रहें सतर्क. ठगी के नये तरीके अपना रहे साइबर ठग, मेल या फोन से साधते हैं संपर्क
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अभी जमा करने में मदद करें, लौटा देंगे…
रहें सतर्क. ठगी के नये तरीके अपना रहे साइबर ठग, मेल या फोन से साधते हैं संपर्क जान-पहचान के लोगों के नाम से आ रहा ईमेल कुलपति जैसी शख्सीयत के नाम का भी हो रहा इस्तेमाल फंसाने के लिए तरह-तरह की अपनायी जा रही तकनीक भागलपुर : ‘आप कैसे हैं. आशा करते है आप ठीक […]
जान-पहचान के लोगों के नाम से आ रहा ईमेल
कुलपति जैसी शख्सीयत के नाम का भी हो रहा इस्तेमाल
फंसाने के लिए तरह-तरह की अपनायी जा रही तकनीक
भागलपुर : ‘आप कैसे हैं. आशा करते है आप ठीक हैं. इस समय आपको परेशान करने के लिए क्षमा करें. मैं एक यात्रा के लिए गया था और सोमवार तक वापस आ गया, लेकिन कुछ ऐसी स्थिति बनी, जिसे मुझे व्यवस्थित करने की आवश्यकता है. क्या आप मुझे किसी को जमा करने में मदद कर सकते हैं और बाद में मैं वापस लौटा दूंगा. अगर आप कर सकते हैं, तो मुझे बताएं.’
यही बातें अंग्रेजी में लिखकर किसी ऐसे शख्स का ईमेल आपके पास आ जाये, जिन्हें आप अच्छी तरह जानते हैं, तो कैसा महसूस करेंगे. यह मैसेज एक पूर्व कुलपति के नाम से आया. मेल नाम कुछ और मेल आइडी कुछ और. ऐसे ईमेल से लाजिमी है आप परेशान हो जायेंगे. संबंधित शख्स से मोबाइल पर कांटैक्ट करेंगे या फिर मेल पर रिप्लाई करेंगे. साइबर की दुनिया में नये तरीके की ठगी का प्रयास शुरू हो चुका है. कई लोगों को इस तरह का ईमेल आ रहा है. जो बगैर ऐसे मेल की पड़ताल के उनके बताये रास्ते पर चल पड़ते हैं, उन्हें ऐसे ठग लाखों का चूना लगा देते हैं.
2016 के सितंबर में पकड़ा गया था साइबर ठग. पटना के सचिवालय थाना में गत छह अप्रैल को तहीर लेन गर्दनीबाग रोड नंबर 16 के धीरेंद्र कुमार ने एक आवेदन दिया था. उसने पुलिस को बताया कि एक व्यक्ति ने उसे फोन पर बताया कि आपके नाम से लॉटरी निकली है. आपको 25 लाख रुपये की एक फॉरच्यूनर कार मिलेगी. कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आपको कुछ पैसे भेजने होंगे. उसके बताये अनुसार एक खाते में धीरेंद्र ने पहले एक लाख रुपये जमा किये.
इसके बाद इंश्योरेंस, रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन आदि के नाम पर कई किस्तों में लगभग 10 लाख 96 हजार आठ सौ रुपये अलग–अलग बैंकों में जमा कराये. लेकिन उसे लॉटरी नहीं मिली. उसने सचिवालय थाना में मामला दर्ज कराया था. खाता कहलगांव के एक बैंक का होने के कारण पटना व कहलगांव पुलिस के गुप्तचर सादे लिबास में नजर रखने लगे. एक 30–35 साल का युवक बैंक आया और रीप्ति शर्मा के नाम से वह आवेदन लिखने लगा. तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
ऐसे भी मांगते हैं ओटीपी नंबर
एक काॅल आया, कोई लड़की थी. बोली, सर, मैं जॉब के लिए रेजिस्ट्रेशन कर रही थी. गलती से आपका नंबर डाल दिया है, क्योंकि मेरे और आपके मोबाइल नंबर में काफी समानता है. आपके पास थोड़ी देर में एक ओटीपी आयेगा, प्लीज बता दो सर, जिंदगी का सवाल है. वह ऐसे बात कर रही थी, कि वह बिल्कुल जेनुइन हो. इनबॉक्स चेक किया, दो मैसेज आये थे. एक पर ओटीपी था, दूसरा एक मोबाइल से मैसेज आया. लिखा था, डीयर सर, आपके पास जो ओटीपी आया है,
प्लीज इस नंबर पर भेज दीजिये. फिर फोन आया. उसी लड़की की आवाज थी दूसरे नंबर से. बोली, या तो ओटीपी बता दो या फारवर्ड कर दो उस नंबर पर. ओटीपी बिना दिये फोन काट दिया. तभी बैंक का इमेल का नोटिफिकेशन स्क्रीन पर फ्लैश हुआ. बैंक का नोटिफिकेशन था, आप अपने इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड बदल लें. तब समझ में आया कि वह ओटीपी नंबर इसलिए मांग रही थी कि बैंक एकाउंट पर हाथ साफ कर सके.
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