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सृजन पर अरबों का ‘कल्याण’

भागलपुर : जन कल्याण की अरबों की राशि से सृजन का ‘कल्याण’ हुआ. 13 सालों में 28 चेक बुकों से करोड़ों की हेराफेरी की गयी. जनकल्याण के लिए आने वाले सरकारी फंड को लुटाने के खेल की बारीकी को इस बात से समझा जा सकता है कि कल्याण विभाग के बंद आलमीरा का राज ढूंढने […]

भागलपुर : जन कल्याण की अरबों की राशि से सृजन का ‘कल्याण’ हुआ. 13 सालों में 28 चेक बुकों से करोड़ों की हेराफेरी की गयी. जनकल्याण के लिए आने वाले सरकारी फंड को लुटाने के खेल की बारीकी को इस बात से समझा जा सकता है कि कल्याण विभाग के बंद आलमीरा का राज ढूंढने में 17 दिन लग गये. आलमीरा से मिले घोटाले के राज लिखने में तकरीबन चार सौ पन्ने लग गये. एक अप्रैल 2004 में कल्याण विभाग का ‘सृजन’हुआ.

सृजन की नजरें जब कल्याण विभाग से मिलीं उस वक्त शरतचंद्र झा कल्याण अधिकारी के तौर पर कार्यरत थे. 13 सालों से चल रही हेराफेरी का ‘याराना’ कल्याण अधिकारी अरुण कुमार की गिरफ्तारी तक जारी रही. नतीजा के तौर पर अभी तक 131 करोड़ की अवैध निकासी का मामला सामने आ चुका है.

जांच के बाद यह आंकड़ा 300 करोड़ तक पहुंचने की संभावना बतायी जा रही है. जिला पदाधिकारी व कल्याण पदाधिकारी के पदनाम से सृजन के दो बैंक अकाउंट मिलने के अलावा सृजन के करीब दो दर्जन से अधिक चेक बुक भी मिले हैं.

चेक बुक से खुलेंगे राज: सृजन के दो दर्जन से अधिक चेक बुक से लेन-देन के राज खुलेंगे. जानकारी के मुताबिक 15 चेक बुक काटे जा चुके हैं, जबकि तीन अभी भी पड़े हैं. जांच के दौरान जब इस चेक बुक से हुए लेन देन को खंगाला जायेगा, तो अवैध निकासी का मामला उजागर होगा. सृजन पर कल्याण विभाग खासा मेहरबान रहा. योजनाओं की राशि सृजन के खाते में लुटा दी गयी.
इंवेंट्री के चार सेट, प्रशासन को सुपुर्द: कल्याण विभाग की इंवेंट्री तैयार करने के बाद शनिवार शाम गोपनीय शाखा में इसे सुपुर्द कर दिया गया. इसके चार सेट तैयार किये गये हैं. प्रशासन को एक सेट देने के अलावा सीबीआई को भी एक सेट देने की संभावना है. बता दें कि सृजन घोटाले में तत्कालीन कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार की गिरफ्तारी के बाद डीएम ने एडीएम की अध्यक्षता में जांच दल का गठन किया था. विभाग के अहम कागजात आलमीरा में बंद होने के कारण जांच बंद था. मजिस्ट्रेट की अगुवायी में 22 अगस्त से इंवेंट्री का काम शुरू हुआ था.
पटना से आयी ऑडिट टीम: कल्याण विभाग की इंवेंट्री के बाद प्रशासन के द्वारा इसकी जांच करवायी जायेगी. यही नहीं विभाग के कारनामे को ऑडिट करने के लिए पटना से भी टीम पहुंच चुकी है. महालेखाकार की टीम में आठ सदस्य हैं, जो सोमवार से ऑडिट के कार्य में जुटेंगे. इसके बाद कल्याण विभाग से होने वाली अवैध निकासी का सही आकलन हो पायेगा.
डीडीसी से पूछताछ, सौंपे गये कागजात
सीबीआई की मांग पर प्रशासन के द्वारा अहम दस्तावेज सीबीआई को सुपुर्द किये जा रहे हैं. जिला परिषद के अलावा नजारत के कागजात सुपुर्द कर दिया गया है. सीबीआई ने डीडीसी को भी पूछताछ के लिए बुलाया. अमित कुमार के तबादला के बाद डीडीसी का पद रिक्त है. फिलहाल अपर समाहर्ता हरिशंकर प्रसाद को डीडीसी का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है.
2004 में ही सेंट्रल को-ऑपरेटिव से मिली थी मान्यता
सृजन संस्था की शुरुआत 1996 में हुई थी. संथापक मनोरमा देवी थी. जिनका निधन इस साल फरवरी में हुआ. 2004 में भागलपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव से इसे मान्यता मिली. तब से बैंकिंग का काम सृजन ने करना शुरू किया. मगर इसके लेन-देन की सीमा थी. इस सीमा को रसूखदारों और जिले में पोस्टेड आला अफसरों के प्रभाव का इस्तेमाल कर तोड़ डाला गया और सरकारी धन पर ही डाका डाला गया.

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