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अब तालाब की मिट्टी का सड़कों के निर्माण में होगा उपयोग, सड़क संवारेगी तालाब की सूरत
भागलपुर : तालाबों के संरक्षण के लिए न तो कोई अभियान चलेगा और न इसके लिए कोई बढ़-चढ़ कर सहयोग करेंगे. फिर भी तालाब की सूरत संवरेगी. अरसे से जिले में उपेक्षित पड़े तालाब के दिन अब बहुरने वाले हैं. यहां कोई चमत्कार नहीं होने वाला है, बल्कि तालाब से मिट्टी निकाल कर सड़कें बनायी […]
भागलपुर : तालाबों के संरक्षण के लिए न तो कोई अभियान चलेगा और न इसके लिए कोई बढ़-चढ़ कर सहयोग करेंगे. फिर भी तालाब की सूरत संवरेगी. अरसे से जिले में उपेक्षित पड़े तालाब के दिन अब बहुरने वाले हैं. यहां कोई चमत्कार नहीं होने वाला है, बल्कि तालाब से मिट्टी निकाल कर सड़कें बनायी जायेंगी. इससे तालाब की भी सूरत संवरेगी.
दरअसल, एक तरफ सड़क बनाने के लिए मिट्टी नहीं मिल रही है, तो दूसरी ओर तालाब भी सूख रहे हैं. दोनों की गतिविधियां आपस में जुड़ने से समस्याओं का एक साथ समाधान संभव होगा. पथ निर्माण विभाग विभाग, पटना ने एनएच सहित विभाग के चीफ इंजीनियरों को निर्देश दिया है कि सड़क बनाने के लिए तालाब की मिट्टी के उपयोग को प्रावधान में लायें. पथ निर्माण और एनएच विभाग के डिवीजन को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
मिट्टी मिलने में आ रही समस्या को देखते हुए लिया फैसला : सड़क निर्माण के लिए मिट्टी की बढ़ती जरूरत को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. जिस सड़क का निर्माण हो रहा है, उसके एक किलोमीटर के दायरे में स्थित तालाब से मिट्टी काट कर सड़क बनायी जायेगी. इन दोनों गतिविधियों को आपस में जोड़ने का यह कारगर प्रयास है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, नयी दिल्ली की ओर से राज्य को चिट्ठी लिखकर सहयोग मांगा गया जिस पर राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है. बता दें कि भागलपुर में 944 सरकारी तालाब है. इसमें 77 तालाबों से अतिक्रमण हटाया जा चुका है. शेष अन्य में 43 तालाब पर स्थायी अतिक्रमण है और 34 पर अस्थायी अतिक्रमण है.
जानें, राज्य को लिखे पत्र में मंत्रालय ने क्या कहा है : मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम के तहत देशभर में सड़कों का निर्माण हो रहा है. इसके लिए बड़े पैमाने पर मिट्टी की जरूरत पड़ती है. आम तौर पर सड़क निर्माण से जुड़ी कंपनियां और ठेकेदार इस मिट्टी का इंतजाम किसानों से खरीदकर और उसकी खुदाई करके करते हैं. एक तरफ जहां यह स्थिति है, वहीं दूसरी तरफ इलाके सूखे की मार झेल रहे हैं. इस समस्या का एक संभावित समाधान है. मिट्टी की कमी को पूरा करने के लिये आवश्यकतानुसार तालाबों एवं पोखरों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार किया जा सकता है. यदि इन दोनों गतिविधियों को जोड़ दिया जाये तो दोनों समस्याओं का एक साथ समाधान संभव है.
बाइपास के लिए अब मिट्टी की कमी होगी दूर : मिट्टी नहीं मिलने की समस्या से बाइपास के रुके कार्यों को अब गति मिलेगी. सड़क के लिए तालाब की मिट्टी उपयोग में लाने के इस फैसले से बाइपास के लिए मिट्टी की कमी दूर होगी. मालूम को कि मिट्टी नहीं मिलने से लगभग चार किमी में बाइपास रोड का अभी तक नहीं बन सकी है. इसमें डेढ़ किमी में आरओबी, फ्लाइ ओवर ब्रिज सहित पुल-पुलियों के एप्रोच रोड भी शामिल हैं.
सड़क बनाने के लिए तालाब की मिट्टी का उपयोग किया जायेगा. सरकार का यह फैसला है. मिट्टी नहीं मिलने की समस्या दूर होगी और तालाब का भी जीर्णोद्धार होगा.
राम अवधेश कुमार, चीफ इंजीनियर, एनएच, पटना
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