प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए थाने में दिया आवेदन
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स्वराज आश्रम में चोरी, प्रथम राष्ट्रपति के आगमन से जुड़ी सामग्री भी ले गये चोर
प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए थाने में दिया आवेदन बिहपुर : बिहपुर के स्वराज आश्रम स्थित कांग्रेस भवन में गुरुवार को चोरी हो गयी. आश्रम के कमरों के ताले तोड़कर चोरों ने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी महत्वपूर्ण धरोहर भी ले गये. इनमें देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेंद्र प्रसाद के स्वतंत्रता […]
बिहपुर : बिहपुर के स्वराज आश्रम स्थित कांग्रेस भवन में गुरुवार को चोरी हो गयी. आश्रम के कमरों के ताले तोड़कर चोरों ने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी महत्वपूर्ण धरोहर भी ले गये. इनमें देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेंद्र प्रसाद के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहपुर आगमन से जुड़ी कई सामग्री भी थीं. कई तरह की पुस्तकें, काॅपी, आश्रम की जमीन की राजस्व रसीद व अन्य सामान भी गायब हैं. कांग्रेस भवन के एक कमरे में किराये पर रह रहे एक रेलकर्मी के सारे सामान भी चोरी हो गये हैं.
शुक्रवार की सुबह कांग्रेस के मुत्युंजय मिश्रा ने चोरी होने की सूचना प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष रोहित आनंद शुक्ला व पार्टी के अन्य नेताओं को दी. इसके बाद प्रखंड अध्यक्ष श्री शुक्ला, उपाध्यक्ष गौरव कुंवर, नवीन शर्मा, इरफान आलम, युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव आशुतोष सिंह, समीर कुमार, सोनू ईश्वर, युवा कांग्रेस के प्रखंड अध्यक्ष राहुल कुमार, युवा राजद के प्रखंड अध्यक्ष महमूद गजनवी आदि स्वराज आश्रम पहुंचे. कांग्रेस नेताओं ने बताया कि नौ जून 1930 को बिहपुर आये डाॅ राजेंद्र प्रसाद से जुड़ी किताबें व कई संग्रह अमूल्य धरोहर थीं, जिनकी चोरी बहुत बड़ी क्षति है. प्रखंड अध्यक्ष श्री शुक्ला के साथ पार्टी के कई नेताओं ने थाने पहुंचकर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया.
स्वतंत्रता संग्राम का गवाह है स्वराज आश्रम
आजादी के आंदोलन के समय स्वराज आश्रम में कांग्रेस कार्यालय के साथ-साथ खादी भंडार व चरखा संघ के भी कार्यालय थे. एक जून 1930 को तीसरे पहर नशाबंदी के विरोध में लोग शराब व गांजे की दुकानों पर धरना देने लगे. अंग्रेज अधिकारियों के आदेश पर पुलिस ने स्वयंसेवकों की बुरी तरह से पीटा और उनके हाथों से राष्ट्रीय झंडा छीनकर जला दिया. इसके बाद अंग्रेजों ने खादी भंडार पर कब्जा जमा लिया. सभी कार्यालयों के ताले तोड़कर चरखे, सूत, कपास, खादी के कपड़े आदि बाहर फेंक दिये. कांग्रेस भवन स्वयंसेवकों के हाथों से छिन गया. इसके विरोध में स्वयंसेवकों ने सभा बुलायी, जिसमें सुखदेव चौधरी ने जोशीला भाषण दिया.
यह फैसला लिया गया कि कांग्रेस कार्यालय पर कब्जे के लिए स्वयंसेवकों का एक जत्था वहां जायेगा. दो जून को स्वयंसेवकों का जत्था कांग्रेस भवन की ओर बढ़नेे लगा. अंग्रेजी फौज की लाठियां खाकर भी उनका जोश कम नहीं हो रहा था. अगल-बगल के गावों से भी लोगों के जत्थे आश्रम की ओर बढ़ने लगे. छह जून को कांग्रेस कार्यालय से थोड़ी दूर आम के बागीचे में विशाल सभा हुई. अंग्रेजी फौज ने फिर स्वयंसेवकों पर लाठियां बरसायीं, जिसमें अनेकों लोग जख्मी हो गये. सात जून को पुन:
सभा हुई. दूसरी ओर पुलिस का दमनचक्र चलता रहा. स्थिति बिगड़ती चली गयी. इसकी सूचना पटना पहुंची. वहां से प्रो अब्दुल बारी, बलदेव सहाय, ज्ञान साहा आदि आठ जून को बिहपुर पहुंचे. इसके अगले दिन राजेंद्र बाबू भी सहयोगियों के साथ बिहपुर पहुंच गये. नौ जून को तीसरे पहर उसी बागीचे में स्वयंसेवकों की एक आमसभा हुई. सभा में राजेंद्र बाबू, प्रो बारी व मो आरीफ के भाषण हुये. शाम पांच बजे सभा समाप्त हुई. उसी शाम अंग्रेज एसपी पुलिस दस्ते को लेकर बिहपुर बाजार पहुंचे, जहां राजेंद्र बाबू सहित अन्य लोग भी थे. पुलिस ने उनपर भी बेरहमी से लाठियां बरसायीं. बलदेव ने उनके शरीर पर लेटकर उन पर बरसायी जा रही लाठियां अपने ऊपर ले लीं.
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