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मासूमों को बीमार कर रही स्टेरायड दवाएं
भागलपुर : अगर मासूम बच्चा निमोनिया की बीमारी से निजात पाने के बाद तेजी से मोटा हाे रहा है. गाल फूले दिख रहे हैं तो आप ज्यादा खुश मत हों, ये आपके बच्चे के सेहत के लिहाज से खतरे की घंटी है. निमोनिया के इलाज के नाम पर देहाती क्षेत्र में ग्रामीण डॉक्टर द्वारा मासूम […]
भागलपुर : अगर मासूम बच्चा निमोनिया की बीमारी से निजात पाने के बाद तेजी से मोटा हाे रहा है. गाल फूले दिख रहे हैं तो आप ज्यादा खुश मत हों, ये आपके बच्चे के सेहत के लिहाज से खतरे की घंटी है.
निमोनिया के इलाज के नाम पर देहाती क्षेत्र में ग्रामीण डॉक्टर द्वारा मासूम बच्चों को दी जाने वाली स्टेरायड दवाएं उनके सेहत को न केवल खराब कर रही हैं, बल्कि उन्हें भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों से ग्रसित कराने की राह पर ले जा रही है. शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार सिंह कहते हैं कि निमोनिया की बीमारी के इलाज में गांव के डॉक्टर बार-बार डेक्सोना व बेटनेसाल दवाएं देते हैं. इससे बच्चे ठीक तो हो जाते हैं लेकिन इन दवाओं के बार-बार देने बच्चे का वजन बढ़ने लगता है. दोनों गाल व अन्य हिस्सा फूलने लगता है. बाद में स्टेरायड दवाओं कारण वह बार-बार बीमार होने लगता है.
स्टेरायड दवाओं से मासूम हो सकता है गंभीर बीमारियों का शिकार: चाइल्ड एवं नियोनेटालॉजिस्ट डॉ अजय कुमार सिंह बताते हैं कि स्टेरायड दवाओं के बार-बार मासूमों द्वारा सेवन किये जाने से उन्हें भविष्य में शुगर का बीमार बना सकता है. इंडो क्राइन फेल्योर, किडनी फेल हो सकती है.
अगर बच्चों को निमाेनिया हो तो उसे गांव के डॉक्टर को दिखाने से बचें. अगर बच्चे का वजन तेजी से बढ़ रहा है और गाल आदि फूल जाता है तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें. भूल से बीमार बच्चों को स्टेरायड दवाओं को खाने के लिए न दें.
डॉ अजय कुमार सिंह
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