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सदर हॉस्पिटल में डेंगू वार्ड का पता नहीं

भागलपुर : भगवान का शुक्र है कि जिले में डेंगू का एक भी मरीज नहीं मिला अब तक. मलेरिया ने अभी तक अपना रौद्र रूप अख्तियार नहीं किया, अन्यथा डेंगू-मलेरिया के मरीजों की मौत इलाज व जांच के अभाव में हो जाती. डेंगू-मलेरिया से बचाव से लेकर जांच-इलाज की व्यवस्था सब कुछ अब भगवान भरोसे […]

भागलपुर : भगवान का शुक्र है कि जिले में डेंगू का एक भी मरीज नहीं मिला अब तक. मलेरिया ने अभी तक अपना रौद्र रूप अख्तियार नहीं किया, अन्यथा डेंगू-मलेरिया के मरीजों की मौत इलाज व जांच के अभाव में हो जाती. डेंगू-मलेरिया से बचाव से लेकर जांच-इलाज की व्यवस्था सब कुछ अब भगवान भरोसे है.

आलम यह है कि जेएलएनएमसीएच को छोड़ दिया जाये तो डेंगू की जांच से लेकर इलाज तक की व्यवस्था जिले के किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में नहीं है. मलेरिया की जांच की व्यवस्था तो सदर हॉस्पिटल में है लेकिन इसके इलाज के लिए आपको मायागंज हॉस्पिटल ही जाना पड़ेगा.

जेएलएनएमसीएच को छोड़ किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में
डेंगू की जांच नहीं
सदर हॉस्पिटल में मलेरिया जांच की व्यवस्था, लेकिन इलाज के लिए जाना होगा मायागंज हॉस्पिटल
मायागंज में हर रोज आ रहे डेंगू-मलेरिया के 15 से 20 मरीज
झारखंड के तीन एवं बिहार के 11 जिलों के मरीज जेएलएनएमसीएच में इलाज के लिए आते हैं. इसमें रोज औसतन 15 से 20 के संदिग्ध मरीज डेंगू व मलेरिया के होते हैं. इन्हें इमरजेंसी के मेडिसिन वार्ड से लेकर मेडिसिन विभाग में भरती कर इनका इलाज किया जाता है. पैथोलॉजी विभाग के आंकड़ों की मानें तो यहां पर आज की तारीख में डेंगू जांच का रैपिड किट (एनएस1 एजी) का 500 किट व आइजीजी-आइजीएम 1000 किट और मलेरिया का रैपिड किट (पीवी पीएफ) पांच हजार पीस मौजूद है. डेंगू को कन्फर्म करने के लिए एलिजा टेस्ट की व्यवस्था कॉलेज के लैब में है. अब तक डेंगू के 13 मरीज कन्फर्म पाये गये हैं,
जो कि झारखंड के पाकुड़ व साहेबगंज के थे. इलाज की बाबत मायागंज हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि भानु कुसुमावत वार्ड के प्रथम तल पर दस बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है. यहां पर हर बेड के लिए जरूरी मच्छरदानी से लेकर दवा उपलब्ध है.
जांच तो दूर, सदर हॉस्पिटल में डेंगू वार्ड तक नहीं : बीते साल डेंगू के 13 संदिग्ध मरीजों की मौत हो गयी थी. इनमें से आठ भागलपुर जिले के थे. स्वास्थ्य विभाग ने इस साल जुलाई माह में ही सिविल सर्जन व जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक को पत्र जारी कर सदर हॉस्पिटल व मायागंज हॉस्पिटल में दस बेड का डेंगू वार्ड बनाने का निर्देश देते हुए जरूरी जांच व इलाज की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. मायागंज हॉस्पिटल में तो यह व्यवस्था हो गयी लेकिन सदर हॉस्पिटल में डेंगू मरीजों की जांच की कौन कहे, इलाज के लिए डेंगू वार्ड तक नहीं बना. यहां पर डेंगू जांच के नाम पर सिर्फ सीबीसी जांच की जाती है. हां मलेरिया जांच की व्यवस्था यहां पर है. लेकिन इलाज के लिए मरीज को मायागंज हॉस्पिटल ही जाना पड़ेगा. जबकि मायागंज हॉस्पिटल में हर रोज दो से तीन मरीज मलेरिया के पाये जा रहे हैं. बीते माह करीब 55 मरीज मलेरिया के पाये गये.
छिड़काव का पता नहीं, प्रचार-प्रसार का फंड फाइलों में गुम
डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए जिले में इस साल कहीं भी छिड़काव नहीं किया गया. शहर में फाॅगिंग की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार नगर निगम के सिर पर डाल रहे तो जिले में तब फागिंग करने की बात कहीं गयी जब वहां से डेंगू के मरीज मिलेंगे. जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोलर ऑफिसर डॉ एमएन ठाकुर बताते हैं कि वर्तमान में जिले के 10 ब्लॉक में कालाजार उन्मूलन के लिए छिड़काव किया जा रहा है. इससे इन क्षेत्र में मलेरिया के वाहक मच्छर मर जायेंगे. सूत्रों की मानें तो इस बार जिले को मलेरिया व डेंगू के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कोई फंड नहीं मिला. इससे कहीं भी प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है.

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