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पौधों को रोगमुक्त करने की जिम्मेदारी बीएयू को
सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भले ही नियुक्ति घोटाले में अंदर ही अंदर जल रहा हो, लेकिन रोज सफलता की नयी इबारत लिख रहा है. इंडियन पैथोलॉजीकल सोसाइटी आइएआरआइ नयी दिल्ली के इस्टर्न जॉन के प्रेसिडेंट युवा वैज्ञानिक डॉ गिरीश चंद्रा व डॉ चंदा कुशवाहा काउंसिलर चयनित किये गये हैं. बीएयू इससे गौरवान्वित हो […]
सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भले ही नियुक्ति घोटाले में अंदर ही अंदर जल रहा हो, लेकिन रोज सफलता की नयी इबारत लिख रहा है. इंडियन पैथोलॉजीकल सोसाइटी आइएआरआइ नयी दिल्ली के इस्टर्न जॉन के प्रेसिडेंट युवा वैज्ञानिक डॉ गिरीश चंद्रा व डॉ चंदा कुशवाहा काउंसिलर चयनित किये गये हैं. बीएयू इससे गौरवान्वित हो रहा है.
वहीं इसके मूल में किसान ही तो हैं. पूर्वी भारत के किसानों के लिए यह अच्छी खबर है. कृषि उत्पाद में अब खेतों में लगने वाले पौधों के रोगों से बहुत हद तक निजात मिलेगा, जिससे किसानों का उत्पादन बढ़ेगा और किसान समृद्ध बनेंगे. कृषि महाविद्यालय में देश में सबसे पहले अंग्रेजों के जमाने में ही पौधा रोग पर बहुत बेहतर काम किया.
1943 में आयी महामारी में पूर्वी भारत के धान की फसल पूर्णतया बर्बाद हो गयी थी. इस कॉलेज ने इसके रोक थाम के लिए काफी अच्छा परिणाम दिया था. नवंबर के प्रथम सप्ताह में नेशनल सेमिनार में देश स्तर के पौधा रोग विशेषज्ञ एक प्लेटफाॅर्म पर आयेंगे और किसानी में पौधों को रोग मुक्त कैसे किया जाये इसका समाधान निकालेंगे.
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