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संदिग्ध डेंगू मरीज की मौत हॉस्पिटल को पता नहीं

भागलपुर: डेंगू मरीजों के इलाज को लेकर मायागंज हॉस्पिटल प्रशासन किस हद तक गंभीर है, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डेंगू मरीज पांच दिन तक मायागंज हॉस्पिटल में इलाज कराता है आैर अंततोगत्वा उसकी मौत हो जाती है, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन उसका एलिजा टेस्ट कराकर यह नहीं जान […]

भागलपुर: डेंगू मरीजों के इलाज को लेकर मायागंज हॉस्पिटल प्रशासन किस हद तक गंभीर है, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डेंगू मरीज पांच दिन तक मायागंज हॉस्पिटल में इलाज कराता है आैर अंततोगत्वा उसकी मौत हो जाती है, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन उसका एलिजा टेस्ट कराकर यह नहीं जान पाता है कि मरने वाला व्यक्ति डेंगू का शिकार था या नहीं.

हरियाणा प्रदेश के सोनीपत निवासी मोहम्मद रोहतास खान (48) बीते एक अक्तूबर को संदिग्ध डेंगू का मरीज मानकर मायागंज हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग (डॉ पी युगुल की यूनिट) में भर्ती किया जाता है. इलाज के दौरान पाया जाता है कि उसके लीवर में अल्सर है. हीमोग्लोबिन कम होने पर उसे तीन यूनिट खून चढ़ाया जाता है और प्लेटलेट्स कम होने पर उसे एक यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है.


विभागीय सूत्राें की माने तो उसका सैंपल लेकर उसे एलिजा टेस्ट के लिए कॉलेज भेज दिया जाता है. इधर मो रोहतास की हालत दिन ब दिन खराब होने लगती है. अंततोगत्वा मो रोहतास की रविवार की सुबह करीब दस बजे मौत हो जाती है. उसके मौत के बाद हॉस्पिटल के जिम्मेदार यह बताने में नाकामयाब रहते हैं कि मो रोहतास को डेंगू हुआ था अथवा नहीं. इस बाबत जब पैथोलॉजी विभाग में संपर्क किया गया, तो यहां पर तैनात एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मो रोहतास का एलिजा टेस्ट रिपोर्ट रविवार की शाम चार बजे तक हॉस्पिटल के पैथोलॉजी विभाग तक नहीं आयी थी.

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