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रमजान का आखिरी जुमा बड़ी अजमत वाला
भागलपुर : रमजान का आखिरी जुमा बड़ी अजमत वाला है. वैसे तो हर जुमा का दिन ईद की तरह होता है. लेकिन खासतौर पर रमजान में जुमा की अहमियत और भी बढ़ जाती है. उक्त बातें खानकाह-ए-शहबाजिया के सज्जादानशीन मौलाना सैयद शाह इंतेखाब आलम शहबाजी ने कहीं. उन्होंने बताया कि अल्लाह सबको इस महीने में […]
भागलपुर : रमजान का आखिरी जुमा बड़ी अजमत वाला है. वैसे तो हर जुमा का दिन ईद की तरह होता है. लेकिन खासतौर पर रमजान में जुमा की अहमियत और भी बढ़ जाती है. उक्त बातें खानकाह-ए-शहबाजिया के सज्जादानशीन मौलाना सैयद शाह इंतेखाब आलम शहबाजी ने कहीं. उन्होंने बताया कि अल्लाह सबको इस महीने में हर दिखावे से बचाते हुए फिर अल्लाह की रजा के लिए इबादत की तौफिक अता फरमायें.
चाहे वो इबादत वदनी जैसे नमाज व रोजा. चाहे माली इबादत हो, जैसे खेरात व जकात है. जबतक हम सिर्फ अल्लाह को खुश व राजी करने की नीयत से इस पाक महीने में इबादत नहीं करेंगे, सिर्फ लोगों को खुश करने और दिखावे के लिए इबादत करेंगे, तो हम अजरों व सवाब के हकदार नहीं हो सकते हैं. रमजान का आखिरी जुमा आप सबको मुबारक हो. अल्लाह हम सब के रोजा, नमाज व तराबीह और दूसरी इबादतों को कबूल फरमायें. उन्होंने बताया कि रमजान के पाक माह में फितरा नहीं निकालने से रोजा मुकम्मल नहीं होता है.
एक हदीस शरीफ के अनुसार जो रोजादार फितरा नहीं निकालते हैं. उनका रोजा जमीन व आसमान के दरम्यान लटका रहता है. इस बार फितरा में 40 रुपये प्रति व्यक्ति देने होंगे. परिवार में जितने लोग है. उसी हिसाब से 40 रुपये फितरा निकालना अनिवार्य है.
रहमत भरे महीना जाने का गम
भागलपुर. अलविदा-अलविदा माह-ए-रमजा अलविदा. यह कहते ही ईद के आने की खुशी जहां लोगों में होती है, वहीं इस रहमत भरे महीने के जाने का गम भी है. खानकाह-ए-पीर दमड़िया के सज्जादानशीन सैयद शाह हसन मानी ने बताया कि अलविदा के माने रुखसत करना है.
अलविदा रमजान के आखिरी जुमा को कहते हैं.चूंकि इसके बाद रमजान में कोई दूसरा जुमा नहीं आता है. इसलिए अलविदा कहा जाता है. उन्होंने बताया कि रमजानुल मुबारक ईमानवालों बंदों के लिए खुशियों का पैगाम लेकर आता है. इस पूरे महीने में ईमान वाले रोजा रखकर तराबीह पढ़कर व इसकी मुबारक रातों में अल्लाह की इबादतों में गुजारते हैं.
यह वो अमल है, इसमें हर ईमानवालों के दिलों व रूह को सुकून मिलता है. इस पूरे महीने में अल्लाह के हुक्माें के मुताबिक गुजार कर पूरा करने पर आनेवाली ईद की खुशी का अहसास होता है.
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