भागलपुर : शहर व इसके आसपास के इलाके में पिछले तीन-चार दिनों में कई बच्चों की मौत ने बुद्धिजीवी वर्ग को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर यह समाज कहां जा रहा है. कुछ मामले में आत्महत्या की बात कही जा रही है, तो कुछ मामले में हत्या के आरोप लग रहे हैं. ऐसी घटनाओं पर प्रभात खबर ने वरिष्ठ समाजशास्त्री व वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक से बात की. पेश है उनके विचार.
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दबाव में आत्महत्या, दुश्मनी में हत्या
भागलपुर : शहर व इसके आसपास के इलाके में पिछले तीन-चार दिनों में कई बच्चों की मौत ने बुद्धिजीवी वर्ग को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर यह समाज कहां जा रहा है. कुछ मामले में आत्महत्या की बात कही जा रही है, तो कुछ मामले में हत्या के आरोप लग रहे हैं. […]
आत्महत्या की मुख्य वजह है कि आत्महत्या करनेवाला किसी न किसी दबाव में होगा. वे अपनी अपेक्षाओं के साथ समायोजित नहीं कर पाते, तो खुद को अनुपयुक्त मान लेते हैं. वे मान लेते हैं कि अब हम इस समाज में एडजस्ट नहीं कर पायेंगे. हत्या के मामले में पहले तो यही कहा जायेगा कि अपराध पर नियंत्रण नहीं रह गया है. बच्चा किसी भी परिवार का भविष्य होता है. बड़ों से बदले की भावना के कारण बच्चों की हत्या के केस भी मिलते रहे हैं. नॉर्मलेसनेस के कारण हत्या हो रही है.
प्रो पीके सिन्हा, समाजशास्त्री, टीएमबीयू
कुछ लोगों के पास पहचान की कमी है. वे आत्मग्लानि में आ जाते हैं. ऐसी स्थिति में लोग अनैतिक मार्ग अपनाते हैं और पहचान चाहते हैं. वे जानकर ऐसा नहीं करते, बल्कि एक्साइटमेंट में कर जाते हैं. दूसरी ओर हमारी जो परवरिश हो रहा है, उसमें इड प्रवृत्ति (सुख देनेवाली चीजों की तरफ भागना) विकसित कर जाती है. ऐसे में बच्चों के व्यवहार को देखें. सिर्फ इतना नहीं देखें कि वे किस विषय में बेहतर कर रहे और किसमें रिजल्ट खराब है. यह भी देखें कि बच्चे ग्रुप में रहते हैं या नहीं.
प्रो सीबीपी सिंह, मनोवैज्ञानिक, टीएमबीयू
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