भागलपुर: सोमवार को बिहपुर के विशनपुर मध्य विद्यालय में टिफिन में ही छुट्टी हो गयी थी. इसके बाद छठी कक्षा की चार छात्रएं नदी में स्नान करने गयी और डूबने से उनकी मौत हो गयी. विशनपुर मध्य विद्यालय तो केवल एक बानगी है. ऐसे सैकड़ों स्कूल हैं, जहां टिफिन में ही बच्चों को छुट्टी देकर शिक्षक भी घर चले जाते हैं.
यह स्थिति तब है, जबकि शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर राज्य के सभी स्कूलों में अप्रैल व मई में मिशन गुणवत्ता के तहत सभी बच्चों को उनकी कक्षा के अनुरूप दक्ष बनाना है. इन दो महीने में हर हाल में दिये गये निर्देश के मुताबिक सुबह नौ से दोपहर चार बजे तक बच्चों को निर्धारित रूटीन के तहत पढ़ाना है. ऐसे में विशनपुर मध्य विद्यालय की तरह चलनेवाले स्कूलों में शिक्षा विभाग का मिशन शुरू हो पायेगा भी या नहीं, इसमें संदेह है.
एनजीओ प्रथम संस्था ने पिछले साल ही शिक्षा विभाग को यह सर्वे रिपोर्ट सौंप दिया था कि कक्षा तीन, चार व पांच के बच्चे कक्षा दो की दक्षता नहीं रखते. शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चे अगली कक्षा में प्रवेश पाते जा रहे हैं, पर उनमें कक्षा के अनुरूप दक्षता नहीं है.
स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि मई तक प्रतिदिन नौ से चार बजे तक मिशन गुणवत्ता के तहत बच्चों को पिछली कक्षा के सापेक्ष तैयार करना है. उनमें गुणवत्ता लानी है. इसके लिए नौ से 10 बजे तक चेतना सत्र चलाना है. 10 से साढ़े 11 बजे तक बच्चों को भाषा का ज्ञान देना है. साढ़े 11 से एक बजे तक गणित पर चर्चा करनी है. एक से दो बजे तक मध्याह्न् भोजन कराया जायेगा. आखिरी सत्र में दो से चार बजे तक बच्चों को जोर जोर से पढ़ना है. इससे शिक्षक बच्चों द्वारा किये जानेवाले उच्चरण को सुन सकेंगे और उन्हें शुद्ध उच्चरण करने की सीख देंगे. जानकार मानते हैं कि यह सब तभी संभव हो पायेगा, जब बच्चे स्कूल में टिक पायेंगे. बच्चे स्कूल में रहे, इसके लिए शिक्षकों का सक्षम होना भी जरूरी है.