भागलपुर : सब्जी ने जिंदगी की स्वाद बदल दिया. करीब तीन दशक से साइकिल पर सारे शहर में घूम-घूम कर हरी सब्जी बेचने वाले राजेंद्र के जीवन में हरियाली ने दस्तक दे दी है. राजेंद्र ने दोनों बेटों को न सिर्फ अच्छे स्कूल में पढ़ाया-लिखाया बल्कि दोनों को लायक भी बना दिया है. एक मैसूर तो दूसरा जयपुर में रेलवे में नौकरी कर रहा है.
गरमी हो या बारिश वह रोज सुबह साइकिल पर सब्जी बेचने के लिए सड़कों पर निकल पड़ते हैं. अब उनकी हसरत बेटी को अफसर बनाने की है. सरधो गांव के रहने वाले राजेंद्र मंडल के सिर से पिता का साया जल्दी ही उठ गया. उस वक्त वह महज 20 साल के ही थे. आठवीं तक पढ़े राजेंद्र ने एक एकड़ जमीन में सब्जी की खेती शुरू कर दी. जैसा मौसम वैसी सब्जी. सब्जी तैयार होने के बाद वह साइकिल पर लेकर इसे बेचने निकल पड़े. 25 सालों की तपस्या ने अब रंग लाया है.
राजेंद्र कहते हैं कि जैसे उनकी आजीविका के लिए साइकिल के दोनों पहिये जरूरी हैं उसी तरह उनके जीवन के दो पहिये मसलन दोनों बेटा गौरव और पंकज अब अपने पैरों पर खड़ा हो चुके हैं. दोनों रेलवे में नौकरी कर रहे हैं. एक मैसूर तो दूसरा जयपुर में है. बेटे कहते हैं कि पापा अब सब्जी क्यों बेचते हैं? छोड़ दीजिए हमारे पास आ जाइए. मगर वह कहते हैं बेटा इसी सब्जी ने