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प्लास्टिक मनी जेब में, नहीं कर पायेंगे खरीद

ये हाल है. बैंककर्मियों का मूलमंत्र, हो कोई दिक्कत, तो टांगो बोर्ड, गिरा दो एटीएम का शटर भागलपुर : होली में चंद दिन बचे हैं. शादी-विवाह का भी मौसम तेज है. बाजार भी सज-धज कर तैयार है. खरीदार भी तैयार हैं, पर ऐसे में शहर के एटीएम धोखा दे रहे. शहर के लगभग 85 फीसदी […]

ये हाल है. बैंककर्मियों का मूलमंत्र, हो कोई दिक्कत, तो टांगो बोर्ड, गिरा दो एटीएम का शटर

भागलपुर : होली में चंद दिन बचे हैं. शादी-विवाह का भी मौसम तेज है. बाजार भी सज-धज कर तैयार है. खरीदार भी तैयार हैं, पर ऐसे में शहर के एटीएम धोखा दे रहे. शहर के लगभग 85 फीसदी एटीएम खाली पड़े हैं. कई बंद हैं, तो कुछ खराब हैं. दूसरी ओर शहर के अधिकांश दुकानों में स्वैप मशीन नहीं, ताकि लोग पैसे की लेन-देन किये बिना खरीद कर सकें. हालत यह हो गयी है कि बैंक में पर्याप्त बैलेंस होने और जेब में दो-तीन एटीएम कार्ड रहने के बाद भी लोग खरीद नहीं कर पा रहे. बता दें कि डिजिटल इंडिया का सपना भागलपुर में बैंकों की व्यवस्था के कारण फेल होता जा रहा है. यहां प्लास्टिक मनी, पर कागज मनी हावी होता जा रहा. वहीं उपभोक्ता सहित दुकानदार भी परेशान हैं. एटीएम खराब रहने का क्या असर है, इसकी पड़ताल शनिवार को प्रभात खबर के संवाददाता ने की. प्रस्तुत है उसने जो देखा, जो सुना.
बैंककर्मी झंझट मोल लेना चाहते नहीं, बिगड़ी व्यवस्था : कई ऐसे एटीएम हैं जहां लिंक फेल है या तकनीकी गड़बड़ी से एटीएम बंद का बोर्ड टंगा है. जो एटीएम चालू है, वहां ग्राहकों की लंबी कतार लग रही है. दरअसल, बैंक कर्मियों के लिए आसान मूलमंत्र है एटीएम बंद कर देना. वह झंझट मोल लेना चाहते नहीं है. बाजार में दुकानदारों के पास पीओएस मशीन नहीं है, जिससे ऑनलाइन लेन-देन नहीं हो पा रहा है.
खंजरपुर रोड : पैसा है, तो लंबी लाइन
खंजरपुर रोड में एसबीआइ के इ-कॉर्नर व इ-लॉबी के एटीएम में पैसा था, लेकिन पैसे निकालने वालों की लंबी लाइन थी. पैसा भरने के साथ हर दो-तीन घंटे पर एटीएम हो जा रहा था खाली.
भोलानाथ पुल के नजदीक पेट्रोल पंप परिसर में एक ही छत के नीचे एसबीआइ के दो एटीएम हैं, जिसमें एक चालू, तो दूसरे पर मशीन खराब का बोर्ड टांग दिया गया था. चालू वाले एटीएम में 100 के नोट नहीं थे.
पैसे डाले नहीं कि खत्म हुए, परेशान हो रहे ग्राहक : शहर के तकरीबन 85 फीसदी एटीएम कैश के अभाव में खाली पड़े हैं. 15 फीसदी चल रहे हैं, तो महज दो से तीन घंटे के लिए. नोट डालते ही दो से तीन घंटे में खत्म हो जाता है. आरबीआइ से जरूरत के अनुरूप राशि आपूर्ति नहीं करने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो गयी है. ग्राहकों को अपने ही रुपये निकालने के लिए शहर के एटीएम का चक्कर लगाना पड़ रहा है.
परेशान दुकानदार कहते हैं
कपड़ा दुकानदार श्रवण बाजोरिया ने बताया कि एटीएम की हालत कुछ ठीक नहीं है. हाल के दिनों में 10 एटीएम का चक्कर लगाने पर किसी एक से पैसा निकलता है. नियमित रूप से एटीएम में पैसा भरा जाये, तो ग्राहक निकासी कर खरीद कर सकेंगे. किराना दुकानदार ओमप्रकाश कनोडिया ने बताया कि होली का समय है और एटीएम में पैसे नहीं है. इससे 20 से 30 फीसदी कारोबार घटा है.
अधिकतर में पैसा नहीं, कुछ का गिरा था शटर
शुक्रवार को शहर के विभिन्न इलाके में स्थित बैंकों के एटीएम का जायजा लिया गया. भीखनपुर रोड में विभिन्न बैंकों के लगभग एक दर्जन एटीएम हैं, लेकिन एक-दो को छोड़ बाकी में पैसा नहीं था. किसी का शटर गिरा हुआ मिला, तो किसी में लिखा था कि कैश नहीं है. अलग-अलग बैंकों के पांच एटीएम में एक भी एटीएम में पैसा नहीं मिला. यही हाल मिरजानहाट रोड का रहा. एटीएम चालू था, लेकिन पैसा किसी-किसी में था. तिलकामांझी, बरारी, स्टेशन रोड की भी किसी-किसी एटीएम में रुपये थे. अधिकतर एटीएम खाली थे. यह हाल दर्जन भर बैंकों के एटीएम का था. घंटाघर से खलीफाबाग रोड में एकमात्र एटीएम चालू था, जिस पर लोगों की भीड़ थी.
बैंक शाखाओं को सतर्क होना चाहिए. बैलेंस चेक नहीं करता होगा. टेक्निकल प्रॉब्लम अगर हो, तो अलग बात है. उन्हें अगाह करेंगे. संबंधित बैंकों के जोनल ऑफिसर से बात करेंगे. टेक्निकल प्रॉब्लम है, तो इसमें सुधार करायेंगे.
चंद्रशेखर साह, अग्रणी बैंक जिला प्रबंधक, भागलपुर
मिरजानहाट रोड : चाेरी का प्रयास होने के बाद से बंद है एटीएम मिरजानहाट रोड में बैंक ऑफ इंडिया की महिला शाखा के एटीएम में कभी चोरी का प्रयास हुआ था. तब से एटीएम बंद है. इस रोड में कभी एचडीएफसी बैंक का भी एटीएम था. कैश नहीं रहने से एक रात गुस्से में आकर किसी ने दरवाजा तोड़ दिया, तो एटीएम ही वहां से हटा लिया गया. केनरा बैंक के एटीएम के दरवाजे का जब शीशा टूटा, तो अब इसमें कभी कभार ही कैश भरा जाता है. इशाकचक में एसबीआइ के एटीएम में जब से चोरी हुई है, तभी से एटीएम बंद है.
बैंकों में भी नोट की किल्लत
जरूरत के हिसाब से बैंकों के शाखाओं को नोट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. लोगों में कैशलेस को बढ़ावा देने को लेकर आरबीआइ पहले की अपेक्षा कम राशि बैंकों को उपलब्ध करा रहा है. इसका खामियाजा बैंककर्मियों को भी भुगतान पड़ता है. राशि नहीं रहने से ग्राहकों को नहीं दे पाते हैं. ऐसी स्थिति में एटीएम में भेजना कहां से संभव हो पायेगा.
दुकानों में पीओएस मशीन नहीं, जहां है वहां नेटवर्क नहीं
शहर में ज्यादातर जगहों पर पीओएस मशीन नहीं है. जहां है भी, तो नेटवर्क चौपट है. वहीं अगर नेटवर्क है, तो दुकानदार भी बहाना बना दे रहा है. जहां स्वैप मशीन है और नेटवर्क अच्छी खासी मिल रही है और दुकानदारों की बहानेबाजी पकड़ी जाती है, तो अतिरिक्त दो फीसदी वसूलने की बात से ग्राहक प्लास्टिक मनी से खरीदारी करने से पीछे हट जाते हैं.

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