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सृजन का फर्जीवाड़ा: बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक ने गबन राशि छिपाने का किया था प्रयास

भागलपुर : करोड़ों के सृजन घोटाले का घड़ा फूटने के बाद भी बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखा और इंडियन बैंक की भागलपुर शाखा ने सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के गबन राशि को छिपाने का प्रयास किया था. उक्त दोनों बैंक पर दर्ज करायी प्राथमिकी से यह मामला उजागर हुआ है. दरअसल, को-ऑपरेटिव बैंक ने तीन […]

भागलपुर : करोड़ों के सृजन घोटाले का घड़ा फूटने के बाद भी बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखा और इंडियन बैंक की भागलपुर शाखा ने सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के गबन राशि को छिपाने का प्रयास किया था. उक्त दोनों बैंक पर दर्ज करायी प्राथमिकी से यह मामला उजागर हुआ है. दरअसल, को-ऑपरेटिव बैंक ने तीन अगस्त को इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को को-ऑपरेटिव बैंक, पटना के आइडीबीआइ बैंक के खाता संख्या 06510200001581 में आरटीजीएस के माध्यम से राशि ट्रांसफर करने के लिए चेक और पत्र भेजा,

तो इंडियन बैंक के तत्कालीन प्रबंधक (फरार) नवीन कुमार राय ने मौखिक जानकारी दी थी कि खाता में पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं है. उन्हें उनका ही पहले का स्टेंटमेंट में राशि दिखाया, तो उन्होंने स्टेंटमेंट को फर्जी बता दिया. वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा में जब कर्मचारी भेज कारण जानना चाहा था, तो उनके द्वारा टालमटोल की नीति अपनायी गयी थी. उस वक्त वर्तमान शाखा प्रबंधक नवीन साहा ज्वाइन कर चुके थे. शाखा प्रबंधक श्री साहा ने 21 जुलाई को अपना योगदान दिया है.

उक्त दाेनों बैंकों को पांच अगस्त 2017 को अकाउंट स्टेटमेंट मिलाने के लिए पत्र दिया गया, लेकिन उनके द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गयी. इसके बाद आठ अगस्त को पुन: एक स्मार पत्र शाखा प्रभारी, इंडियन बैंक को खाता विवरण मिलाने के लिए दिया गया और इसकी एक कॉपी सहायक महाप्रबंधक सह प्रभारी बैंकिंग ओम्बुडसमैन, इंडियन बैंक व महाप्रबंधक, इंडियन बैंक को भी दी गयी. इसके बाद भी बैंक ऑफ बड़ौदा ने चालू खाता संख्या 10010100013202 का ही स्टेटमेंट दिया. कर्मचारी अतुल कुमार (जेल में बंद) से स्वीप अकाउंट स्टेटमेंट की मांग की गयी, तो उनके द्वारा केवल एक ही अकाउंट है, जिसका स्टेटमेंट दे दिये हैं कह कर टाल दिया था. दोनों बैंकों में चालू खाते एवं इससे जुड़े स्वीप अकाउंट साल 2012 से चल रहा है.

जानें, कैसे गबन राशि हुआ उजागर:
सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक ने तीन अगस्त 2017 को इंडियन बैंक के स्वीप अकाउंट से चेक संख्या 468721 के द्वारा पांच करोड़ एवं बैंक ऑफ बड़ौदा को चेक संख्या 653888 के द्वारा भी पांच करोड़ रुपये को-ऑपरेटिव बैंक, पटना के आइडीबीआइ बैंक के खाता संख्या 06510200001581 में आरटीजीएस के माध्यम से राशि ट्रांसफर करने के लिए उन्हें पत्र भेजा. जिसमें इंडियन बैंक के तत्कालीन प्रबंधक (फरार) नवीन कुमार राय ने मौखिक जानकारी दी थी कि खाता में पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं है.
जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा को-ऑपरेटिव बैंक के पत्र एवं चेक को प्राप्त कर प्राप्ति रसीद दे दिया लेकिन, राशि का स्थानांतरण नहीं होने पर सूचना पांच अगस्त 2017 को दी गयी थी.
एसबीआइ मुख्य शाखा के दायरे में नहीं सबौर ब्रांच: एसबीआइ के मुख्य शाखा के चीफ मैनेजर एसके श्रीवास्तव ने बताया है कि उनके दायरे में सबौर ब्रांच नहीं आता है. वह सबौर ब्रांच के सृजन खाते से संबंधित मामले में सीबीआइ के पास भी नहीं गये थे. वह पूरे दिन अपने मुख्य ब्रांच में रहा कर बैंकिंग से जुड़े कार्यों को निबटा रहे थे. सीबीआइ से मिलने की बात अफवाह है.
खाते में इंट्री नहीं होने वाली राशि
बैंक ऑफ बड़ौदा
दिनांक बैंक चेक राशि
13 अक्तूबर 2013 एचडीएफसी 02 करोड़
19 दिसंबर 2013 एसबीआइ 03 करोड़
05 जून 2014 एसबीअाइ 05 करोड़
16 दिसंबर 2014 एसबआइ 3.66 करोड़
06 दिसंबर 2014 एसबीआइ 3.58 करोड़
30 जून 2016 यूको 03 करोड़
22 सितंबर 2016 आइडीबीआइ 05 करोड़
19 अक्तूबर 2016 आइडीबीआइ 03 करोड़
30 मार्च 2017 आइडीबीआइ 06 करोड़
इंडियन बैंक में 31, तो बीओबी में 5.70 लाख रुपये बचे
सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की राशि गबन के बाद इंडियन बैंक के खाते एवं इससे जुड़े स्वीप अकाउंट में 31 लाख 22 हजार 733 रुपये एवं बीओबी के खाता में 50 हजार 33 रुपये एवं इससे संबंधित स्वीप अकाउंट में पांच लाख 70 हजार 33 रुपये.
दोनों बैंकों पर 48.12 करोड़ गबन करने का आरोप
इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा पर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक ने लगभग 48 करोड़ 12 लाख 38 हजार 58 रुपये गबन करने का आरोप लगाया है. इसमें इंडियन बैंक के खाते से 30 करोड़ 17 लाख 52 हजार 612 रुपये एवं बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते से 17 करोड़ 94 लाख 85 हजार 446 रुपये 33 पैसे गबन राशि शामिल है.
बैंक ऑफ बड़ौदा में कुल 30 करोड़ 95 लाख 28 हजार रुपये
इंडियन बैंक में कुल 20 करोड़ रुपये की नहीं
हुई इंट्री
को-ऑपरेटिव ने 31 अक्तूबर 2013 का कटा एक साथ दो चेक अपने खाता में जमा करने के लिए एक नवंबर को भेजा था, जिसमें एसबीआइ चेक की राशि जमा किया मगर, एचडीएफसी के चेक जो दो करोड़ रुपये का था, उस राशि को गबन करने का बीओबी पर लगा आरोप .
को-ऑपरेटिव बैंक को कोई टालमटोल नहीं किया गया.
शाखा प्रभारी मिथिलेश कुमार जायसवाल आये थे, उन्हें बैठा कर बैंक का स्टेटमेंट दिया गया. उनकी ओर से जब लिखित नहीं आया, तो स्वीप अकाउंट का स्टेटमेंट कैसे दिया जाता. स्वीप अकाउंट के लिए लिखित देना पड़ता है.
नवीन कुमार साहा, शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, मुख्य शाखा

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