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पॉलिटेक्निक में ‘जुगाड़’ की इंजीनियरिंग

विडंबना 4 11 माह के टीचर संवार रहे 175 जूनियर इंजीनियर का भविष्य ठेके पर शिक्षा, शिक्षकों के 39 स्वीकृत पद, रेगुलर टीचर छह 5.22 लाख खर्च कर लगी लीज लाइन, किराये के 40 हजार नहीं एक करोड़ खर्च कर बना गर्ल्स हॉस्टल, दो साल से खुला नहीं ताला भागलपुर : इंजीनियरिंग बदला, लेकिन नहीं […]

विडंबना 4 11 माह के टीचर संवार रहे 175 जूनियर इंजीनियर का भविष्य

ठेके पर शिक्षा, शिक्षकों के 39 स्वीकृत पद, रेगुलर टीचर छह
5.22 लाख खर्च कर लगी लीज लाइन, किराये के 40 हजार नहीं
एक करोड़ खर्च कर बना गर्ल्स हॉस्टल, दो साल से खुला नहीं ताला
भागलपुर : इंजीनियरिंग बदला, लेकिन नहीं बदला पॉलिटेक्निक कॉलेज. पॉलिटेक्निक कॉलेज में ‘जुगाड़’ की इंजीनियरिंग चल रही है. शिक्षा को ठेके पर दे दिया गया है. हर 11 माह पर बदल जाने वाले कांट्रेक्ट टीचर 175 जूनियर इंजीनियर का भविष्य संवार रहे हैं. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) की गाइड लाइन को ठेंगा दिखाया जा रहा है. करीब एक करोड़ खर्च कर 50 सीट का गर्ल्स हॉस्टल तैयार किया गया, लेकिन निर्माण कार्य मुकम्मल होने के दो साल बाद भी आज तक इसमें ताला ही लगा हुआ है.
5.22 लाख खर्च कर कॉलेज में लीज लाइन लगायी गयी, लेकिन हर माह किराये के लिए 40 हजार का आवंटन नहीं किया गया. नतीजन लीज लाइन डिसकनेक्ट हो चुकी है. शिक्षकों की कमी के अलावा लैबोरेटरी, क्लास रूम और जंग लगी मशीनरी से टेक्निकल एजुकेशन दी जा रही है. लखीसराय पॉलिटेक्निक में एआइसीटीइ के द्वारा नामांकन पर रोक लगाने के बाद अब भागलपुर पॉलिटेक्निक के लिए भी खतरे की घंटी बज गयी है.
मैथ, फिजिक्स, केमिस्ट्री के ‘मेहमान’ शिक्षक : पॉलिटेक्निक में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रानिक्स, कम्यूनिकेशन स्किल के एक भी रेगुलर या कांटेक्ट टीचर नहीं है. गेस्ट टीचर के भरोसे इन विषयों की पढ़ाई हो रही है. हर विषयों के लिए दो-दो गेस्ट टीचर रखे गये हैं. पॉलिटेक्निक में एग्रिकल्चर के कम स्टूडेंट हैं, जबकि इसके दो रेगुलर टीचर हैं. इस तरह टेक्सटाइल में भी छात्रों की संख्या कम है, लेकिन दो टीचर हैं. इलेक्ट्रानिक्स के एक रेगुलर शिक्षक हैं. सबसे अधिक स्टूडेंट सिविल के होते हैं.
मगर सिविल के एक भी रेगुलर टीचर नहीं है. सिविल में चार कांट्रेक्ट टीचर रखे गये हैं. मैकेनिकल के लिए दो कांट्रेक्ट टीचर रखे गये हैं. यहां शुरू में डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती थी. 1977 में डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, 1994 में टेक्सटाइल, 2004 में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग और 2008 में इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू हुई. कोर्स बढ़ते गये, लेकिन शिक्षक घटते गये.
कैसे पाते हैं प्रवेश
बिहार कंबाइंड इंट्रेस कंपीटीटिव एग्जामिनेशन बोर्ड (बीसीइसीइ) के परीक्षा में सफल होने वाले छात्रों का यहां नामांकन होता है. 20 फीसदी सीट पर लेटेरल इंट्री भी होती है. इसमें आइटीआई, वोकेशनल, व आइएससी के छात्रों की काउंसेलिंग के बाद एंट्री होती है.
ये है ‘कांट्रेक्ट’ एजुकेशन
1955 में स्थापित राजकीय पॉलिटेक्निक भागलपुर में शिक्षकों के स्वीकृत पदों की संख्या 39 है, जिसमें रेगुलर टीचर सिर्फ छह हैं. 10 कांट्रेक्ट टीचर हैं. 11 माह के लिए इन्हें ठेके पर रखा जाता है. टीचर के लिए बैचलर डिग्री इन इंजीनियरिंग में फर्स्ट क्लास से पास होने की शर्त है. ठेके पर आने वाले टीचर पढ़ाने से अधिक अपने भविष्य को लेकर ही चिंतित रहते हैं. प्रति कक्षा इन्हें आठ सौ और हर माह अधिकतम 30 हजार रुपये तक का भुगतान किया जाता है. वर्कशॉप सुपरिटेंडेंट व इंस्ट्रक्टर के पद भी ठेके से भरे गये हैं. स्थायी प्रिंसिपल भी नहीं हैं. एग्रीकल्चर के शिक्षक जेएल राय 2004 से प्रभारी प्रिंसिपल का कार्यभार संभाल रहे हैं.
प्रभारी प्रिंसिपल जेएल राय कहते हैं कि 90 वर्किंग डे का कैलेंडर है. स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन बिहार एग्जामनिंग बॉडी है. संसाधन के मुताबिक प्रबंधन काम कर रहा है. स्टूडेंट को क्वालिटी एजुकेशन दिलाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
एआइसीटीइ की गाइड लाइन
एआइसीटीइ से पॉलिटेक्निक टेस्ट पास करना होता है. हर साल ऑनलाइन एप्रूवल लेनी होती है. गाइड लाइन के मुताबिक टीचर-स्टूडेंट के बीच 16-एक का रेसियो चाहिए. कक्ष की पर्याप्त संख्या होनी चाहिए. वर्कशाप व सेमिनार जरूरी है. लेबोरेटरी सुसज्जित हो. सिलेबस के हिसाब से उपकरण हो. फायर सेफ्टी का इंतजाम हो
240 सीट, 175 एडमिशन
पॉलिटेक्निक में पांच कोर्स के लिए 240 सीट है, लेकिन नामांकित छात्रों की संख्या 175 ही है. एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में 30 सीट में 21, टेक्सटाइल में 30 में 12, कंप्यूटर में 60 सीट में 24 ही नामांकित हैं. सिविल में सभी 60 सीट भरे हैं.

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