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पर्ची ले भटकते रहे मरीज, 13 ऑपरेशन टल गये

भागलपुर : प्राइवेट डाॅक्टर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को खत्म कर नेशनल मेडिकल काउंसिल गठित किये जाने के विरोध में मंगलवार को आइएमए के आह्वान पर चिकित्सकों का कार्य बहिष्कार रहा. इसके चलते जिले जेएलएनएमसीएच और सदर अस्पताल में न ओपीडी चला और न ही ऑपरेशन हुए. लगभग 13 ऑपरेशन मायागंज में टाल दिये गये. […]

भागलपुर : प्राइवेट डाॅक्टर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को खत्म कर नेशनल मेडिकल काउंसिल गठित किये जाने के विरोध में मंगलवार को आइएमए के आह्वान पर चिकित्सकों का कार्य बहिष्कार रहा. इसके चलते जिले जेएलएनएमसीएच और सदर अस्पताल में न ओपीडी चला और न ही ऑपरेशन हुए. लगभग 13 ऑपरेशन मायागंज में टाल दिये गये. यह पूर्व निर्धारित ऑपरेशन थे. हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं चालू रही. जेएलएनएमसीएच में तय समय पर ओपीडी खुला.

मगर, आइएमए की टीम ने पहुंच कर ओपीडी में काम बंद करा दिया. दोबारा लगभग 11.45 बजे ओपीडी में मरीजों का इलाज शुरू किया गया. इस बीच जो मरीज पहुंचे और पर्ची कटायी, उन्हें चिकित्सकीय सेवाएं नहीं मिल सकी. चिकित्सक ड्यूटी पर थे, लेकिन कार्य बहिष्कार कर रखा था. दोपहर लगभग दो बजे तक 315 पर्ची ही कटी थी. वहीं, इतने समय में समान्य दिनों में तकरीबन 1400 पर्ची कटती है और मरीजों की जांच की जाती है. यही हाल, सदर अस्पताल की भी रही.

ओपीडी खुला मगर, यहां भी आइएमए की टीम पहुंची और काम को बंद करा दिया गया. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल व सदर अस्पताल दोनों को मिला कर रोजाना दो हजार मरीजों की जांच होती है. इसके अलावा प्राइवेट में लगभग पांच हजार मरीजों की हर दिन जांच होती है मगर, चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार से मरीजों की जांच नहीं हो सकी. शाम छह बजे के बाद से ओपीडी व प्राइवेट अस्पतालों में स्थिति सामान्य हो गयी. ओपीडी बंद कराने वालों में डाॅ डीपी सिंह, डाॅ एसपी सिंह, डाॅ महेश कुमार, डाॅ संजय कुमार सिंह, डाॅ विनय कुमार, डाॅ संदीप लाल, डाॅ सोमेन चटर्जी, डाॅ मणिभूषण, डाॅ विनय कुमार झा, डाॅ कुमार सुनित, डाॅ संजय सिंह व अन्य मौजूद थे. सदर अस्पताल के गायनी में ड्यूटी पर तैनात डाॅ अल्पना मित्रा ने एक घंटे के अंदर 18 मरीजों की जांच भी कर ली और बाद में हड़ताल की बात कह कर वह अपनी सीट से उठ गयी. वहीं, जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में जहां पर्ची कट रहा था, वहां मौजूदा कर्मचारी द्वारा मरीजों से यह कहते नजर आया कि दूसरे दिन आकर डॉक्टर से जांच करा लीजियेगा.

इमरजेंसी में मरीजों की हुई जांच
पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटर (निजी) छह बजे तक बंद रहे. मायागंज अस्पताल में इमरजेंसी मरीजों की जांच होती रही. लेकिन, सामान्य जांच बंद रही. प्राइवेट अस्पताल के बंद रहने से इमरजेंसी(मायागंज) में भरती होने वाले मरीजों की संख्या 55-60 से बढ़ कर 75 से 80 तक हो गयी थी. मायागंज में इंटर्न डॉक्टरों को जांच व इलाज की कमान संभालनी पड़ी. सदर अस्पताल में ओपीडी लगभग ठप सी रही.
डॉक्टरों की सांकेतिक हड़ताल पूरे जिले में सफल रही. यह हड़ताल प्रस्तावित नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के विरोध में थी. आकस्मिक सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया था. डेंटल एसोसिएशन की भी इस हड़ताल में पूर्ण भागीदारी रही. आइएमए स्टूडेंट विंग ने भी एनएमसी बिल व प्रस्तावित एक्जिट एक्जाम का विरोध किया. एनएमसी बिल सांसद में परित नहीं हो पाया. फिलहाल उसे संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया गया है.
डाॅ कुमार सुनीत, सचिव, आइएमए
एनएमसी बिल के विरोध सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक इमरजेंसी सेवाओं को छोड़ हर प्रकार के जांच-इलाज का बहिष्कार किया गया. मायागंज हॉस्पिटल में करीब डेढ़ दर्जन पूर्व निर्धारित ऑपरेशन टाले गये. इसी तरह इमरजेंसी मरीजों को छोड़ हर प्रकार की जांच का काम ठप रहा.
डॉ मृत्युंजय चौधरी, अध्यक्ष, आइएमए भागलपुर
एनएमसी बिल बहुत ही अव्यावहारिक है. इसके लागू होने से एमबीबीएस स्टूडेंट एक तरफ कुल 18 परीक्षा देंगे. प्रैक्टिस करने के लिए भी एक परीक्षा देनी होगी. साथ ही इस एनएमसी के कमेटी में एक आइएएस को रखा जाना बहुत ही अव्यावहारिक निर्णय है.
डॉ दिव्या सिंह, सदस्य आइएमए भागलपुर

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