बचपन से दिव्यांग रामउदय चला रहा इ-रिक्शा
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हौसले से तोड़ी मुश्किलों की चट्टान
बचपन से दिव्यांग रामउदय चला रहा इ-रिक्शा बखरी : क्षेत्र के एक दिव्यांग युवा ने हौसले की उड़ान के सहारे मुश्किलों की चट्टान को ध्वस्त कर दिया है. वह पूरे परिवार की रोजी-रोटी की जुगाड़ कर रहा है.वक्त के सितम ने भले ही बचपन से ही उसके दोनों पैरों को अपंग कर दिया.लेकिन उसने हिम्मत […]
बखरी : क्षेत्र के एक दिव्यांग युवा ने हौसले की उड़ान के सहारे मुश्किलों की चट्टान को ध्वस्त कर दिया है. वह पूरे परिवार की रोजी-रोटी की जुगाड़ कर रहा है.वक्त के सितम ने भले ही बचपन से ही उसके दोनों पैरों को अपंग कर दिया.लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. क्षेत्र के सलौना गांव निवासी स्व हरेराम महतो के पुत्र रामउदय महतो दोनों पैर से दिव्यांग है.बावजूद इसके ई-रिक्शा चला कर रोजी-रोटी कमा रहा है. उसे देख आमतौर पर लोग स्तब्ध रह जाते हैं.
हर किसी के मन में यही सवाल कौंधने लगता है कि आखिर एक दिव्यांग रिक्शा कैसे चला सकता है? रामउदय बताते हैं कि उनका दोनों पैर बचपन से ही खराब है. करीब एक साल पहले उसने तकदीर को चुनौती देने की ठानी. किसी प्रकार पैसे जुटा कर ई-रिक्शा खरीदा और फिर निकल पड़ा खुद की तकदीर से लड़ाई लड़ने. लेकिन उसकी इस लड़ाई में सबसे बड़ी मुश्किल थी अपाहिज पैरों के सहारे रिक्शा का ब्रेक लगाना. कहते हैं कि जब इरादा अटल हो तो सारी मुश्किलें रास्ता खोज लेती हैं. कुछ ऐसा ही हुआ रामउदय के साथ. उसने ई-रिक्शा के ब्रेक में लोहे का रड जोड़ ब्रेक को अपने घुटने तक पहुंचा दिया.अब रामउदय घुटने के सहारे अपनी जिंदगी का ब्रेक खुद कंट्रोल करता है और जिंदगी की गाड़ी को तेजी से दौड़ाता है. दिव्यांग रामउदय की सोच व जज्बे को क्षेत्र के लोग सलाम कर रहे हैं.
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