भागलपुर : सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार आये दिन सुनने को मिलता है, लेकिन भागलपुर के बिजली विभाग में लगभग 1.40 लाख रुपये गबन का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले में विद्युत सब डिवीजन, तिलकामांझी के जूनियर लाइनमैन रमण कुमार रमण को दोषी पाया गया है. उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया […]
भागलपुर : सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार आये दिन सुनने को मिलता है, लेकिन भागलपुर के बिजली विभाग में लगभग 1.40 लाख रुपये गबन का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले में विद्युत सब डिवीजन, तिलकामांझी के जूनियर लाइनमैन रमण कुमार रमण को दोषी पाया गया है. उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
उनका मुख्यालय विद्युत आपूर्ति शाखा, शाहकुंड निर्धारित किया गया है. यह मामला तब का है, जब कचहरी चौक स्थित बिजली ऑफिस में संजीव कुमार गुप्ता बतौर असिस्टेंट इंजीनियर थे और रमण जूनियर लाइनमैन होते हुए भी उनसे काउंटर पर उपभोक्ताओं से बिल कलेक्शन का काम लिया जा रहा था. जबकि वह टेक्निकल सेक्शन के स्टाफ हैं. वर्तमान में श्री गुप्ता ग्रामीण विद्युत डिवीजन, पूर्वी के कार्यपालक अभियंता के पद पर हैं. मामला जब उजागर हुआ था, तो उनसे राशि जमा करा ली गयी थी.
उनका स्थानांतरण मायागंज कर दिया गया था. राशि जमा कराने के ढाई-तीन माह बाद लोकल स्तर पर निलंबन की कार्रवाई अधिकारियों को संदेह के घेरे में डाल रहा है. उपभोक्ताओं ने भुगतान बिल राशि के बाद जब दूसरे माह के बिल में समायोजित नहीं हुआ, तो उनकी ओर से शिकायत होने लगी. बढ़ रही शिकायतकर्ताओं की संख्या पर गबन का मामला सामने आया और कार्रवाई हुई.
जांच के लिए बनी थी पांच सदस्यीय टीम : सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के निर्देश पर गबन की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम
बिजली विभाग में…
बनी थी. इसमें विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, भागलपुर (शहरी) के राजस्व पदाधिकारी चंद्र प्रकाश को अध्यक्ष बनाया गया था. सदस्य में लेखा पदाधिकारी कुंदन कुमार, सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधक राजन कुमार, नाथनगर के कनीय विद्युत अभियंता सुधाकर कुमार व सहायक सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधक मोजम्मिल आलम थे. टीम कचहरी चौक स्थित बिजली ऑफिस में नवंबर, दिसंबर व जनवरी 2018 में राजस्व गबन की जांच कर रही थी.
जूनियर लाइनमैन से लिया जा रहा था काउंटर पर बिल कलेक्शन का काम
जूनियर लाइनमैन से बिल कलेक्शन काउंटर का काम लेना कहां तक जायज : रमण जूनियर लाइनमैन है. इनसे बिल कलेक्शन काउंटर पर काम लिया जा रहा था. यह कितना जायज है, यह तो बिजली अधिकारी ही बता सकते हैं. मगर, राशि जमा कराने के ढाई-तीन माह बाद कार्रवाई से अधिकारियों और कर्मचारियों में नाराजगी है.