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मोदी लें संत-महात्माओं का सहयोग : शंकराचार्य

भागलपुर: गोवर्धन पीठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत दी है कि संत -महात्माओं को साथ लेकर चलें, उन्हें सफलता मिलेगी. महाराज श्री ने गंगा के पुनर्जीवन के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदम की सराहना तो की, लेकिन इसकी सफलता पर सवाल भी उठाये. शंकराचार्य […]

भागलपुर: गोवर्धन पीठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत दी है कि संत -महात्माओं को साथ लेकर चलें, उन्हें सफलता मिलेगी.

महाराज श्री ने गंगा के पुनर्जीवन के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदम की सराहना तो की, लेकिन इसकी सफलता पर सवाल भी उठाये. शंकराचार्य शुक्रवार को भागलपुर रेलवे स्टेशन के अतिथि कक्ष में पत्रकारों से बात कर रहे थे.कहलगांव में कार्यक्रम समाप्ति के बाद के बाद वे वापस लौट रहे थे. गोवर्धन पीठाधीश्वर ने कहा कि आज गाय व गंगा दोनों संकट में है. भाजपा की सरकार हो चाहे कांग्रेस की, विकास के नाम पर सबने गंगा का दोहन किया और इसे मृतप्राय बना दिया.

संत महात्मा देश के कल्याण के लिए अपने स्तर से सक्रिय रहते हैं, लेकिन कभी हमारे विचारों को प्रश्रय नहीं मिलता. गंगा को लेकर मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदम के बारे में जगतगुरु ने कहा कि प्रयास तो अच्छा है, लेकिन इसमें सबको सहयोग करना होगा. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या विकास के नाम पर गंगा का दोहन रुकेगा. गंगा उत्तराखंड से निकल कर यूपी, बिहार, झारखंड होते पश्चिम बंगाल तक जाती है. इन पांचों राज्यों में अभी कहीं भी भाजपा की सरकार नहीं है. राज्य सरकारें कितना सहयोग करती हैं, यह भी देखना होगा. उत्तराखंड जहां से गंगा निकलती है, वहां या तो भाजपा की सरकार रही है या कांग्रेस की. दोनों सरकारों ने विकास के नाम पर गंगा का गला घोंटने का काम किया. गंगा के पुनर्जीवन के लिए ठोस इच्छाशक्ति से काम करना होगा. गंगा हमारे जीवन का आधार है. गंगा की रक्षा स्ेा हमारी संस्कृति के साथ-साथ पर्यावरण की भी रक्षा होगी. गंगा के खिलाफ षडयंत्र चल रहा है. राजस्व व विकास किसी सरकार के दो प्रमुख स्तंभ हैं, लेकिन गंगा को इससे परे रखना होगा तभी गंगा सुरक्षित रहेगी.

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की शिक्षा व योग्यता पर उठ रहे सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि काम के आधार पर किसी का आकलन होना चाहिए. अभी तो काम शुरू हुआ है. ऐसे में किसी के बारे में कोई राय बना लेना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि डिग्री का मैं भी पक्षधर हूं. गुजराल व मनमोहन सिंह बहुत विद्वान थे. उनकी तुलना में शास्त्री जी कम पढ़े-लिखे थे, लेकिन सफल प्रधानमंत्री कौन रहा. अभी किसी की योग्यता पर अनावश्यक विवाद उचित नहीं है. मानव संसाधन मंत्री के रूप में उन्होंने डॉ मुरली मनोहर जोशी की तारीफ की. धारा 370 पर शुरू हुई चर्चा पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि यह तो 10 साल के लिए बना था इसे क्यों बढ़ाया गया.देश के विभाजन के बाद इस धारा का क्या औचित्य है. राजनेताओं को कोई भी काम देश हित में करना चाहिए न कि राजनीतिक हित में.

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