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रिवर फ्रंट की राह में श्मशान और बड़े-बड़े नाले दिखाया जा रहा स्मार्ट गंगा तट का सपना

भागलपुर : भागलपुर में स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर प्राथमिकता सूची में शामिल योजनाओं को धरातल पर उतारना तो दूर की बात, उसकी राह में बाधा पर भी अब तक कोई काम नहीं हो सका है. चार प्रमुख योजनाओं में गंगा तट को संवारने के लिए रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की योजना भी शामिल है. इस […]

भागलपुर : भागलपुर में स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर प्राथमिकता सूची में शामिल योजनाओं को धरातल पर उतारना तो दूर की बात, उसकी राह में बाधा पर भी अब तक कोई काम नहीं हो सका है.
चार प्रमुख योजनाओं में गंगा तट को संवारने के लिए रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की योजना भी शामिल है. इस योजना के धरातल पर उतर जाने के बाद लोग गंगा के किनारे की सैर कर पायेंगे. पैदल पथ होगा. रोशनी की व्यवस्था रहेगी.
कई तरह की सुविधाएं रहेंगी. इसमें अब तक सर्वे का काम उन तटों (चंपानाला से बरारी तक) पर हुआ, जहां गंगा नदी नहीं, बल्कि जमुनिया धार बहती है. जमुनिया धार भी गर्मी के मौसम में सूखी रहती है. हालांकि सर्वे के बाद यह विचार किया गया कि अब रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का काम बरारी सीढ़ी घाट से लेकर बाबूपुर गंगा तट तक होगा. लेकिन इसमें भी कई बाधाएं हैं, जिन्हें दूर करने का या उसका विकल्प ढूंढ़ने का काम नहीं हो सका है.
संकट : सैर के दौरान कैसे पार करेंगे श्मशान
बरारी सीढ़ी घाट से बाबूपुर मोड़ के बीच में श्मशान घाट है, जहां सदियों से आसपास के कई जिले के शव पहुंचते हैं और दाह-संस्कार होता है. यहां पर विद्युत शवदाह गृह बना हुआ है. हालांकि यह गृह बंद है और इसका आधा हिस्सा गंगा में समा चुका है. लेकिन यहां दूसरी तरफ नये विद्युत शवदाह गृह बनाये जाने की योजना है. ऐसे में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट में इस घाट पर क्या विकल्प तलाशा जायेगा, यह अभी तक तय नहीं है.
होना था ओपेन सेमिनार, पर हुआ नहीं
नगर आयुक्त सह स्मार्ट सिटी के सीइओ श्याम बिहारी मीणा के नेतृत्व में पिछले वर्ष 18 दिसंबर को नगर निगम कार्यालय में स्मार्ट सिटी योजना को लेकर बैठक हुई थी.
इसमें स्मार्ट सिटी योजना के कार्यान्वयन को लेकर सिसको कंपनी ने पावर प्रजेंटेशन दिखाया था. नगर आयुक्त श्री मीणा ने कहा था कि शीघ्र ही योजना को लेकर टेंडर निकाला जायेगा.
विजन क्लियर है. स्ट्रांग डिजाइन तैयार किये जा रहे हैं. नये वर्ष में ओपेन सेमिनार होगा. इसमें स्थानीय अनुभवी लोगों से आइडिया लिया जायेगा. इसके तीन माह के बाद योजना को धरातल पर उतारने का काम शुरू हो जायेगा. लेकिन ऐसा कुछ भी शुरू तक नहीं हो सका.

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