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भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज संवरेगा, वर्ल्ड बैंक से मिलेगा 15 करोड़

भागलपुर: भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (बीसीइ) को अब वैश्विक पहचान मिलने वाली है. नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडेशन (एनबीए) से एक्रेडेशन मिलने के बाद बीसीई वाशिंगटन अकार्ड से जुड़ जायेगा. एनबीए के मापदंड पर खरा उतरने के लिए बीसीई ने तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए ईक्यूयूएटीई (इफेक्टिव क्वालिटी अपग्रेडेशन असिस्टेंस फॉर टेक्निकल एजुकेशन) की मदद […]

भागलपुर: भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (बीसीइ) को अब वैश्विक पहचान मिलने वाली है. नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडेशन (एनबीए) से एक्रेडेशन मिलने के बाद बीसीई वाशिंगटन अकार्ड से जुड़ जायेगा. एनबीए के मापदंड पर खरा उतरने के लिए बीसीई ने तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए ईक्यूयूएटीई (इफेक्टिव क्वालिटी अपग्रेडेशन असिस्टेंस फॉर टेक्निकल एजुकेशन) की मदद भी ली गयी है. यही नहीं वर्ल्ड बैंक से बीसीई को 15 करोड़ की आर्थिक मदद भी केंद्र सरकार के माध्यम से मिलने वाला है. इसके लिए बीसीई के द्वारा एक्शन प्लान तैयार किया जा चुका है.
बीसीइ होगा स्मार्ट : माथुर
एनपीआईयू के पूर्व सेंट्रल प्रोजेक्ट एडवाइजर व इक्यूयूएटीई के फाउंडर प्रेसीडेंट डॉ आरएन माथुर ने बताया कि स्मार्ट सिटी है तो बीसीइ भी स्मार्ट होने चाहिए. एनबीए के एक्रेडेशन से पहले हम कसौटी पर तौलने आये हैं. वाशिंगटन अवार्ड से जुड़ने के बाद कॉलेज को वैश्विक पहचान मिलेगी. वर्ल्ड बैंक से 15 करोड़ मिलेगा.
क्या है वाशिंगटन अकार्ड
वाशिगंटन अकार्ड इंटरनेशनल एग्रीमेंट है जो 17 देशों के बीच हुआ है. इसके तहत अंडर ग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम को अपग्रेड करना है. 13 जून 2014 से एनबीए वाशिंगटन अकार्ड का परमानेंट सिग्नेटरी मेंबर है.
मापदंड पर खरे उतरने का समझाने आये फंडा
एनबीए से एक्रेडेशन के लिए अप्लाई करने से पहले बीसीइ ने पैरामीटर पर खरे उतरने के लिए इक्यूयूएटीई की मदद ली है. 33 कॉलेजों को एक्रेडेशन दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले एनपीआईयू के पूर्व सेंट्रल प्रोजेक्ट एडवाइजर व इक्यूयूएटीई के फाउंडर प्रेसीडेंट व डॉ आरएन माथुर एनपीआईयू के पूर्व प्रोजेक्ट कोआर्डीनेटर व इक्यूयूएटीई के वाइस प्रेसीडेंट डॉ रजनी माथुर शनिवार को बीसीइ पहुंची. उन्होंने बीसीइ को मापदंड पर खरे उतरने का फंडा बताया.
एनबीए को करेंगे अप्लाई : प्रिंसिपल
बीसीइ के प्रिंसिपल प्रो निर्मल कुमार ने बताया कि वर्ल्ड बैंक से 15 करोड़ की मदद मिलेगी. इसका एक्शन प्लान तैयार किया गया है. जैसे-जैसे काम होगा उस हिसाब से राशि भेजी जायेगी. कॉलेज के बजाय संबंधित एजेंसी को यह राशि मिलेगी. एनबीए से एक्रेडेशन के लिए इक्यूयूएटीई कंसल्टेंटी ली गयी है. एनबीए को जल्द अप्लाई करेंगे.
200 कॉलेजों को 1400 करोड़ की मदद
एनपीआईयू के पूर्व प्रोजेक्ट कोआर्डीनेटर व इक्यूयूएटीई के वाइस प्रेसीडेंट डॉ रजनी माथुर ने बताया कि 15 साल का अभी थर्ड फेज का प्रोजेक्ट चल रहा है. इसमें लो इनकम स्टेट मसलन बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान को चुना गया है. इसके तहत 200 कॉलेजों में 1400 करोड़ की मदद सरकारी व प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की होगी.
पढ़ाई से नौकरी तक में मदद : वाशिंगटन अकार्ड से जुड़ने के बाद यहां के इंजीनियरों को ग्लोबल स्टैंडर्ड का एजुकेशन मिलेगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पढ़ाई से लेकर नौकरी में मदद मिलेगी. विदेश जाने पर उन्हें ब्रिज कोर्स नहीं करना होगा.
ये होंगे बदलाव : बीसीइ मेें मार्डनाइजेशन का काम होगा. स्मार्ट क्लास, लैबोरेट्री को आधुनिक बनाया जायेगा. टीचर्स को ट्रेनिंग दी जायेगी. ताकि वह ग्लोबल लेवल का एजुकेशन स्टूडेंट को दे सकें. स्टूडेंट को गेट परीक्षा के लिए पैसे मिलेंगे.

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