बिहार सरकार गृह विभाग के प्रधान सचिव ने पत्र लिख कर पैरलल लिस्निंग को लेकर जिलों के एसपी द्वारा भेजे जा रहे अधियाचना पत्र पर जतायी नाराजगी
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फोन पर लोगों की बात सुनना अब आसान नहीं
बिहार सरकार गृह विभाग के प्रधान सचिव ने पत्र लिख कर पैरलल लिस्निंग को लेकर जिलों के एसपी द्वारा भेजे जा रहे अधियाचना पत्र पर जतायी नाराजगी भागलपुर : कोई आपराधिक घटना हो और उसके उद्भेदन के लिए कई संदिग्धों का फोन नंबर पैरलल लिस्निंग (टारगेट किये गये नंबर पर कॉल करने और उस नंबर […]
भागलपुर : कोई आपराधिक घटना हो और उसके उद्भेदन के लिए कई संदिग्धों का फोन नंबर पैरलल लिस्निंग (टारगेट किये गये नंबर पर कॉल करने और उस नंबर से कॉल जाने पर होने वाली बातचीत को सुनना) ले लिया ताकि उनतक आसानी से पहुंचा जा सके और दोषी का पता लगाया जा सके. ऐसा अक्सर होता आ रहा है. पुलिस के लिए कांड के उद्भेदन के लिए फोन नंबरों को पैरलल लिस्निंग पर लेना सबसे आसान तरीका बन गया है. पर अब किसी दो व्यक्ति की बात सुनना आसान नहीं होगा.
विभिन्न जिलों के एसपी द्वारा पैरलल लिस्निंग के लिए अपने वरीय अधिकारियों को लगातार भेजे जाने वाले अधियाचना पत्र को लेकर गृह विभाग के प्रधान सचिव ने नाराजगी जाहिर की है. प्रधान सचिव ने कहा है कि किसी कांड के उद्भेदन के लिए पैरलल लिस्निंग को अंतिम विकल्प के रूप में रखा जाये. प्रधान सचिव ने आइजी, डीआइजी और एसपी को पत्र लिखा है.
कैसे लिया जाता है किसी का मोबाइल नंबर पीएल पर. किसी व्यक्ति का फोन नंबर पैरलल लिस्निंग पर लेने के लिए मजबूत आधार होना चाहिए. किसी आपराधिक घटना के बाद उसके उद्भेदन के लिए अपराधी, उसके रिश्तेदार, जान पहचान वाले या दोस्तों का नंबर पुलिस पैरलल लिस्निंग पर लेती है ताकि उन लोगों कर आपस में हो रही बातचीत को सुना जाये जिससे कांड के उद्भेदन में सहायता मिले. टारगेट नंबर को पीएल पर लेने के लिए जिले के एसपी द्वारा उस रेंज के डीआइजी को अधियाचना पत्र भेजा जाता है जिसमें पीएल पर लिये जाने वाले नंबर और उसका इस्तेमाल करनेवाले व्यक्ति के बारे में यह लिखना अनिवार्य होता है कि वह नंबर पीएल पर क्यों लिया जा रहा है और उससे कांड के उद्भेदन में क्या सहायता मिल सकती है. डीआइजी के यहां से अप्रूव होने के बाद अधियाचना पत्र आइजी के पास जाता है और वहां से मंजूरी मिलने के बाद उस नंबर को पीएल पर लिया जाता है. किसी नंबर को कुछ दिनों के लिए पीएल पर लिया जा सकता है, अधियाचना पत्र में दिन की संख्या तय रहती है.
क्या है पत्र में
कांड के उद्भेदन एंव साक्ष्य संकलन हेतु यथासंभव साधनों का प्रयोग किया जाये, पैरलल लिस्निंग का उपयोग अंतिम विकल्प के रूप में ही किया जाये.
एफआइआर से संबंधित सिर्फ उन मोबाइल नंबरों काे ही पैरलल लिस्निंग पर लिया जाये जो कांड के अनुसंधान एवं उद्भेदन में आवश्यक हो
किसी किसी कांड में एक से अधिक मोबाइल फोन को पैरलल लिस्निंग पर लिया जाना अावश्यक हो तो इस संबंध में विशिष्ट औचित्य दर्शाना होगा.
पैरलल लिस्निंग के अधियाचना पत्र में दिये गये प्रत्येक टारगेट नंबर के सब्सक्राइबर डिटेल के स्थान पर संबंधित मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से प्राप्त अभिप्रमाणित कस्टमर अप्लीकेशन फाॅर्म अनिवार्य रूप से संलग्न किया जाये.
प्रत्येक टारगेट नंबर से संबंधित एफआइआर की स्पष्ट अभिप्रमाणित प्रति अधियाचना पत्र के साथ संलग्न किया जाये.
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