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ध्यान रहे, बच्चों में संस्कार भरना न भूलें हम

प्रभात खबर आयीं शहर की नारी शक्ति, कहा : आर्थिक स्वावलंबन व शिक्षा से ही महिलाएं होंगी मजबूत भागलपुर : प्रभात खबर के भागलपुर कार्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुकीं महिलाएं शामिल हुईं. विषय था […]

प्रभात खबर आयीं शहर की नारी शक्ति, कहा : आर्थिक स्वावलंबन व शिक्षा से ही महिलाएं होंगी मजबूत
भागलपुर : प्रभात खबर के भागलपुर कार्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुकीं महिलाएं शामिल हुईं. विषय था बदलते परिवेश में नारी को सशक्त करने के लिए नारी की क्या भूमिका हो. महिलाओं ने कहा कि आर्थिक स्वावलंबन और शिक्षा ही महिलाओं को मजबूती दे सकती है.
कभी हम लंबी घूंघट में ही सास-ससुर या परिवार-समाज के अन्य बड़ों के सामने खड़े हो सकते थे या गुजर सकते थे. आज हमारी बहुएं घूंघट नहीं लेती हैं, तो बुरा भी नहीं लगता. यह दौर है नयी पीढ़ी में घटते संस्कारों का. बच्चों में संस्कार भरे, यह ध्यान रखना होगा. परिचर्चा में शिक्षा, राजनीति, व्यवसाय, उद्यम, समाजसेवा, कला क्षेत्र की महिलाएं शामिल हुईं.
जो महिलाएं खुद को शिक्षित और जागरूक मानती हैं, उन्हें समाज की दूसरी महिलाओं को शिक्षित व जागरूक करने के लिए आगे आना चाहिए.
बेटियां आगे बढ़ने की डिमांड करें, तो माता-पिता व समाज को सहयोग करना चाहिए. इससे समाज को समृद्ध होने में बल मिलेगा.
अपने व्यवहार में सकारात्मक चीजों को बढ़ावा देना होगा. इससे हम खुद का भला कर सकेंगे और परिवार व समाज का भी.
पोता नहीं हुआ, तो अपने बेटे को कोसो, बहू को नहीं
किसी महिला ने बेटे को जन्म नहीं दिया, तो उस महिला के साथ प्रताड़ना शुरू हो जाती है. यह समझाना होगा कि बेटा के जन्म के लिए बेटा ही जिम्मेदार है, बहू नहीं. पेट की भूख के लिए महिलाएं अपराध के क्षेत्र में भी चली जाती हैं. ऐसे में उनका आर्थिक रूप से मजबूत होना जरूरी है. औरतों को सेक्स सिंबॉल न समझें.
छाया पांडेय, सेवानिवृत्त शिक्षिका
महिलाओं के उत्थान का सूत्रधार बनें, साथ दें
हम आगे बढ़ें. लेकिन साथ में समाज को भी ध्यान में रखें. महिलाओं के उत्थान में अगर हम सूत्रधार बनते हैं, तो उससे समाज समृद्ध होता है. महिलाओं को आगे ले जाने के लिए उनके अभिभावक व समाज के सपोर्ट की भी जरूरत होती है. मुझे मेरे पैरेंट्स और बहनों का खूब सपोर्ट मिला.
शशि भुवानियां, उद्यमी
लड़कियों के निर्णय काे सपोर्ट करें, साथ दें
लड़की के सबसे करीब उसके माता-पिता होते हैं. लड़की आगे बढ़ने के लिए कोई निर्णय ले, तो माता-पिता को सपोर्ट करना चाहिए. मेरी मां ने जिस तरह मुझे सपोर्ट किया कि कभी पापा की कमी महसूस नहीं हुई. मां का ही सपोर्ट रहा, जो आज अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ती जा रही हूं.
खुशबू कुमारी, रंगकर्मी
महिलाओं की सीमा घर की दहलीज तक नहीं
महिलाएं कमजोर नहीं होतीं. हम जैसे ही यह सोच लेते हैं कि हम कमजोर हैं, तो हमारे आगे बढ़ने की इच्छा वहीं दम तोड़ देती है. छोटी-छोटी कोशिश कर हम आगे बढ़ ही नहीं सकते, बल्कि समाज में एक नयी पहचान बना सकते हैं. महिलाओं को यह सोचते हुए आगे बढ़ना होगा कि उनकी सीमा घर की दहलीज नहीं.
नीना एस प्रसाद, नृत्य शिक्षिका
शिक्षा सबसे जरूरी : डॉ किरण सिंह
पीजी संगीत विभाग की शिक्षक किरण सिंह ने कहा कि महिलाओं के लिए शिक्षा सबसे जरूरी है. आज प्रताड़ना की वजह शिक्षा की ही कमी है. गांव में दूसरी बार जो महिला मुखिया चुनी गयीं, उनके अंदर निर्णय लेने की क्षमता आ गयी. आज 50 प्रतिशत आरक्षण का असर यह है कि गांव की महिलाओं को सम्मान मिलने लगा है.
मां अच्छी शिक्षा दे बच्चों को, महिलाओं को आगे बढ़ाने में समाज भी ले रुिच
बुनियादी शिक्षा मां की गोद से ही शुरू होती है. मां अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने में पहल करे. समाज में बदलाव के लिए महिलाओं को इस मामले में जागरूक होना होगा. महिलाओं को आगे ले जाने के मामले में जब हम विशेष रुचि लेने लगेंगे, तो एक अच्छे समाज की कल्पना साकार हो जायेगी. यह बदलाव का दौर है और इसमें हमें भी सजग हो कर भाग लेना होगा.
उषा सिन्हा, समाजसेविका
बच्चों को अच्छा संस्कार देना जरूरी, तभी समृद्ध समाज का होगा निर्माण
मैं चार बहन हूं. लेकिन अपने घर में कभी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि बेटा-बेटी में कोई भेद है. यही संस्कार अपने बच्चों को भी दिया. बेटा-बेटी दोनों जॉब कर रहे हैं. दोनों के व्यवहार और स्नेह ने कभी मुझे यह सोचने भी नहीं दिया कि कौन बेटा है कौन बेटी. अब घूंघट का दौर खत्म हो गया है, पर संस्कार जरूरी है. वक्त बदल रहा है, पर हम सब को भी बदलना होगा.
रंजना अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता
सब कुछ है पर कहीं कुछ बिखर जा रहा इसके लिए मानसिक डायलिसिस जरूरी
समाज में ऐसी महिलाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है, जो बेटियों की शादी कम उम्र में कर देती हैं. आप केस उठाकर देख लें, दहेज के लिए प्रताड़ित करने की मुख्य भूमिका सास निभाती हैं. ऐसी मानसिकता को मिटाना होगा. इसके लिए अब दवा काम नहीं आनेवाला, मानसिक रूप से डायलिसिस की जरूरत है.
डॉ निशा राय, पूर्व प्राचार्य, मारवाड़ी कॉलेज
खुद को आर्थिक व मानसिक रूप से सशक्त करना होगा, तभी बदलाव संभव
महिला वैचारिक रूप से सशक्त हुई हैं, पर आर्थिक रूप से सशक्त होना जरूरी है. लड़कियों को आधुनिक तरीके से पालने में अक्सर हम भूल जाते हैं कि उनमें संस्कार भी आत्मसात कराना चाहिए. आज शिक्षित महिलाओं के जिम्मे अन्य महिलाओं को सशक्त करना है. बदलाव आया है, हम सजग रहें तो वह दिन दूर नहीं, जब पुरुष वर्ग आरक्षण मांगेंगे.
डॉ प्रीति शेखर, पार्षद, नगर निगम

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