पेंशन सहित रिटायरमेंट का सारा लाभ देने के लिए कहा है. नरेश तिवारी पीजी हिंदी विभाग में कार्यरत थे. वर्ष 2012 में उनका रिटायरमेंट हो गया था. हालांकि रिटायरमेंट के बाद भी 18 माह तक विभाग में काम किया. पूर्व कुलपति ने भरोसा दिया था कि 18 माह का भुगतान किया जायेगा, लेकिन अबतक विवि से इस राशि का भुगतान नहीं किया गया है.
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खुद के पैसे के लिए दौड़ते-दौड़ते हो गयी मौत पत्नी पहुंची हाइकोर्ट, विवि को लगा जुर्माना
भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी हिंदी विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी नरेश तिवारी को पेंशन व उससे जुड़े लाभ अबतक नहीं देने पर हाइकोर्ट ने विवि पर पांच हजार का जुर्माना लगाया है व लेटलतीफी के लिए विवि प्रशासन को फटकार लगायी है. कोर्ट ने निर्देश जारी कर विवि से कहा कि 18 दिसंबर को […]
भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी हिंदी विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी नरेश तिवारी को पेंशन व उससे जुड़े लाभ अबतक नहीं देने पर हाइकोर्ट ने विवि पर पांच हजार का जुर्माना लगाया है व लेटलतीफी के लिए विवि प्रशासन को फटकार लगायी है. कोर्ट ने निर्देश जारी कर विवि से कहा कि 18 दिसंबर को कर्मचारी से जुड़े सारे कागजात के साथ पेश हो.
पेंशन केस मामले में कर्मचारी की हुई मौत: पुत्र छोटू तिवारी ने बताया कि पेंशन लाभ के लिए विवि में सारे कागजात देने के बाद भी लाभ नहीं दिया गया. वर्ष 2016 में हाइकोर्ट की शरण में गये. केस को लेकर पटना लगातार दौड़ रहे थे. नौ सितंबर 2017 को पटना में उनकी हालत बिगड़ गयी. इस दौरान पिता की मौत पटना में हो गयी. पिता के निधन के बाद पेंशन केस को लेकर मां ने कोर्ट से गुहार लगायी थी.
घर में खाने के लिए पैसे नहीं: नरेश तिवारी की पत्नी पुष्पलता तिवारी ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद से घर में खाने तक के पैसे नहीं थे. इसे लेकर पति काफी परेशान थे. पेंशन का लाभ लेने के लिए सारे कागजात पति ने विवि में दिया था. इसके बाद भी विवि ने पेंशन व रिटायरमेंट का लाभ नहीं दिया. पति के निधन के बाद कोर्ट से कहा था कि घर की स्थिति काफी खराब है. खाने तक के लिए पैसे नहीं जुट रहे है. जबकि नौकरी के कार्यकाल में पति का ज्यादा समय विवि में ही कटा है. विवि प्रशासन के इस रवैये से काफी दुख पहुंचा है.
विश्वविद्यालय को पता नहीं, केस की तारीख
अलग-अलग मामलों में हाइकोर्ट में टीएमबीयू के खिलाफ केस चल रहा है, लेकिन विवि के लीगल सेक्शन के लोगों को पता नहीं रहता है. कि केस की तिथि कब है. पेंशन मामले को लेकर विवि को कोर्ट के पांच हजार के जुर्माना से बचा जा सकता था, लेकिन लीगल सेक्शन को इसकी जानकारी ही नहीं थी. जब केस अंतिम चरण में पहुंच चुका है. लीगल सेक्शन के अधिकारी के द्वारा मॉनीटरिंग नहीं की जाती है. ऐसे में कोर्ट द्वारा जुर्माना लगाने से विवि की छवि धूमिल हो रही है. इसके लिए विवि ही जिम्मेदार माना जायेगा.
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