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कराहते रहे मरीज, चिल्लाते रहे परिजन, लेकिन किसी ने नहीं दिया ध्यान

भागलपुर : ‘हिनका गोड़ो (पैर) में बहुत्ते दरद छै, स्ट्रेचर वाला पर खुब्भे चिकरलियै, लेकिन स्ट्रेचर देबे नै करलकै. अंत में पैदले चली देलियै हिनका साथ लैके.’ ये शब्द हैं, पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जेएलएनएमसीएच में रविवार को भर्ती होने आये एक बुजुर्ग मरीज की पत्नी मीरा देवी के. उनके पति पैर में […]

भागलपुर : ‘हिनका गोड़ो (पैर) में बहुत्ते दरद छै, स्ट्रेचर वाला पर खुब्भे चिकरलियै, लेकिन स्ट्रेचर देबे नै करलकै. अंत में पैदले चली देलियै हिनका साथ लैके.’ ये शब्द हैं, पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जेएलएनएमसीएच में रविवार को भर्ती होने आये एक बुजुर्ग मरीज की पत्नी मीरा देवी के. उनके पति पैर में दर्द के कारण ठीक से चल नहीं पा रहे थे. सांस लेने में हो
रही परेशानी के कारण राइल्स ट्यूब लगाया गया है. पेशाब की नली में दिक्कत होने के कारण कैथेटर लगाया गया है.
राइल्स ट्यूब व कैथेटर के बैग को मीरा देवी हाथ में पकड़े और मरीज का बेटा उन्हें कंधे पर सहारा देकर आपातकालीन वार्ड में पहले डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे. फिर दर्द से कराहते मरीज को लेकर फर्श पर बिछे गद्दे पर ले जाकर भर्ती कराया. इस दौरान मीरा देवी चिल्लाती रही कि, एक स्ट्रेचर की व्यवस्था कर दीजिए लेकिन उनकी किसी ने एक न सुनी.
बारिश में फर्श पर भर्ती मरीज रहते हैं डरे-सहमे: बरसात के मौसम में मरीज मायागंज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होने के बाद फर्श पर लगे गद्दे पर सोने में डरते हैं. वजह बारिश होते ही खिड़की से अंदर पानी आने लगता है. फर्श पर लेट कर स्लाइन चढ़ाने वाले मरीजों को इस दौरान दूसरी जगह ले जाना आसान भी नहीं होता है. परिजनों को इसके लिए नर्स से फरियाद करना पड़ता है. वहीं अस्पताल के अंदर आने वाले जहरीले जीव का भी भय मरीज के परिजनों को रखता है.
भय से परिजन रतजगा कर बैठे रहते हैं. रास्ते में मरीज लेटे रहते हैं. ट्राली मैन दूसरे मरीज को लेकर वार्ड में जाता है, तो फर्श पर लेटे मरीज को चोट लगने की संभावना रहती है. इसके अलावा कई और समस्या है जिसको सोचकर मरीज फर्श पर पड़े रहने से ही डरते हैं.
अस्पताल में स्ट्रेचर का है टोटा: अस्पताल में स्ट्रेचर का टोटा है. आधे से ज्यादा स्ट्रेचर खराब हो चुका है. बीस से ज्यादा स्ट्रेचर को कबाड़ में या अस्पताल के बाहर फेंका जा चुका है.
हालांकि कुछ दिन पहले खराब हो रहे स्ट्रेचर को ठीक करने का प्रयास किया गया, लेकिन इसकी सेहत नहीं सुधरी. सबसे ज्यादा परेशानी इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को उठाना पड़ रहा है. यहां सात स्ट्रेचर हैं. अगर एक मरीज को लेकर अंदर ट्राली मैन जाता है, तो चिकित्सक वार्ड में भर्ती करने से पहले उसका स्ट्रेचर पर ही इलाज करते हैं. इसी बीच अगर कोई दूसरा मरीज आ जाता है, तो उसे स्ट्रेचर मिलना मुश्किल हो जाता है. परेशानी यहीं खत्म नहीं हाेती, ट्राली मैन मरीज को लेकर वार्ड में जाता है तो मरीज के साथ स्ट्रेचर को भी वहीं छोड़ कर वापस हो जाता है. जिससे इमरजेंसी में स्ट्रेचर की कमी होजाता है.
इमरजेंसी में अभी मात्र पांच स्ट्रेचर हैं.
क्या कहते हैं अस्पताल अधीक्षक : मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि, स्ट्रेचर की कमी की जानकारी नहीं है. खराब हो रहे स्ट्रेचर को ठीक कराया गया था. अगर इसमें ज्यादा खराबी है, तो मरीजों को आने ले जाने के लिए नया स्ट्रेचर मंगाया जायेगा. सोमवार को इसकी कमी को दूर कर दिया जायेगा.
इधर, सदर अस्पताल के नर्सिंग स्टेशन से नर्स गायब
भागलपुर. रविवार को सदर अस्पताल की व्यवस्था पटरी से उतर जाती है. मरीजों के लिए बने नर्सिंग स्टेशन से नर्स गायब थी, तो चिकित्सक एसएनसीयू में थे. इमरजेंसी में मरीज चिकित्सक का इलाज दोपहर बाद दो बजे तक करते रहे. शनिवार को सिविल सर्जन ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था, जिसमें अनुपस्थित मिले दो चिकित्सकों से स्पष्टीकरण पूछा गया था. इसके बाद रविवार को भी यहां की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी. रविवार बारह से एक बजे तक सदर अस्पताल का नर्सिंग स्टेशन खाली रहा.
मरीज के परिजन इलाज कराने के लिए लगातार यहां आ रहे थे. लेकिन इनकी सहायता के लिए कोई सलाह देने वाला नहीं था. इससे मरीज को घंटों इंतजार करना पड़ा. दूसरी ओर डॉ राकेश कुमार सुबह से एसएनसीयू आ गये. दो बजे तक इस विभाग में भर्ती नवजात को ये देखते रहे गये. इससे इमरजेंसी में आये मरीजों को चिकित्सक की सुविधा नहीं मिल पा रही थी. दो बजे के बाद डॉ डी नाथ की डयूटी थी. वहीं मरीजों ने बताया कि सुबह से अस्पताल में भटक रहे हैं. एक भी चिकित्सक इमरजेंसी में नहीं आये. अंत में दो बजे के बाद एक चिकित्सक आये इन्होंने मरीजों को देखना आरंभ किया.

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