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शहर में सवा सौ पर पांच महिला डॉक्टर, गांवों के छह हॉस्पिटलों के लिए एक भी महिला डॉक्टर नहीं

विपिन नागवंशी भागलपुर : सदर हॉस्पिटल में पांच महिला डॉक्टर यहां आनेवाली करीब सवा सौ महिला मरीजों के स्वास्थ्य जांच एवं ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाल रही है. जिले के आधा दर्जन ऐसे अस्पताल हैं, जहां पर एक भी महिला डॉक्टर नहीं है. इन अस्पतालों में आज की तारीख में हर रोज सैकड़ों की संख्या में […]

विपिन नागवंशी
भागलपुर : सदर हॉस्पिटल में पांच महिला डॉक्टर यहां आनेवाली करीब सवा सौ महिला मरीजों के स्वास्थ्य जांच एवं ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाल रही है. जिले के आधा दर्जन ऐसे अस्पताल हैं, जहां पर एक भी महिला डॉक्टर नहीं है.
इन अस्पतालों में आज की तारीख में हर रोज सैकड़ों की संख्या में महिला एवं गर्भवती महिलाएं जांच-इलाज के लिए आती हैं. परिणाम यह हुआ कि नार्मल डिलिवरी के केस भी इन अस्पतालों से सीधे मायागंज रेफर कर दिये जाते हैं.
आठ से दस छोटे-बड़े ऑपरेशन के लिए दो महिला व तीन सर्जन : सदर हॉस्पिटल की ओपीडी में हर रोज करीब 200 से 250 की संख्या में मरीज जांच-इलाज के लिए आते हैं. इन मरीजों में शिशु रोगी, शुगर, प्रेग्नेंसी, टीबी, सर्दी-खांसी व बुखार के मरीज होते हैं. इस हिसाब से ज्यादा से ज्यादा यहां आने वाले कुल मरीजों में 100 से 125 के बीच गर्भवती एवं महिला मरीजों की संख्या होती है.
इनके इलाज के लिए यहां पांच महिला चिकित्सक क्रमश: डॉ प्रियंका रानी (एमएस), डॉ प्रियंका कुमारी (एमएस), डॉ सुशीला चौधरी, डॉ अल्पना मित्रा (दोनों एमबीबीएस), डॉ आभा सिन्हा (डीजीओ) की तैनाती है. यहां हर रोज करीब डेढ़ दर्जन डिलिवरी होती है, इनमें से दो से तीन डिलिवरी सिजेरियन के जरिये होती है.
इसमें अगर मिनी लैप, प्रसव बाद बंध्याकरण, महिला बंध्याकरण के मामले को जोड़ दिया जाये, तो यहां पर हर रोज औसतन आठ से दस छोटे-बड़े ऑपरेशन किये जाते हैं. जबकि इन पांच महिला चिकित्सक के अलावा यहां तैनात तीन सर्जन डॉ असीम कुमार दास, डॉ अभिषेक व डॉ साकेत रंजन भी इन आॅपरेशनों को अंजाम देते हैं.
आधा दर्जन अस्पताल तरस रहे महिला डॉक्टर के लिए : जिले के आधा दर्जन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे भी हैं, जो आज भी महिला चिकित्सक के लिए तरस रहे हैं. पीएचसी खरीक, नारायणपुर, बिहपुर, रंगरा, पीरपैंती, गोराडीह में महिला डॉक्टर नहीं है, जबकि इन अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने प्रसव पूर्ण जांच-इलाज, डिलिवरी, टीकाकरण आदि की जिम्मेदारी दे रखा है.
फाइलों में इन अस्पतालों पर हर माह नौ तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है. यहां हर राेज डिलिवरी के 30 से 35 केस ऐसे आते हैं जिनकी डिलिवरी यहीं पर हो जाती अगर यहां पर महिला डॉक्टर की तैनाती होती. यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं को इन अस्पतालों पर महिला डॉक्टर के न होने से सदर हॉस्पिटल, मायागंज हॉस्पिटल या फिर प्राइवेट नर्सिंग होम में डिलिवरी के लिए जाना पड़ता है.
कहीं डेंटिस्ट तो कहीं यूपीएचसी पर तैनात हैं महिला डॉक्टर : सदर हॉस्पिटल में पांच महिला डॉक्टर है, तो नवगछिया में दो महिला चिकित्सक डॉ अंजू तुरियार, डॉ ज्योत्सना झा की तैनाती है. गोपालपुर, इस्माइलपुर, सबौर, शाहकुंड, सन्हौला पीएचसी में एक-एक महिला चिकित्सक की नियुक्ति है. इस्माइलपुर अस्पताल में तैनात महिला डॉक्टर लंबे समय से छुट्टी पर हैं.
जगदीशपुर पीएचसी में दो महिला डॉक्टर की तैनाती है. हकीकत यह है कि इनमें से एक डॉक्टर दंत चिकित्सक हैं. कहलगांव अस्पताल में दो, सुलतानगंज व नाथनगर में तीन-तीन महिला चिकित्सक की तैनाती है. नाथनगर अस्पताल में तैनात डॉ टीना हुसैन की प्रतिनियुक्ति आज की तारीख में यूपीएचसी चंपानगर में की गयी है, जबकि तीन माह पहले प्रभात खबर की पड़ताल में यूपीएचसी पर तैनात डॉ टीना हुसैन गायब मिली थी.
शहर से सटे अस्पतालों के लिए लगता है जुगाड़
अस्पतालों में तैनात महिला डॉक्टरों की सूची को अगर ध्यान से देखा जाये, तो साफ मालूम हो जायेगा कि शहर या इससे सटे अस्पताल या फिर बड़े कस्बे में संचालित सरकारी अस्पतालों में आपको दो से पांच महिला डॉक्टर की तैनाती मिल जायेगी. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में बने अस्पतालों में महिला डॉक्टर की तैनाती ही नहीं है. जिले के आधा दर्जन अस्पताल में डॉक्टर नहीं है और रोजाना 50 से 55 मरीज की कुल ओपीडी वाले यूपीएचसी में एक महिला चिकित्सक की तैनाती कर दी जाती है.
शहर के सदर अस्पताल में पांच, बड़े कस्बे में स्थापित कहलगांव, नाथनगर में तीन-तीन व नवगछिया में दो और शहर से सटे जगदीशपुर अस्पताल में दो महिला डॉक्टरों की तैनाती कर दी जाती है. इस तैनाती में जमकर जुगाड़ चलता है. जिन डॉक्टरों का शहर में नर्सिंग होम है, वह शहर या फिर शहर से सटे अस्पतालों में बड़े जुगाड़ लगा कर तैनाती करवा लेते हैं.

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