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शौचालय के लिए दोबारा पूछा तक नहीं पानी जांचकर जानेवाले अबतक नहीं लौटे

भागलपुर : गांव वालों को अब खुले में शौच करने नहीं जाना है. अब गांव वालों को शुद्ध पानी पीने को मिलेगा. पानी में आर्सेनिक व फ्लोराइड नहीं रहेगा. ऐसी घोषणाएं गांव के लोग सुनते रहे. गांव को ओडीएफ करने के लिए पदाधिकारी भी पहुंचे. शुद्ध पानी मुहैया कराने के लिए पानी जांचने के लिए […]

भागलपुर : गांव वालों को अब खुले में शौच करने नहीं जाना है. अब गांव वालों को शुद्ध पानी पीने को मिलेगा. पानी में आर्सेनिक व फ्लोराइड नहीं रहेगा. ऐसी घोषणाएं गांव के लोग सुनते रहे. गांव को ओडीएफ करने के लिए पदाधिकारी भी पहुंचे. शुद्ध पानी मुहैया कराने के लिए पानी जांचने के लिए भी पदाधिकारी पहुंचे. गिन-गिन कर बता दिया और चापाकल पर लाल निशान लगा दिया कि अमुक चापाकल का पानी पीने योग्य नहीं है. लेकिन दोबारा न तो शौचालय बनवाने वाले अधिकारी पहुंचे और न ही पीएचइडी विभाग के वो अधिकारी ही आये, जो पानी जांच कर गये थे. यह कहना है नाथनगर के रत्तीपुर बैरिया पंचायत के रसीदपुर के ग्रामीणों का.

75 फीसदी चापाकल के पानी को बताया था प्रदूषित : रसीदपुर के वार्ड सदस्य रामविलास मंडल ने बताया कि करीब ढाई साल पहले की बात है. पीएचइडी विभाग की टीम गांव पहुंची थी. गांव के सभी 101 घरों के चापाकल के पानी की जांच की थी. जांच के बाद लगभग 75 फीसदी चापाकलों के पानी को प्रदूषित बताया था और पीने से मना कर दिया था. इसके लिए प्रदूषित पानी देनेवाले चापाकलों पर लाल निशान भी लगाया था. वे कह कर गये थे कि योजना बन रही है और लोगों को शुद्ध पानी पीने को मिलेगा. लेकिन कोई भी अधिकारी फिर लौट कर नहीं आये.
1100 आबादी वाला है गांव : रसीदपुर गांव की आबादी 1100 है. हर घर के लोग चापाकल का ही पानी पीते हैं. यह जानते हुए भी कि पानी प्रदूषित है, फिर भी वे वही पानी पीते हैं. इसपर गांव के बबलू मंडल सवाल करते हैं कि ग्रामीणों के पास दूसरा विकल्प ही क्या है. शहर से रोज शुद्ध पानी खरीद कर गांव लाया नहीं जा सकता. गांव में पानी को शुद्ध करने का उपाय नहीं है. ग्रामीणों के पास इतने पैसे भी नहीं कि पानी शुद्ध करनेवाला संयंत्र अपने घरों में लगायें. यहीं रहना है और यहीं जीना है तो फिर क्या करें ग्रामीण.
211 गांव प्रभावित: आर्सेनिक व फ्लोराइड से सुलतानगंज, जगदीशपुर, नाथनगर, शाहकुंड व गोराडीह के 211 गांव प्रभावित हैं. यहां रिमूवल यूनिट के साथ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का फैसला पिछले वर्ष ही लिया गया था. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण कार्य प्रमंडल, भागलपुर (पश्चिमी) ने 100 गांवों के लिए डीपीआर तैयार कर भेजा था. शेष गांवों के लिए भी डीपीआर तैयार करने का निर्णय हुआ था, लेकिन आर्सेनिक व फ्लोराइड युक्त पेयजल के दायरे में आनेवाले गांव-टोलों में रिमूवल यूनिट समेत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना का हस्र रसीदपुर गांव में देखने को मिलता है, जहां यूनिट तो दूर की बात, विभाग का एक कर्मचारी भी गांव में दोबारा नहीं पहुंचा.
इधर रजंदीपुर पंचायत ओडीएफ, पर शौच दियारा पर ही : गंगा की तलहटी पर बसा रजंदीपुर पंचायत मार्च 2017 में बीडीओ नुजहत जहां के नेतृत्व में ओडीएफ कर दिया गया था. इसका मतलब इस पंचायत के हर घर में शौचालय है. लेकिन यहां यह योजना मखौल बनकर रह गया है. 2308 घर वाले इस पंचायत में लगभग 1200 शौचालय का ही निर्माण हुआ है. कुछ लोगों का शौचालय बाढ़ में ध्वस्त हो गया, उसे बनाया तक नहीं गया. यही नहीं, 200 लोगों ने शौचालय का निर्माण कराया, पर उन्हें पैसे आजतक नहीं मिले.

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