भागलपुर : बैंक ऑफ इंडिया के खलीफाबाग शाखा के उच्चाधिकारियों ने यह जब जाना कि उनकी सबौर शाखा में हाइलेबल ट्रांजेक्शन हो रहे हैं और शाखा के डिपोजिट में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है, तो अपनी शाखा के डिपोजिट को कैसे बढ़ाया जाये, इस पर मंथन किया गया. मगर, खलीफाबाग ब्रांच का डिपोजिट बढ़ाने के लिए उन्हें करोड़ों के ट्रांजेक्शन होनेवाले खाते की जरूरत थी. खलीफाबाग शाखा का डिपोजिट बढ़ाने के लिए बैंकर्स के आग्रह पर मनोरमा देवी ने 30 मार्च 2016 को एक ज्वाइंट अकाउंट खुलवाया.
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खलीफाबाग शाखा के आग्रह पर मनोरमा देवी ने खुलवाया था खाता
भागलपुर : बैंक ऑफ इंडिया के खलीफाबाग शाखा के उच्चाधिकारियों ने यह जब जाना कि उनकी सबौर शाखा में हाइलेबल ट्रांजेक्शन हो रहे हैं और शाखा के डिपोजिट में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है, तो अपनी शाखा के डिपोजिट को कैसे बढ़ाया जाये, इस पर मंथन किया गया. मगर, खलीफाबाग ब्रांच का डिपोजिट बढ़ाने के […]
मनोरमा देवी और शिव लक्ष्मी प्रसाद के नाम ज्वाइंट अकाउंट था, जिसकी खाता संख्या 462520110000333 है. खाता खुलने के साथ ही उसमें करोड़ों के ट्रांजेक्शन होने लगे. इससे खलीफाबाग शाखा का डिपोजिट बढ़ गया. घोटाले से जुड़े कारोबारियों को भी ट्रांजेक्शन में सहूलियत मिलने लगी. दरअसल, कोई भी चेक जब सबौर शाखा में जमा होता था, तो क्लियरेंस होने के लिए बैंक ऑफ इंडिया के चेस्ट शाखा, आदमपुर आता था. यहां से क्लियरेंस होकर सबौर ब्रांच के सृजन खाते में राशि जाती थी.
इसमें कभी कभार देरी भी हो जाया करती थी. मगर, मार्च 2016 के बाद से बैंक और कारोबारियों दोनों को फायदे होने लगे थे. मालूम हो कि सबौर ब्रांच में सृजन का खाता नौ जुलाई 2015 में खुला था, जिसका खाता संख्या 462320110000163 है और इसमें हाइलेबल ट्रांजेक्शन हुए हैं.
सबौर और खलीफाबाग शाखा में इंटरनल जांच शुरू
करोड़ों के सृजन घोटाले को लेकर बैंक ऑफ इंडिया ने अपने सबौर और खलीफाबाग शाखा में इंटरनल जांच शुरू कर दी है. सूत्र की मानें, तो दोनों ब्रांचों में खाते कब खुले हैं, खाते में कब-कब कहां से डिपोजिट हुए थे, कितनी राशि कौन सी तारीख में निकासी हुई थी, ट्रांजेक्शन किस-किस खाते में हुए थे आदि पर जांच चल रही है. साल 2015 से लेकर दिसंबर 2016 तक के वाउचर से भी मिलान किया जा रहा है.
सीबीआइ को सौंपे खाते से जुड़े पुराने दस्तावेज
बैंक ऑफ इंडिया ने अपने खलीफाबाग शाखा के सृजन खाते से जुड़े पुराने सभी तरह के दस्तावेज सीबीआइ को सौंप दिया है. सीबीआइ ने ब्रांच से खाते का डिटेल मांगा था. सीबीआइ को जो दस्तावोज सौंपे हैं, उसमें ट्रांजेक्शन रिपोर्ट, क्लियरेंस होने वाले चेक, वाउचर आदि शामिल है.
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