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सृजन का फर्जीवाड़ा

डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से सृजन के नाम प्रशस्ति पत्र भी मिला है पीके घोष के घर जांच. पुलिस और इओयू की टीम की छापेमारी में मिले हैं कई महत्वपूर्ण दस्तावेज कई बैंक एकाउंट और जमीन की रजिस्ट्री के कागजात भी मिलने की की बात सामने आ रही भागलपुर : सृजन महिला विकास सहयोग समिति, […]

डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से सृजन के नाम प्रशस्ति पत्र भी मिला है पीके घोष के घर

जांच. पुलिस और इओयू की टीम की छापेमारी में मिले हैं कई महत्वपूर्ण दस्तावेज
कई बैंक एकाउंट और जमीन की रजिस्ट्री के कागजात भी मिलने की की बात सामने आ रही
भागलपुर : सृजन महिला विकास सहयोग समिति, बैंकों और सरकारी अधिकारी और कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी राशि के गबन मामले सूत्रधारों में एक पीके घोष के घर पर छापेमारी में पुलिस और इआेयू की टीम को महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं. सूत्रों की मानें तो घोष दा के घर से डीएम द्वारा जारी सृजन के नाम से बने कई प्रशस्ति पत्र मिले हैं जिन पर डीएम के फर्जी हस्ताक्षर होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. फर्जी प्रशस्ति पत्र के मिलने से इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है कि घोष दा की मिलीभगत से दस्तावेजों पर डीएम जैसे बड़े अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कराये जा रहे थे. दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर पीके घोष के घर पर कराये जाते थे या कहीं बाहर यह जांच का विषय है.
बैंक एकाउंट और जमीन के केबाला के कागजात भी मिले : सूत्रों की मानें तो पीके घोष के घर पर हुई छापेमारी में पुलिस और इओयू की टीम को कई बैंक एकाउंट और जमीन के केबाला से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं. इसके अलावा सृजन से लेन-देन से जुड़े दस्तावेज भी पुलिस के हाथ लगे हैं. पुलिस और इआेयू की टीम को मिले सभी दस्तावेज सीबीआइ के हवाले कर दिया गया है. सीबीआइ सृजन और पीके घोष के बीच के और लिंक तलाश रही है. पीके घोष की भूमिका और उसके द्वारा सृजन से अन्य लोगों को फायदा पहुंचाने की भी जांच की जा रही है.
नहीं हटा सके सभी दस्तावेज : सृजन घोटाला के सामने आने के बाद से ही न सिर्फ पीके घोष बल्कि इससे जुड़े कई बड़े नाम सतर्क हो गये. पीके घोष के बारे में बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने खास लोगों की मदद से घर में रखे दस्तावेज को हटा दिया. इसके बावजूद पुलिस और इओयू की टीम को काफी कुछ वहां से मिल गया जो उनका सृजन से कनेक्शन साबित करने के लिए काफी है.
सीडीआर और टावर लोकेशन खोल रहे राज : अभी तक की जांच में सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. सूत्रों की मानें तो पुलिस ने सरकारी राशि के गबन मामले में अभी तक 50 से ज्यादा लोगों का सीडीआर निकाला है. इनमें सृजन के पदधारकों के अलावा सरकारी विभागों के अधिकारी, कर्मी और बैंक अधिकारी शामिल हैं. पुलिस ने उन लाेगों के मोबाइल टावर लोकेशन भी खंगाले हैं जो घोटाले के उजागर होने के बाद शहर छोड़ भाग निकले हैं. टावर लोकेशन से यह पता चल गया है कि वे शहर से निकलने के बाद कहां गये. सीडीआर के जरिये इस बात की जानकारी इकट्ठा की जा रही है कि उन लोगों ने आपस में कितने दिन और कितनी देर तक बात की है. पिछले एक साल का सीडीआर निकाल कर उसकी जांच की जा रही है. घोटाला उजागर होने के बाद शहर के विभिन्न इलाकों में मोबाइल टावर डंप कर उसका भी डिटेल निकाला गया है. जांच टीम को डीआइयू के द्वारा तकनीकी सहायता की जा रही है.
तो कई लोग होते गिरफ्त में
सृजन द्वारा सरकारी राशि के घोटाले के मामले में पुलिस और इओयू की टीम ने शुरूआती जांच में तेजी से काम किया. जिन बैंक और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी का नाम जांच में सामने आया उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा. पर कई लोग ऐसे थे जो उस समय तक शहर में ही मौजूद थे जिनका नाम सामने आ रहा था. उन्हें पूछताछ के लिए पुलिस ने बुलावा भेजा पर उसमें देरी हो गयी. समय मिलने का फायदा उठाकर वे शहर छोड़ भाग निकलने में सफल रहे. अगर उन बड़े नामों के खिलाफ जल्दी कार्रवाई की गयी होती तो वे सभी पुलिस की गिरफ्त में होते. ऐसी चर्चा है कि सीबीआइ को केस सौंपते ही पुलिस ने खुद को सीमित और सुस्त कर लिया. अब जो भी करना है वह सीबीआइ करेगी पर सरकारी राशि का गबन करने वाले कई बड़े खिलाड़ियों को कुछ मोहलत तो जरूर मिल गयी.

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