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भागलपुर की लावारिस पर कामधेनु सड़क आमलोग दुखी पर बाबू, ठेकेदार मस्त-मस्त

भागलपुर : फरक्का को जोड़ने वाली एनएच 80 सड़क का अहम हिस्सा जीरोमाइल से सबौर तक का है, पर आज जीरोमाइल से इंजीनियरिंग कालेज तक यह रोड लावारिस दिखायी दे रही, तो इंजीनियरिंग कॉलेज से सबौर तक की सड़क विभाग के लिए कामधेनू. लोग पस्त हैं, पर संबंधित मस्त हैं, क्योंकि उनसे कोई पूछनेवाला नहीं. […]

भागलपुर : फरक्का को जोड़ने वाली एनएच 80 सड़क का अहम हिस्सा जीरोमाइल से सबौर तक का है, पर आज जीरोमाइल से इंजीनियरिंग कालेज तक यह रोड लावारिस दिखायी दे रही, तो इंजीनियरिंग कॉलेज से सबौर तक की सड़क विभाग के लिए कामधेनू. लोग पस्त हैं, पर संबंधित मस्त हैं, क्योंकि उनसे कोई पूछनेवाला नहीं.
हाल यह है कि जीरो माइल से इंजीनियरिंग कालेज तक की सड़क पर तीन से चार फीट के गड्डे हैं, तो इंजीनियरिंग कालेज से सबौर बाजार तक की हाल ही में बनी करोड़ों की सड़क पर कदम-कदम पर गड्ढे दिखने लगे हैं. रानी तालाब के पास तो सड़क पर तालाब का नजारा है. इस सड़क से होकर दर्जन भर स्कूल के बच्चे गुजरते हैं, तो झारखंड से लेकर पीरपैंती-कहलगांव के हजारों लोगों के आवागमन का यह एक महत्वपूर्ण रास्ता है. दुखद यह कि एनएच विभाग इसकी जिम्मेदारी ले नहीं रहा. किसी और को मतलब नहीं.
इलाके के लोगों का जीवन व व्यवसाय तबाह हो गया है. इलाके के फ्लैट बुक नहीं हो रहे हैं. क्षय रोग, दमा, साइनस व बैकबोन के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है.
48 करोड़ की सड़क टूटी
इंजीनियरिंग काॅलेज से रमजानीपुर के बीच एनएच-80 की सड़क का निर्माण हो रहा है. हंगामे के बाद एनएच विभाग ने ठेकेदार से इंजीनियरिंग कॉलेज से सबौर के बीच सड़क का निर्माण कराया. निर्माण के 15 दिन बाद ही सड़क टूटने लगी. कई जगहों पर अब स्थिति दयनीय हो गयी है. सड़क का निर्माण पटना के पलक इंजीनियरिंग कंपनी ने की है और वहीं काम करा रही है.
भागलपुर : शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की भले ही काफी कोशिश हो रही है, लेकिन लापरवाह अधिकारियों व ठेकेदारों का गठजोड़ इस सपने को पूरा नहीं होने दे रहा है. इसी गठजोड़ के चलते आज भी शहर में कई सड़कों की हालत बद से बदतर बनी हुई है. मुख्य सड़क एनएच-80 की बात करें तो निर्माण में कमी से जीरोमाइल से इंजीनियरिंग कॉलेज तक सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क है यह यक्ष प्रश्न है. सड़क केवल नाम की रह गयी है. लावारिस हालत में पड़ी इस सड़क में कमर तक के गड्ढे के कारण वाहन चालक को रास्ता नहीं समझ में आता है.
कई गड्ढों में पानी भरा है. इससे गहराई का भी पता नहीं चलता. इस सड़क से गुजरनेवाले लोग भगवान का नाम लेकर अंदाज से चलते हैं. पैदल चलनेवाले भी परेशान हैं.
गड्ढे भी आठ मीटर परिधि में तीन से चार फीट गहराई से कम नहीं. यह हाल अभी मानसून के पूर्व का है, जब बरसात का मौसम आयेगा, तो स्थिति क्या होगी, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है.
रोज दो पहिया वाहन चालकों का फिसलना, घायल होना और वाहनों का खराब होना आम बात हो चुकी है. कई बार शिकायत करने के बाद भी सड़क का मेंटेनेंस नहीं हो सका. अब यहां से निकलने वाले लोग जिला प्रशासन को कोसते हुए निकलते हैं.
न जनप्रतिनिधि, न जवाबदेह आ रहे आगे
साल 2014 : लोहिया पुल से इंजीनियरिंग कॉलेज तक सात किमी में सड़क बनी.
खर्च : 10.59 करोड़ रुपये
साल 2014-2017 : मेंटेनेंस नहीं हुआ. डिफेक्ट लैबलिटी पीरियड के तहत ठेकेदार को कराना था.
साल 2017 : वीआइपी के आने पर मिट्टी डाल चलने लायक सड़क बनाने की होती रही कोशिश
साल 2018
बिना टेंडर फाइनल हुए बड़हिया के ठेकेदार से शुरू कराया काम, सात दिन में छीन लिया वर्क.
छठी बार का टेंडर मुंगेर के ठेकेदार के नाम खुला है. टेक्निकल बिड, फाइल चीफ इंजीनियर के टेबल पर पड़ी है.
तीन साल से ढूंढ़ रहे ठेकेदार, टेंडर की फाइल चीफ इंजीनियर के टेबल पर :लोहिया पुल से इंजीनियरिंग कॉलेज तक नये सिरे से सड़क का निर्माण होना है. इस मार्ग का एक हिस्सा जीराेमाइल से इंजीनियरिंग कॉलेज तक है. एनएच विभाग सड़क निर्माण के लिए तीन साल से ठेकेदार ढूंढ़ रहा है. एक ठेकेदार मिला है, तो टेंडर की फाइल चीफ इंजीनियर के टेबल पर पड़ी है. इस सड़क का निर्माण लगभग 3.11 करोड़ से प्रस्तावित है.

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