भागलपुर: भागलपुर साहित्य, कला, ज्ञान व व्यापार के क्षेत्र में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है. सिल्क नगरी कहे जाने वाले इस क्षेत्र में ही विक्रमशिला विश्वविद्यालय है, जिसका अपना समृद्ध इतिहास है.
उक्त बातें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दूबे ने स्थानीय कला केंद्र में लोक चेतना के साहित्य-कला की त्रैमासिक पत्रिका ‘लोकचंपा’ के लोकार्पण समारोह में कही. भागलपुर की सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि रामायण व महाभारत काल से इस क्षेत्र की महत्ता रही है. यह दानवीर कर्ण की भूमि है.
मौके पर अतिथि विवि कुलपति प्रो आरएस दूबे, प्रतिकुलपति डॉ एके राय, डीएसडब्ल्यू डॉ गुरुदेव पोद्दार, कान्ता सुधाकर, कुमार सृंजय, कुमार सुधाकर आदि को पत्रिका के संपादक डॉ प्रेम प्रभाकर, श्री उदय व मेजबान सदस्यों ने पुष्प गुच्छ व अंग वस्त्र से सम्मानित किया. प्रतिकुलपति ने कहा कि भागलपुर विवि से संबद्ध इकाई कला केंद्र का 30 साल पूर्व विशिष्ट महत्व था. डॉ गुरुदेव पोद्दार ने पत्रिका को आज की जरूरत बताते हुए इसमें प्रकाशित व्यंग्य ‘जाति पूछो भगवान की’ की प्रशंसा की.
बीएचयू के प्रो कुमार पंकज ने कहा मुङो खुशी है कि साहित्य की एक और पत्रिका आयी, लेकिन इस बात का विषाद भी है कि पत्रिका कब तक चल पायेगी. कथाकार सृंजय कि पत्रिका निकालना विचारों की खेती करना है. कथाकार सुधाकर व डॉ चंद्रेश ने पत्रिका में रंगमंचीय साहित्य को भी जगह देने का सुझाव दिया. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में संगोष्ठी हुई, संगोष्ठी में वक्ताओं ने समाज के हर तबके की अस्मिता व पहचान कायम रखने पर जोर दिया.मौके पर कांता सुधाकर, डॉ उदय, डॉ चन्द्रेश, पीएन जयसवाल आदि ने अपने विचार रखे.