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सीबीआइ त्रिकोणीय घोटालेबाजों की सुलझा रही गुत्थी

प्रभारी कल्याण पदाधिकारी व कर्मचारियों से की पूछताछ कई कागजात की मूल प्रति की मांग कार्यालय में आवाजाही के पूछे सवाल भागलपुर : सृजन के घोटालेबाजों ने भू अर्जन के बाद सबसे बड़े सरकारी राशि के गबन का सेंध कल्याण विभाग में लगा रखा था. इन घोटालेबाजों ने कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति के नाम पर […]

प्रभारी कल्याण पदाधिकारी व कर्मचारियों से की पूछताछ

कई कागजात की मूल प्रति की मांग कार्यालय में आवाजाही के पूछे सवाल
भागलपुर : सृजन के घोटालेबाजों ने भू अर्जन के बाद सबसे बड़े सरकारी राशि के गबन का सेंध कल्याण विभाग में लगा रखा था. इन घोटालेबाजों ने कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति के नाम पर आनेवाली राशि को सीधे बैंक खाता से सृजन के खाता में ट्रांसफर करवा देते थे. इस तरह बच्चों के खाता में जानेवाली राशि बाजार में पहुंच जाती थी.
कल्याण विभाग में त्रिकोणीय रूप में घोटालेबाजी की गुत्थी सीबीआइ सुलझाने में जुट गयी है. इन्हीं बातों पर सीबीआइ पिछले दिनों कल्याण विभाग के पदाधिकारी व कर्मचारियों से पूछताछ में फोकस कर रखा था. सीबीआइ ने कर्मचारियों से पूछा कि यह हो नहीं सकता कि अकेले विभाग के नाजिर व पदाधिकारी को सृजन समिति में पैसा जाने की जानकारी होगी. इसमें स्थानीय से लेकर मुख्यालय तक के अफसरों व कर्मियों को हकीकत का पता होगा.
इस कारण पूरे घटनाक्रम को अनदेखा किया गया और सरकारी राशि की जम कर लूट हुई. जिला में छात्रवृत्ति व अन्य मद में आनेवाले बजट बैंक के माध्यम से सृजन के खाते में जा रहे थे और यहां से लेकर मुख्यालय में मॉनीटरिंग कर रही टीम चुप्पी साधे बैठे थे.
कल्याण विभाग में वर्ष 2004 से ऑडिट हो, भेजा गया रिक्वेस्ट. महालेखाकार की टीम वर्ष 2014 से अब तक के बजट की ऑडिट कर रही है, लेकिन जांच का दायरा वर्ष 2004 से करने के लिए मुख्यालय रिक्वेस्ट भेजा गया है. महालेखाकार की टीम ने वर्ष 2014-15 व 2015-16 तक की ऑडिट कर लिया है. ऑडिट की टीम ने संबंधित बैंक को कई तरह के सवाल भी भेजे हैं. अवकाश के कारण दोबारा उनके जवाब लेने की कोशिश होगी.

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