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भागलपुर में तेजी से पांव पसार रहा हेपेटाइटिस बी

साल 2017 में मायागंंज हॉस्पिटल में मिले हेपेटाइटिस बी के कुल मरीजों में करीब आधे लोग भागलपुर के भागलपुर : भागलपुर में बहुत ही तेजी से हेपेटाइटिस बी अपना पांव पसार रहा है. लीवर से जुड़ी यह बीमारी तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है. मायागंज हॉस्पिटल में पैथोलॉजी जांच के दौरान पाये […]

साल 2017 में मायागंंज हॉस्पिटल में मिले हेपेटाइटिस बी के कुल मरीजों में करीब आधे लोग भागलपुर के
भागलपुर : भागलपुर में बहुत ही तेजी से हेपेटाइटिस बी अपना पांव पसार रहा है. लीवर से जुड़ी यह बीमारी तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है. मायागंज हॉस्पिटल में पैथोलॉजी जांच के दौरान पाये जाने वाले हेपेटाइटिस बी से ग्रसित लोगों में करीब आधे लोग भागलपुर के हैं. ये ताे महज शुरुआती आंकड़ा है.
अगर इसको जमीनी स्तर तक ले जाया जाये, तो आंकड़े और भी भयावह हो सकते हैं. क्योंकि यह जांच उन्हीं लोगों की हुई है, जाे खून देने-लेने मायागंज हॉस्पिटल में आते हैं.
जेएलएनएमसीएच के ब्लड बैंक में साल 2017 में हुई पैथोलॉजी जांच में कुल 87 मामले हेपेटाइटिस बी के पाये गये. इनमें 42 हेपेटाइटिस बी के मरीज भागलपुर के थे.
सही समय पर सही इलाज, हो सकते हैं स्वस्थ : फिजिशियन डॉ विनय कुमार झा कहते हैं कि जब कभी व्यक्ति को लगे कि उसे हेपेटाइटिस बी हुआ है तो उसे तुरंत किसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए. 95 प्रतिशत हेपेटाइटिस बी के मरीज छह महीने में ठीक हो जाते हैं. आम लोगों में यह भ्रम है कि यह बीमारी लाइलाज है. ऐसा नहीं है. अच्छे डॉक्टर से सलाह कर के मरीज आसानी से स्वस्थ हो सकता है.
हेपेटाइटिस बी के बचाव के लिए लगवायें टीका : जेएलएनएमसीएच के ब्लड बैंक की मेडिकल ऑफिसर डॉ दिव्या सिंह बताती हैं कि इस बीमारी से लीवर को बचाने के लिए बहुत ही प्रभावकारी टीका उपलब्ध है.
जिनको यह टीका लगा है उनमें 99 प्रतिशत लोगों के शरीर में प्रभावी रक्षात्मक रोग प्रतिकारक (एंटीबाॅडीज) उत्पन्न हो जाता है, जो हेपेटाइटिस बी के संक्रमण से बचाने में सहायक है. यह टीका सभी व्यक्तियों को कम से 28 दिन के अंतराल में तीन बार लगवाना होता है. जन्म लेने वाले बच्चे में पहला टीका जन्म लेने के तुरंत बाद, दूसरा एक महीने बाद तथा तीसरा छह महीने पर लगवाना चाहिए.
हेपेटाइटिस बी के कारण
हेपेटाइटिस बी से संक्रमित सुई का इस्तेमाल करने से.
हेपेटाइटिस-बी मां से उसके गर्भ में पल रहे नवजात को.
संक्रमित व्यक्ति के खून का संपर्क किसी स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आने से.
संक्रमित व्यक्ति द्वारा ड्रग लेने के दौरान उसके द्वारा इस्तेमाल किये गये सीरिंज का इस्तेमाल करने से.
हेपेटाइटिस के शिकार पुरुष या स्त्री के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से.
बीमारी के प्रमुख लक्षण
संक्रमण की पहले स्टेज में व्यक्ति को वायरल बुखार जैसे लक्षण होते हैं.
शुरुआती पांच से सात दिन में भूख न लगना, उलटी आना, बुखार होना.
सात दिन बाद पेशाब पीला हो जाता है. जिसे आम भाषा में पीलिया कहा जाता है.
पीलिया दो से चार सप्ताह तक बढ़ता रहता है, 95 फीसदी लोगों में यह बीमारी दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाती है.

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