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कई मामले रहे अनसुलझे तो कई में मिली सफलता

लेखा-जोखा. भागलपुर पुलिस के लिए मिलाजुला रहा साल 2017, दारोगा हत्याकांड व बमबाजी के मामले रहे सुर्खियों में भागलपुर : साल 2017 के जश्न में जब पूरी दुनिया डूबी हुई थी तो उसी वक्त भागलपुर पुलिस अपराधियों से जूझ रही थी. साल 2017 के पहले ही दिन दो गुटों के हुई वर्चस्व की लड़ाई में […]

लेखा-जोखा. भागलपुर पुलिस के लिए मिलाजुला रहा साल 2017, दारोगा हत्याकांड व बमबाजी के मामले रहे सुर्खियों में

भागलपुर : साल 2017 के जश्न में जब पूरी दुनिया डूबी हुई थी तो उसी वक्त भागलपुर पुलिस अपराधियों से जूझ रही थी. साल 2017 के पहले ही दिन दो गुटों के हुई वर्चस्व की लड़ाई में गोलियों की तड़तड़ाहट से भागलपुर थर्रा गया था. एक जनवरी को ही नाथनगर क्षेत्र के मधुसूदनपुर थाना क्षेत्र के भीमकित्ता चौक पर दो गुट के बीच हवाई फायरिंग की गयी थी.
इस दौरान बदमाशों ने विरल यादव पर गोलियां बरसाकर जान लेने का प्रयास किया था हालांकि विरल यादव इस गोलीबारी में बाल-बाल बच गये थे. चार जनवरी को तिलकामांझी थानाक्षेत्र के विक्रमशिला कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड डीएसपी अशोक कुमार यादव के घर में बने कपड़ा सुखाने वाले तार पर 13 वर्षीय राहुल उर्फ छोटू का शव लटकता मिला था. छोटू की मां सुलेखा देवी रिटायर्ड डीएसपी के घर बताैर नौकरानी का काम करती थी.
इसी तरह 26 जनवरी 2017 को हबीबपुर थानाक्षेत्र के अंबे पोखर में स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा को तत्कालीन सदर एसडीओ कुमार अनुज ने जबरदस्ती हटवा दिया था. इस मुद्दे पर दो वर्ग विशेष आमने-सामने आ गये थे. इस दौरान पुलिस-प्रशासन के पदाधिकारियों पर ग्रामीणों ने पथराव भी किया था. प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज तक करवा दिया था. एहतियातन क्षेत्र में धारा 144 लागू करना पड़ा. मौके पर पहुंचे डीएम आदेश तितरमारे, तत्कालीन डीडीसी अमित कुमार व एसएसपी मनोज कुमार को मोर्चा संभालना पड़ा था. बाद में पुुलिस-प्रशासन व क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों ने पहल की और भागलपुर को दंगे की आग में झुलसने से बचा लिया था.
22 फरवरी 2017 को नवगछिया के उजानी गांव में भतीजे मो फैजान ने अपने सगे व नेत्रहीन चाचा मोहम्मद दुक्खन (55 वर्ष) व चाची अंजुम खातून (45 वर्ष) को पहले बैट से मार-मारकर अधमरा किया फिर धारदार हथियार से हत्या कर दी थी. 14 जून को तिलकामांझी थानाक्षेत्र के शीतला स्थान के पास सगे भाई उचित ठाकुर (80 वर्ष) व देवनाथ ठाकुर (75 वर्ष) की हत्या कर दी गयी थी. पुलिस जब अंदर गयी तो उस वक्त छोटे भाई देवनाथ ठाकुर की लाश सड़ चुकी थी. इस मामले में कहा जा रहा था कि जिस मकान में हत्या की गयी थी उसी मकान को कब्जे को लेकर दोनों भाईयों की हत्या की गयी थी. 27 सितंबर को दोपहर साढ़े 12 बजे मायागंज हॉस्पिटल के मुख्य गेट से चंद कदम की दूरी पर ही दो बदमाशों ने तातारपुर थानाक्षेत्र के काजवली चक निवासी बुलबुल देवी को दौड़ा-दौड़ाकर धारदार हथियार से दस वार करके मार डाला था. इस मामले में मृतका के देवर रामजाने व भतीजा रामहरि निवासी झारखंड के खिलाफ बरारी थाने में मुकदमा दर्ज हुआ. इस मामले में तीन अब तक गिरफ्तार हुए हैं लेकिन असली अभियुक्त अभी भी फरार हैं.
चार नवंबर को जेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी में भर्ती नवजात बच्ची को चुरा लिया लिया गया. बाद में नवजात बच्ची को मायागंज परिसर से ही बरामद कर लिया गया. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर शिशु रोग विभाग में पीजी स्टूडेंट रही डॉ रेणु भारती के खिलाफ तिलकामांझी थाने में मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन तमाम कवायद के बावजूद अभी भी डॉ रेणु पुलिस की गिरफ्त से बाहर ही है. 19 नवंबर की रात में जोगसर थानाक्षेत्र के हनुमाननगर अपार्टमेंट के कमरा नंबर 101 में बिहपुर थानाक्षेत्र निवासी इंटर की छात्रा को शराब पिलाकर गैंगरेप किये जाने का मामला प्रकाश में आया.
मेडिकल जांच रिपोर्ट में छात्रा के साथ रेप की पुष्टि हुई. इस मामले में बिहपुर क्षेत्र निवासी मनीष सिंह व रंगरा क्षेत्र निवासी सन्नी सिंह के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज हुआ. बाद में मनीष ने कोर्ट में सरेंडर किया जबकि सन्नी सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 20 नवंबर की सुबह करीब छह बजे जीरोमाइल थानाक्षेत्र के इंजीनियरिंग कॉलेज के समीप टेंपो में जा रही नर्स अंजनी कुमारी की बाइकसवार दो बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
इस हत्याकांड की मास्टर माइंड मधु गुप्ता अभी भी फरार है जबकि मधु के पति, बेटे व दो अन्य लोगों को जेल भेजा जा चुका है. जबकि अंजनी के शूटर कुलदीप यादव व श्रवण चौधरी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं.
खुद के दामन पर लगे दाग को धोती रही पुलिस
वसूली को लेकर मनमानी के मामले में पुलिस के दामन दाग साल भर लगते रहे. इन दागों को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर पुलिस के आलाधिकारी धोते रहे. 15 जून को विक्रमशिला पुल पर तैनात रहे सिपाहियों ने ट्रक ड्राइवर को इसलिए पीटा क्यों कि उसने वसूली नहीं दी. इस वारदात को एक युवक ने अपने कैमरे में कैद कर लिया और विडियो क्लिप डीआइजी विकास वैभव व एसएसपी मनोज कुमार तक पहुंचा. डीआइजी कार्यालय में तैनात रहे सिपाही रुपेश कुमार ने विडियाे क्लिप देने वाले युवक को धमका दिया. इसके बाद डीआइजी ने सिपाही रूपेश कुमार व पुल पर तैनात आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था.
इसी क्रम में 12 जून को सभी कागजात रहने के बावजूद मिर्जाचौकी बिहार बैरियर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने एक ट्रक ड्राइवर से वसूली की थी. इस मामले में भी डीआइजी विकास वैभव ने मिर्जाचौकी पर तैनात रहे दारोगा गजेंद्र सिंह समेत तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था. इसी तरह पांच जुलाई को रेलवे स्टेशन चौक स्थित पिकेट में चार सिपाहियों को शराब में धुत होना स्वयं एसएसपी मनोज कुमार ने पाया था. बाद में सिपाही मधुकर सुमन, शशिकांत, राबिन पांडेय व राजीव रंजन को एसएसपी मनोज कुमार ने सस्पेंड कर दिया था. इसी तरह नवंबर माह में नाथनगर थाने में बैठे डीएसपी सिटी शहरियार अख्तर ने थाने के एएसआइ एके अकेला को नशे में धुत पाया था. इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया.
साल 2017 के अपराधों की समीक्षा करें तो पायेंगे कि जनवरी 2017 से लेकर अक्टूबर माह के बीच कुल दस माह के कार्यकाल में 65 रेप की घटनाएं हुई. मतलब हर पांचवें दिन आधी आबादी की अस्मत लूटी जाती रही. इसके अलावा दस माह के अंदर नौ डकैती, 827 चोरी, 332 छोटे-बड़े दंगे, 268 अपहरण के मामले जिले के विभिन्न थानों में दर्ज किये गये.
तिलकामांझी इंस्पेक्टर की हत्या ने दी पुलिसिया इकबाल को चुनौती
साल 2017 की पहली तिमाही अर्थात 19 मार्च की रात में तिलकामांझी थानाक्षेत्र के हवाई अड्डा परिसर में हत्यारों ने तत्कालीन तिलकामांझी थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर विजय चंद्र शर्मा की हत्या कर दी थी और इस हत्या को ऐसे दर्शाया कि मानो यह हत्या न होकर दुर्घटना हो. इस घटना ने पुलिस के इकबाल को ही चुनौती दे डाली थी. लोगों के जेहन में यह बात बार-बार आयी कि जब पुलिस ही सुरक्षित नहीं तो आम जन कहां तक सुरक्षित है. मृतक इंस्पेक्टर के परिजन शुरू से ही इसे हत्या करार दे रहे थे.
लेकिन पुलिस के जिम्मेदार इसे मानने को तैयार ही नही थे. लेकिन 30 मई को फारेंसिक साइंस लैबोरेट्री की रिपोर्ट ने इस घटना को इंस्पेक्टर की हत्या करार दिया. और 30 मई को ही इंस्पेक्टर की पत्नी प्रियंका कुमारी के आवेदन पत्र के आधार पर तिलकामांझी थाने में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ धारा 302, 201 आइपीसी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. डीआइजी विकास वैभव ने इस घटना की जांच की जिम्मेदारी डीएसपी लॉ एंड आर्डर राजेश सिंह प्रभाकर व डीएसपी सिटी शहरियार अख्तर को सौंपा और इस जांच की मानीटरिंग का जिम्मा एसएसपी मनोज कुमार को दिया.
बाद में परिजनों ने इस घटना की जांच सीबीआइ से कराने को लेकर डीआइजी कार्यालय पर धरना भी दिया. लेकिन डीआइजी ने परिजनों के इस अनुरोध को ठुकरा कर सीआइडी से कराने को सहमति जतायी. अब जबकि साल बीतने को है लेकिन इस हत्याकांड का खुलासा आज तक नहीं हो सका है. पुलिस के इकबाल को चुनौती देने की दूसरी घटना 15 दिसंबर को हुई. जब बालू माफियाओं द्वारा गश्ती पर निकली कजरैली थाने की पुलिस पर बालू माफियाओं द्वारा ट्रैक्टर ट्रॉली से कुचलने का असफल प्रयास रहा.
उपलब्धि
एक तरफ साल भर अपराधी अपराधों को अंजाम देकर पुलिस का हौसला पस्त करते रहे. दूसरी तरफ पुलिस ने ज्यादातर मामले में वर्कआउट करने में कामयाबी हासिल की. इसके अलावा पूरे जिले में अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलाकर पुलिस ने जिले के सैकड़ों शराब कारोबारियों को इस साल जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया. जनता के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य के तहत दिसंबर माह में सैंडिस कंपाउंड में दारोगा पद के अभ्यर्थियों के लिए निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की. यही नहीं नौ दिसंबर को ही बरहपुरा स्थित ईदगाह मैदान में लोक संवाद गोष्ठी व फुटबाल मैच का आयोजन किया गया था.
पुलिस विभाग की नाकामी
साल भर शहर के विभिन्न थानाक्षेत्रों में बदमाश बमबाजी की घटनाओं को अंजाम देते रहे और पुलिस उनकी परछाई भी नहीं छू सकी. अकेले दिसंबर माह में आठ दिन के अंदर बमबाजी की चार घटनाएं बरारी व मोजाहिदपुर थानाक्षेत्र में घटित हुई. इसके अलावा साइबर क्राइम पर लगाम कस पाना पुलिस के लिए चुनौती है. भागलपुर में अपहरण, रंगदारी, जमीन कब्जा, हत्या व रेप के मामले इस साल ज्यादा हुए. इन पर पुलिस लगाम कस पाने में असफल रही.

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