भागलपुर : सड़क किनारे जैसे-तैसे जीवन गुजर बसर करनेवाले गरीबों को बसाने की जमीन महंगी हो गई है. एेसे में कई अंचलों में ऑपरेशन दखल-देहानी का काम प्रभावित है. सालों से चल रही पुरानी योजना के हाेने के बावजूद अभी भी पर्चाधारी सड़क किनारे ही पड़े हुए हैं. सरकार की पर्चाधारी को लीज नीति से जमीन खरीद कर बसाने की प्रक्रिया फेल हो गयी है. अंचलों से यह फीडबैक आया है कि पर्चाधारी को उनके बसावट के नजदीक वाली चिह्नित जमीन सरकारी दर पर नहीं मिल रही है.
जमीन मालिक सरकारी दर से अधिक की मांग कर रहे हैं.
विभागीय नियम के तहत अंचल महंगी जमीन को लीज नीति के तहत लेने में असमर्थ है. इन तमाम तकनीकी पेच में ऑपरेशन दखल-देहानी फंस गया है. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यालय स्तर पर उक्त समस्या के बारे में अवगत करा दिया गया, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई.
पर्चाधारियों का आरोप: अंचल स्तर पर सरकारी जमीन है, मगर उन जमीनों के बारे में सही तरह से प्रस्ताव नहीं दिया जा रहा है.
यह है अंचलवार पर्चाधारी व दखल पाये हुए पर्चाधारी (मार्च तक)
अंचल कुल पर्चा दखल
जगदीशपुर 2119 732
नाथनगर 1535 1448
सबौर 2440 1592
गोराडीह 1098 700
सुलतानगंज 2223 1770
शाहकुंड 1180 993
कहलगांव 2976 2598
पीरपैंती 3164 2810
सन्हौला 1840 1706
नवगछिया 3642 2006
खरीक 1796 1033
बिहपुर 1614 899
नारायणपुर 1761 578
गोपालपुर 1608 829
रंगरा चौक 1248 241
इस्माइलपुर 1211 547
लीज नीति से जमीन लेकर बसाने के निर्देश हैं, मगर सरकारी दर यानि एमवीआर रेट पर जमीन देने को रैयत तैयार नहीं होते. बाजार दर पर जमीन खरीद नहीं हो सकती. इस कारण कई जगह जमीन का पेच फंसा है.
हरिशंकर प्रसाद, अपर समाहर्ता(राजस्व), भागलपुर.
यह है पर्चाधारियों की मांग व सरकारी मजबूरी
मांग: जहां पर बसे हैं, उसके समीप ही पांच डिसमिल जमीन मिले.
मजबूरी: बसावट वाली जगह के समीप खाली जमीन नहीं है. जहां है, वहां पर रैयत जमीन देना नहीं चाहता है. जबरन जमीन अधिग्रहण का कोई नियम नहीं है.
मांग: पर्चाधारी की जमीन कई अंचलों में दबंगों ने कब्जा कर रखा है. वे कब्जा छोड़ नहीं रहे हैं. इस कारण दखल देने के बाद भी वह जमीन पर काबिज नहीं है.
मजबूरी: कब्जे वाले जमीन के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. इस तरह पर्चाधारी की जमीन का मामला कानूनी प्रक्रिया में हो गया है. इस कारण जब तक संबंधित जमीन का कोई स्थायी निर्णय नहीं होता, तब तक पर्चाधारी को दूसरी जगह जमीन नहीं दिया जा सकता है.
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सालों से चल रही है योजना, सड़क पर पड़े हैं जरूरतमंद
लीज नीति से जमीन खरीद कर देने की प्रक्रिया भी फेल
अंचलों से आया फीडबैक, सरकारी दर पर नहीं मिल रही जमीन