परिवहन पदाधिकारी को ही उक्त आवेदन में सुनवाई करके आदेश पारित करने की शक्ति दे दी.
अभी तक यह सुनवाई डीएम के यहां हुआ करती है. वहीं परिवहन विभाग ने साथ ही प्राइवेट लाइसेंस पर किराया कमाने वाले वाहनों की धरपकड़ करने की कार्रवाई का निर्देश दिया है. इससे टैक्स चोरी करनेवालों पर सख्ती होगी.
सप्ताह में तीन दिन के क्षेत्र भ्रमण होने पर बढ़ गयी डीएम की व्यस्तता
परिवहन विभाग के अनुसार, सप्ताह में तीन दिन के क्षेत्र भ्रमण होने के कारण डीएम की व्यस्तता बढ़ गयी है. अन्य कामों के अतिरिक्त कॉमर्शियल लाइसेंस के आवेदक की कमाई नहीं होने की सूरत में प्राइवेट लाइसेंस में बदलने के आवेदन की सुनवाई अटक जाती थी. इससे आवेदक को संबंधित वाहन का कामर्शियल रोड टैक्स अदा करना पड़ता था.
यह भी सुनवाई में देंगे ध्यान
वाहन मालिक आर्थिक स्थिति से सुदृढ हों. जिससे कि वह कामर्शियल वाहन का निजी प्रयोग करने लायक हों.
एक बार वाहन का कॉमर्शियल लाइसेंस लेने पर कम से कम दो साल बाद ही उसको प्राइवेट वाहन के रूप में लाइसेंस के रूप में बदला जा सकेगा.
डिफाल्टर टाइप के वाहनों का लाइसेंस की प्रकृति में बदलाव नहीं होगा. बकाया शुल्क शून्य होने पर ही लाइसेंस को बदलने की कार्रवाई हो.
टैक्स शुल्क को लेकर भी वाहन चालक से भिन्नता के बराबर अंतर की राशि का भुगतान कराया जायेगा.