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ठिठुरन पर हावी है जवाबदेही : हम ठिठुर रहे पर ये लगे हैं सेवा में चलने का नाम हैं जिंदगी

भागलपुर : कड़ाके की ठंड व शीतलहर की चपेट में पूरा इलाका है. बुधवार को न्यूनतम और अधिकतम तापमान में खास अंतर नहीं रहा. ठंड से हाड़ कांप रहे हैं. स्कूल बंद हैं. दोपहर तक बाजार में कुछ भीड़ होती है, फिर सन्नाटा छा जाता है. जनजीवन ठप सा हो चला है. घर के कमरे […]

भागलपुर : कड़ाके की ठंड व शीतलहर की चपेट में पूरा इलाका है. बुधवार को न्यूनतम और अधिकतम तापमान में खास अंतर नहीं रहा. ठंड से हाड़ कांप रहे हैं. स्कूल बंद हैं. दोपहर तक बाजार में कुछ भीड़ होती है, फिर सन्नाटा छा जाता है. जनजीवन ठप सा हो चला है. घर के कमरे में रजाई या गर्म कपड़ों के साथ हीटर की सुविधा कुछ पल को हटते ही जहां हमारी हालत पतली हो जा रही, वहीं समाज में एक ऐसा भी बड़ा वर्ग है, जो बिना ठंड की परवाह किये हमारी सुविधा के लिए रात दिन एक कर रहा. आज ऐसे ही कुछ लोगों पर एक नजर, जिन्हें नहीं है ठंड की परवाह, परवाह है तो हमारी और आपकी सुविधा का.

लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रख दिमाग से चलाते हैं ट्रेन
भागलपुर-जमालपुर डीएमयू पैसेंजर ट्रेन के चालक हैं संजय कुमार मंडल. अपने सहयोगी पवन कुमार के साथ रोज हजारों यात्रियों को उनके घर तक पहुंचाते हैं. गहरे धूंध और ठंड के बीच रोज ट्रेन कैसे ले जाते पूछने पर बताते हैं कि दिमाग से चलाते हैं गाड़ी. हमेशा ख्याल रहता है कि लोगों ने अपने जीवन की बागडोर उनके हाथ में सौंप रखी है. कोहरे के कारण दूर से सिग्नल भी नहीं दिखता. स्पीड बहुत कम रखते हैं. घर जाने की बात ध्यान में नहीं आती, पूछने पर कहते हैं जिम्मेदारी पहले, आराम बाद में.
बाबू ठंड तो बहुते छै, पर सफाइयो तो जरूरी छै
नगर निगम का सफाईकर्मी हैं रॉकी. इस कड़ाके की ठंड में भी बुधवार को अपने साथी पांडू के साथ नाला से निकाले कचरे की सफाई कर रहा थे. दोनों के पैर में जूते नहीं थे. हाथ में ग्लव्स भी नहीं थे, पर दाेनों काम में लगे थे. पूछे जाने पर कि इस ठंड में दिक्कत नहीं हो रही, दोनों ने कहा काफी परेशानी है, पर सफाई नहीं होगी तो शहर नारकीय हो जायेगा. सिर्फ मेरे दिक्कत से सबको फायदा होता है, तो इतनी दिक्कत स्वीकार है.
ठंड में दिक्कत तो है, पर लोगों का भरोसा कैसे तोड़ें
कोहरे और ठंड में समय पर बस आ रही. कैसे हो रहा यह सब और इसके चालक कैसे कर रहे पूछे जाने पर भागलपुर से रांची जानेवाले बस के चालक राजेश ने बताया कि बहुत परेशानी है. कुछ दिखता नहीं. बस में सब सोये रहते हैं, पर अपनी पलक नहीं झपके इसके लिए रोज सुबह भगवान से प्रार्थना करते हैं. 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से बस चलाते हैं. ठंड लगती है, पर ज्यादा ख्याल उन लोगों के परिवार का आता है, जो मेरे भरोसे बस में सोये या बैठे हैं. इसलिए चाहे कुछ हो जाये, सुरक्षित सफर पूरा कराता हूं.
माल समय पर नहीं पहुंचा, तो मैं बेकार हूं
रोज सैकड़ों ट्रक सड़कों पर दौड़ते हैं. अनजान रास्ते, पर लक्ष्य तय होता है. हर हाल में जगह पर माल पहुंचाना. रास्ते की भी पहचान नहीं, ऊपर से जानलेवा कोहरा और ठंड. क्या ख्याल आता है मन में पूछने पर कहते हैं संतोष कुमार कि रोज नया सफर है, पर मन में यही रहता है कि हर हाल में समय पर सामान पहुंचाना है. कई बार खाना नहीं मिलता, सड़कें भी टूटी होने के कारण गाड़ी भी खराब होती है, पर माल को समय पर नहीं पहुंचाया तो फिर जीना क्या.
लोगों की चले गाड़ी, तो अपनी भी जिंदगी चलेगी
पेट्रोल पंप पर काम करने वाले बिहपुर के मड़वा गांव निवासी लक्ष्मण कुमार ने कहा कि ठंड तो लगती है लेकिन काम करना भी तो जरूरी है. पंप पर नाइट ड्यूटी लगी है. रात में आने वाली गाड़ियों में पेट्रोल डीजल भरते हैं. जिंदगी इसी के भरोसे चलती है. घर परिवार सब कुछ इसी नौकरी के भरोसे चल रहा है. ठंड का क्या है किसी तरह काट लेते हैं. पिछले कुछ दिनों से ठंड बढ़ने से थोड़ी असुविधा तो हो ही रही है. हालांकि ठंड और कुहासे के कारण गाड़ियां कम ही आ रही हैं.
सबकी सुरक्षा होगी तभी हम भी रह सकेंगे सुरक्षित
सुभाष सिंह मुंदीचक में नाइट गार्ड की नौकरी करते हैं. वे रात भर जग कर मोहल्लेवासियों को सुरक्षा देते हैं. इस ठंड में भी वे बुधवार को अपने काम पर मुस्तैद थे. उन्होंने बताया कि ठंड में चोरी की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इस कारण सजगता और सतर्कता बरतनी पड़ती है. ठंड तो लगती है लेकिन जिंदगी की गाड़ी चलाने के लिए नौकरी करनी भी तो जरूरी है. ठंड से बचाव के लिए स्वेटर जैकेट रखते हैं. घंटे-घंटे पर राउंड लगाना पड़ता है, नींद नहीं आये इसका ध्यान रखते हैं.

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