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सरकारी और को-ऑपरेटिव बैंक के गठजोड़ में चल रहा था बड़ा रैकेट

बोले जिलाधिकारी. हर्षद मेहता टाइप का निकला मामला, बढ़ता ही जा रहा फर्जीवाड़ा फर्जी हस्ताक्षर से हुआ पैसे का लेन-देन, नियम भी ताक पर भागलपुर : बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक से सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाता में सरकारी फंड के ट्रांसफर की राशि लगातार बढ़ रही है. विभिन्न विभाग के पैसे […]

बोले जिलाधिकारी. हर्षद मेहता टाइप का निकला मामला, बढ़ता ही जा रहा फर्जीवाड़ा

फर्जी हस्ताक्षर से हुआ पैसे का लेन-देन, नियम भी ताक पर
भागलपुर : बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक से सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाता में सरकारी फंड के ट्रांसफर की राशि लगातार बढ़ रही है. विभिन्न विभाग के पैसे को बाहर (रियल एस्टेट व अन्य में) लगाया गया है. यह जांच आर्थिक अपराध इकाई भी कर रही है. यह कांड वर्ष 1992 में हर्षद मेहता घोटाले की याद दिला रहा है. इसमें बैंकिंग नियम को धता बता कर बड़ी राशि शेयर बाजार में लगायी गयी थी. ये बातें जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने शनिवार को पत्रकार वार्ता में कही.
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक व को-ऑपरेटिव बैंक के गठजोड़ में बड़ा रैकेट काम कर रहा था. इस कारण बड़ी सफाई से किये गये काम महालेखाकार की प्रत्येक वर्ष के ऑडिट में भी सामने नहीं आया. यह रैकेट सरकारी राशि को सृजन के खाते में जमा कराता और वहां से राशि नगद रूप में निकाल ली जाती थी. जब सरकारी राशि की निकासी का चेक जाता तो सरकारी खाता में उतनी राशि डाल दी जाती. रैकेट के सदस्य समय-समय पर फर्जी खाता विवरणी भेजते थे.
पिछले वर्ष नजारत में पैसा कम होने की मिली थी सूचना : डीएम ने कहा कि बैंक द्वारा फर्जीवाड़ा करने की पहली शिकायत उन्हें पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त में मिली थी. उस समय यह बताया गया कि नजारत के खाता में पैसा कम है. सूचना पर तत्काल नजारत शाखा से खाता विवरणी मंगायी गयी. 29 अगस्त 2016 को तीन करोड़ व एक करोड़ रुपये नजारत खाता से फर्जी हस्ताक्षर करके निकाले गये. फिर सितंबर में डेढ़ करोड़ रुपये निकाले गये. इधर, जब चेक बाउंस हुआ तो उन्होंने फौरन मामले की जांच करायी और नजारत में सवा 10 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया.
गोपनीयता लीक पर होगी कार्रवाई : डीएम के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक से हुए फर्जीवाड़े में सरकारी कर्मियों की मिलीभगत होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. गोपनीयता तो लीक हुई है. उन्होंने इसके लिए अंदरूनी तौर पर विभागीय जांच शुरू कर दी है. इसमें जांच पदाधिकारी भी नामित हो गये हैं. यह पता लगाया जा रहा है कि चेक के काटने से लेकर कई अहम बातें बाहर कैसे लीक हुई. चार दिनों में संभवत: जांच का काम हो जायेगा. जो दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी.
आयेगी फोरेंसिंक ऑडिटिंग की टीम : डीएम के अनुसार, जब सभी सरकारी विभागों से रिपोर्ट आ जायेगी. तब सरकार की फोरेंसिंक ऑडिटिंग की टीम को बुलाया जायेगा. यह टीम विभागीय राशि और ब्याज का आकलन करेगी. इस तरह पता लग सकेगा कि सरकार को कितना ब्याज का नुकसान हुआ. आकलन के बाद राशि सहित ब्याज की मांग संबंधित बैंक से की जायेगी. इसके लिए आरबीआइ को पत्र लिखेंगे.
इओयू को कर रहे सहयोग : डीएम ने बताया कि इओयू के सदस्य आये हुए थे. उन्होंने नोडल अफसर बनाने के लिए कहा, ताकि प्रशासन से किसी भी कागजात के लिए विभागीय दौड़ नहीं लगानी पड़े. इसको लेकर नोडल अफसर वरीय उप समाहर्ता इबरार आलम को बना दिया है. उन्हीं के माध्यम से जो भी साक्ष्य आगे सामने आयेगा, टीम को देंगे. आज(शनिवार) खाता विवरणी और कैशबुक की कॉपी आयी है. इसमें पता चला है कि वर्ष 2008 तक ब्लॉक सबौर का खाता सृजन को-ऑपरेटिव बैंक में था. 31 मार्च 2008 को खाता बंद कर दिया गया था. इसके अलावा एक पत्र की तलाश हो रही है, जिसमें सरकार ने ऐसा करने का निर्देश जारी किया था.
स्कैम खोला है, छुपाया तो नहीं : डीएम ने कहा कि सृजन घोटाला का खुलासा किया है, इसको छुपाया तो नहीं. गोपनीय सूचना मिलने पर पीछे लगे और आज बड़े पैमाने पर सरकारी फंड का अवैध खेल उजागर हुआ. यह तो समझिए कि 10 साल से खेल चल रहा था, जो किसी की समझ में नहीं आया. एक संगठित रैकेट के तले धंधा चला, जिसकी भनक तक नहीं लगी.

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