भागलपुर: आखिरकार भागलपुर के आइजी जितेंद्र कुमार और एसएसपी राजेश कुमार का तबादला हो ही गया. दोनों अधिकारियों के बीच चल रहे विवाद को पुलिस मुख्यालय ने गंभीरता से लिया. यहीं वजह है कि बिना टर्म पूरा किये ही दोनों अधिकारियों को भागलपुर से जाना पड़ा.
करीब दो साल तक आइजी जितेंद्र कुमार का कार्यकाल रहा तो एसएसपी राजेश कुमार को मात्र सवा साल के छोटे से कार्यकाल में ही भागलपुर से जाना पड़ा. आखिर क्या वजह थी जो दोनों अधिकारियों को पुलिस मुख्यालय ने भागलपुर से हटा दिया. तबादला तो बड़े पैमाने पर हुआ है, लेकिन इन दोनों अधिकारियों के तबादले को मेयर प्रकरण से जोड़ कर देखा जा रहा है.
कहा जा रहा है कि दिवेश सिंह हत्याकांड में मेयर दीपक भुवानिया की गिरफ्तार का निर्देश जारी के करने के बाद और इस मामले में आइजी की टिप्पणी से भागलपुर से लेकर पटना तक खलबली मच गयी थी. आइजी ने एसएसपी के कार्य-कलापों पर तल्ख टिप्पणी थी. यह पहला मौका नहीं था जब आइजी ने एसएसपी के कार्य-कलापों पर सवाल खड़ा किया हो. आइजी ने पहले भी एसएसपी पर निर्देश के अनुपालन न करने का गंभीर आरोप लगाया और पुलिस मुख्यालय को इस बारे में लिखा.
ओम बाबा हत्याकांड, सोना लूट कांड, दिवेश सिंह हत्याकांड जैसे चर्चित मामलों में कैसे आइजी के निर्देशों का अनुपालन न किया जाना भी इस तबादले का एक कारण है. आइजी जितेंद्र कुमार की साफ-सुथरी छवि उनके तबादले कारण कारण बनी.
आइजी आरआर वर्मा का भी हो गया था तबादला
दिवेश हत्याकांड में 24 घंटे के भीतर अपराधियों की गिरफ्तारी का निर्देश जारी करने वाले तत्कालीन आइजी आरआर वर्मा का भी भागलपुर से तबादला हो गया था. उस समय कहा गया था कि दिवेश मामले में कई हाइ प्रोफाइल लोगों की गर्दन फंसी है. उसी हाइ प्रोफाइल लोगों के ‘कोकस’ के कारण आइजी वर्मा को जाना पड़ा था.