भागलपुर: जल हमारी मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है. हमारे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल का होना नितांत आवश्यक है. यह सब मालूम होते हुए भी हम बिना सोचे-समङो पानी को प्रदूषित करते हैं. जल-स्नेतों में हम कचरे,अपशिष्ट पदार्थ, मल आदि मिला कर प्रदूषित करते हैं. जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण आदि ने भी हमारे जल स्नेतों(नदी, तालाब, कुएं, झील आदि) को काफी प्रदूषित किया है.
मेडिकल कचरे जलस्नेतों को कर रहे दूषित
जल को प्रदूषित करने में मेडिकल कचरा खतरनाक कारण है. शहर के कई छोटे-बड़े अस्पतालों व निजी क्लिनिक से रोजाना खून से सने मेडिकल कचरे सड़कों व नालियों से होते हुए गंगा में चले जाते हैं. शहर के वरिष्ठ रसायन व पर्यावरण विज्ञानी डॉ विवेकानंद मिश्र के अनुसार मेंहीं आश्रम के नजदीक गंगा और नाली के संगम स्थल की जांच में विषैला कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ पाया गया है. सबसे भयावह स्थिति यह है कि इस जल में एचआइवी वायरस पाया गया है, जोकि जानलेवा रोग का कारक है. मेडिकल कचरा का भूमिगत निष्पादन किया जाना चाहिए.
मेडिकल कचरे को दफनाने के लिए खाली और बेकार पड़ी भूमि का उपयोग किया जा सकता है. रासायनिक प्रक्रिया द्वारा मिट्टी में धीरे-धीरे यह कचरा अपघटित हो जाता है. अगर ऐसा किया जाता है तो इससे पैदा होने वाली समस्या लगभग 80 प्रतिशत खत्म हो जायेगी. ध्यान रखें यदि हमें जल प्रदूषण के खतरों से बचना है तो इस प्राकृतिक संसाधन को प्रदूषित होने से रोकना नितांत आवश्यक है वरना शुद्ध पेय जल की आपूर्ति भविष्य में असंभव हो जायेगी. स्वच्छ जल के अभाव में न ही किसी प्राणी के जीवन की कल्पना की जा सकती है और न ही किसी सभ्यता की.