जीएसटी आने के पहले व्यापारी अपना स्टॉक खत्म कर देने की फिराक में हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि इनपुट स्टॉक का हिसाब कैसे लगेगा. बंपर छूट का ऑफर धड़ाधड़ आया है. लूट लो खरीद लो के स्लोगन गूंज रहे हैं. यहां तक कि चार पहिए वाहन पर भी छूट की पहल है. 28 तारीख हो चुकी है. बस तीन दिन बाद ही 01 जुलाई है. 30 की मध्य रात्रि जीएसटी की लांचिंग है. उस रोज केंद्र की सारी कैबिनेट जागेगी. यह ऐतिहासिक पल होगा. वे जीएसटी की लांचिंग की खुशी में जश्न मनायेंगे. व्यापारियों की टैक्स देने और बही खाते ठीक रखने के गम में नींद उड़ेगी.
Advertisement
चिंता न करें जीएसटी में भी सुराख ढूंढ़ लेंगे हम
गिरधारी लाल जोशी जीएसटी क्या आ रहा है, जैसे बला आ रही हो… सबके तोते उड़े पड़े हैं. चिंता में चेहरे की रौनक गायब है. मुंह लटके हैं. अब क्या होगा. व्यापार कैसे होगा. इस बाबत जगह-जगह गोष्ठियां हो रही हैं. चार्टर्ड एकाउंटेंट तरह-तरह से समझा रहे हैं. पर, किसी के पल्ले नहीं पड़ रहा. […]
गिरधारी लाल जोशी
जीएसटी क्या आ रहा है, जैसे बला आ रही हो… सबके तोते उड़े पड़े हैं. चिंता में चेहरे की रौनक गायब है. मुंह लटके हैं. अब क्या होगा. व्यापार कैसे होगा. इस बाबत जगह-जगह गोष्ठियां हो रही हैं. चार्टर्ड एकाउंटेंट तरह-तरह से समझा रहे हैं. पर, किसी के पल्ले नहीं पड़ रहा. यों कहें कि पूरे देश की तरह भागलपुर में भी जीएसटी का मंगलाचरण हो रहा है.
दरअसल, चिंता फिक्र की कोई बात नहीं. टैक्स ग्राहकों से वसूल कर सरकार के खाते में जमा करना है. दिक्कत ये है कि अब बिल काटना होगा, जिसकी आदत नहीं. आप दवा या कपड़ा या सीमेंट, छड़ , या रेस्टोरेंट कहीं कुछ खरीदिये, बिल नदारद है. पैसे आपसे टैक्स जोड़ कर लिये जा रहे हैं. टैक्स की वसूली रकम किसके पेट में जा रही है. सबको पता है. सोशल मीडिया पर विरोध में संदेश भी आ रहे हैं. 01 जुलाई से लागू होगी. जहां न फार्म तैयार है, न टैक्स का ढांचा तैयार है, न व्यापारी तैयार है. फिर भी जीएसटी लागू हो रहा है. ऐसा अपने देश में ही संभव है. वैट आया था, तब भी हाय तौबा मची थी. भ्रष्ट लोगों ने अंतत: उसमें भी छेद ढूंढ लिया. जीएसटी में भी लोग सूराख ढूंढ़ ही लेंगे. आखिर पढ़े- लिखे लोगों की जमात कुछ काम तो करेगी ही. आप को और हम सब को जीएसटी से चोरी का रास्ता पता चल ही जायेगा. कानून डाल-डाल तो टैक्स दाता पात-पात.
देश में नयी टैक्स प्रणाली लागू होने के कुछ नुकसान हैं, तो फायदे भी हैं. बस सब्र रखने की जरूरत है. बताते हैं सालाना 20 लाख रुपये तक कारोबार करनेवालों को तो इसकी एकदम फिक्र नहीं करनी है. 20 से 45 लाख सालाना कारोबारियों को 5 रिटर्न भरने हैं. इससे ज्यादा कारोबार करनेवालों को साल में 37 रिटर्न दाखिल करने होंगे. अमूमन महीने के 3 रिटर्न. इनकी नजर में यही आफत की पुड़िया है. जो लेना है ले लीजिए. ये लिखा पढ़ी का झंझट बेबस वाली बात है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement