भागलपुर : सबौर में सड़क बनाने का काम शुरू कराने में जितनी देरी हो रही है, उतनी ही सड़क की हालत खराब होती चली जा रही है. सड़क बनाने की जरूरत सबौर में है. ठेकेदार है कि सबौर को छोड़ कहलगांव में एनएच की सड़क बना रहा है. ठेकेदार को सबौर से लेकर रमजानीपुर तक सड़क बनाने की जिम्मेदारी मिली है. कायदे से उन्हें सड़क निर्माण का कार्य सबौर से ही शुरू कराना चाहिए था मगर, उन्होंने यह जरूरी नहीं समझा. विभागीय अधिकारी भी ठेकेदार की मनमानी पर आंखें मूंदे रहे.
अब जब स्थिति बेकाबू हो गयी है, तो मौके की नजाकत देख एनएच विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने प्रधान सचिव से मिल कर उन्हें त्राहिमाम संदेश दिया है. साथ ही पलक इंफ्रा कार्य एजेंसी को अल्टीमेटम दिया है कि दो दिन के अंदर सबौर में सड़क बनाने का काम शुरू करो नहीं, तो कार्रवाई होगी. इस पर ठेकेदार ने कहा है कि काम ही करा रहे हैं, बैठे नहीं है. कहलगांव में पांच किमी में सड़क बन गयी है. महज एक किमी और बनाना बाकी है. यहां काम खत्म होने के साथ सबौर में सड़क बनाने का काम शुरू करा देंगे.
सबौर में जब तक सड़क बनना शुरू नहीं होता, तबतक होगा पानी का छिड़काव. एनएच विभाग के कार्यपालक अभियंता राजकुमार ने बताया कि ठेकेदार को दो दिनों के अंदर सबौर में काम शुरू करने कह दिया गया है. जब तक काम शुरू नहीं होता, तब तक पानी का छिड़काव होता रहेगा. इससे राहत मिलेगी. कांट्रैक्टर ने भी कहलगांव के बाद सबौर में काम शुरू करने की बात कही है. जेल रोड और लोहिया पुल का टेंडर अगले सप्ताह में निकलेगा. सोमवार को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, पटना को टेंडर सूचना आमंत्रण का प्रकाशन के लिए फाइल भेजी जायेगी.
अब क्या सब मर जायेंगे तब बनायेंगे सड़क
सबौर में एनएच 80 बनाने के नाम पर केवल बहानेबाजी हो रही है. राजनेता और अधिकारी दोनों झूठे आश्वासन दे रहे हैं. जनता को अब किसी की बात पर भरोसा नहीं रह गया है. लोगों की तकलीफ से न तो जनप्रतिनिधियों को कुछ लेना-देना है, न ही अधिकारियों को. लोग बीमार हो रहे हैं. चार किलोमीटर के लिए आठ किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं, लेकिन कोई देखनेवाला नहीं है. अब क्या लोग मर जाएंगे तब सड़क बनेगी.
अचल कुमार मिश्रा, उमेश्वरनगर, सबौर
मेयर : विनम्र हूं, पर कमजोर नहीं
नगर आयुक्त : अभद्रता बर्दाश्त नहीं
इसका मर्म तलाश रहे शहरवासी
मेयर सीमा साह हाल के महीनों तक नगर आयुक्त की प्रशंसा करती रहीं हैं. जब सभी पार्षद और उप मेयर बैठक का बहिष्कार कर रहे थे या नगर आयुक्त के खिलाफ खड़े थे, तब मेयर उनकी ढाल बनी रहीं, अब उनका यह रूप लोगों की समझ से परे है. दूसरी ओर कल तक नगर आयुक्त के खिलाफ पड़े डिप्टी मेयर राजेश के बोल भी बदल गये हैं. अब तो निगम और शहर में लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि इस प्यार और तकरार का मर्म क्या है.