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दवाओं की कमी के बीच मरीजों के इलाज की मजबूरी

भागलपुर : शहरी मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों की सेहत को सुधारने की कवायद के तहत बरारी में खुले शहरी पीएचसी की सेहत कुछ ठीक नहीं है. यहां पर जरूरी दवाओं की कमी के बीच आयुष चिकित्सक को इलाज की मजबूरी बनी हुई है. आलम यह है कि वायरल फीवर के दौर में बीमार […]

भागलपुर : शहरी मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों की सेहत को सुधारने की कवायद के तहत बरारी में खुले शहरी पीएचसी की सेहत कुछ ठीक नहीं है. यहां पर जरूरी दवाओं की कमी के बीच आयुष चिकित्सक को इलाज की मजबूरी बनी हुई है. आलम यह है कि वायरल फीवर के दौर में बीमार बच्चों के लिए उल्टी, डायरिया, बुखार की दवा तक इस शहरी पीएचसी पर उपलब्ध नहीं है. शाम करीब पांच बजे यूपीएचसी बरारी की पड़ताल की गयी तो वहां पर तैनात आयुष चिकित्सक डॉ मोहम्मद हस्सान खाली बैठे हुए थे. बीते पांच घंटे के बीच 28 मरीजों का इलाज-दवा की गयी थी.

यहां पर तैनात डॉटा आॅपरेटर गायब था. पूछने पर पता चला कि वह जिला स्वास्थ्य समिति के दफ्तर किसी काम से गये हैं. हालांकि कुछ ही देर में वह मौके पर पहुंच गये. यहां पर तीन नर्स तारा कुमारी, नीतू कुमारी व सुरुचि सिन्हा की तैनाती है जबकि फार्मासिस्ट व लैब टेक्निशियन का पद अर्सा पहले से खाली है. लोगों ने बताया कि यहां मरीजों की संख्या इतनी कम है कि शाम ढलने के बाद पीएचसी बंद हो जाता है.

जरूरी दवा तक मयस्सर नहीं मरीजों को
इस शहरी पीएचसी पर डायरिया होने के दौरान जरूरी ओआरएस पावडर, एंटी एलर्जिक दवा सेट्रीजिन, उल्टी की दवा आनडेम, बुखार की दवा पैरासिटामॉल व आयरन-कैल्शियम जैसी दवा तक नहीं है. जबकि आजकल का मौसम वायरल फीवर व डायरिया का है. यहीं कारण है कि यहां पर आने वाले मरीजों की संख्या दिन ब दिन घटती जा रही है. एक दौर था जब यहां पर हर रोज 125 से 130 मरीज रोजाना आते थे.

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