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बाहर दवा की दुकानों पर लुट रहे मायागंज हॉस्पिटल के मरीज

भागलपुर : मरीजों को पूर्ण इलाज का दावा भले ही मायागंंज हॉस्पिटल प्रशासन करता रहे लेकिन सच्चाई यही है कि मायागंंज हॉस्पिटल में भर्ती मरीज बाहर की दवा खरीदने को बाध्य है. हॉस्पिटल के बाहर स्थित दवा की दुकानों पर मरीज न केवल एमआरपी से अधिक रेट पर दवा खरीदने को मजबूर हैं बल्कि एक्सपायरी […]

भागलपुर : मरीजों को पूर्ण इलाज का दावा भले ही मायागंंज हॉस्पिटल प्रशासन करता रहे लेकिन सच्चाई यही है कि मायागंंज हॉस्पिटल में भर्ती मरीज बाहर की दवा खरीदने को बाध्य है. हॉस्पिटल के बाहर स्थित दवा की दुकानों पर मरीज न केवल एमआरपी से अधिक रेट पर दवा खरीदने को मजबूर हैं बल्कि एक्सपायरी दवा तक खरीद कर अपनी जान को दांव पर लगा रहे हैं. इन सबसे हॉस्पिटल प्रशासन पूरी तरह से बेखबर है.

बाहर की दवा लिखने पर है सख्त मनाही : एमसीआइ के आदेश के क्रम में मायागंज हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा पहले ही हॉस्पिटल के चिकित्सकों के लिए एक आदेश जारी किया जा चुका है कि कोई भी चिकित्सक मरीज के लिए बाहर की दवा नहीं लिखेगा. लेकिन इस आदेश के बावजूद चिकित्सक बेखाैफ मरीजों को बाहर की दवा लिख रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो डॉक्टरों की इस बेखौफ के पीछे बाहर के दुकानदारों से निश्चित कमीशन का तय होना है. चिकित्सकाें के इस रवैये के कारण गरीब मरीज अपनी जान को दांव पर लगाकर एमआरपी से भी अधिक रेट पर दवा खरीदने को मजबूर हैं.
केस नंबर एक
सबौर थानाक्षेत्र के इंग्लिश फरका गांव निवासी मुन्नी देवी हाॅर्निया बढ़ने के कारण वे 20 अक्टूबर को मायागंज हॉस्पिटल में भर्ती होती है. 23 अक्टूबर को हॉर्निया का आपरेशन होता है. 24 अक्टूबर को हॉस्पिटल के डॉक्टर एक पुर्जी पर कुछ दवा का नाम लिख उसे खरीदने की सलाह देते हैं. बाहर उसके परिजन दवा लेने को जाते हैं तो एक दवा के एमआरपी वाले स्थान पर एक कागज चिपका पर उस पर एमआरपी 500 रुपये दर्ज हुआ होता है. जबकि कागज हटाये जाने पर उस पर एमआरपी 150 रुपये लिखा रहता है. 500 रुपये देकर परिजन दवा खरीद कर अपने घर को चले जाते हैं.
केस नंबर दाे
सन्हौला निवासी राम पुकार 23 अक्टूबर को इमरजेंसी में भर्ती होते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, उन्हें सीवियर हार्ट अटैक आया था. यहां डॉक्टर परिजनों को एक दवा पुर्जी पर लिख कर बाहर से खरीदने की सलाह देते हैं. राम पुकार का बेटा राजू हॉस्पिटल के बाहर एक दवा की दुकान पर खरीदने जाता है. दवा के पैकेट पर एक्सपायरी डेट जून 2017 दर्ज होता है. राजू उक्त दवा को वापस करने जाता है तो दवा का दुकान उसे वापस भी करने से इंकार कर देता है. हताश राजू तिलकामांझी स्थित एक दवा की दुकान से उक्त दवा लेकर आता है. इस तरह राजू को 325 रुपये की दवा को खरीदने के लिए उसे 650 रुपये खर्च करना पड़ता है.

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