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विकास की आस में सिमरिया धाम

आस्था. मिथिलांचल की तीर्थ नगरी के रूप में सिमरिया धाम का रहा है महत्व लंबे समय से चली आ रही है कल्पवास की परंपरा बीहट : धर्म,संस्कृति और आस्था का संगम सिमरिया धाम का जिले ही नहीं, मिथिलांचल की तीर्थ नगरी के रूप में वर्षों से अपना व्यापक महत्व रहा है.यहां लंबे समय से कल्पवास […]

आस्था. मिथिलांचल की तीर्थ नगरी के रूप में सिमरिया धाम का रहा है महत्व

लंबे समय से चली आ रही है कल्पवास की परंपरा
बीहट : धर्म,संस्कृति और आस्था का संगम सिमरिया धाम का जिले ही नहीं, मिथिलांचल की तीर्थ नगरी के रूप में वर्षों से अपना व्यापक महत्व रहा है.यहां लंबे समय से कल्पवास की परंपरा चली आ रही है, इतना महत्वपूर्ण होने के बावजूद सिमरिया का जिस रूप में विकास होना चाहिए वह नहीं हो पाया है. आजादी के बाद कई सरकारें आयीसबों के समक्ष सिमरिया धाम को विकसित करने की बात उठायी गयी लेकिन सिमरिया आज भी उसी स्थिति में है .
हां इतना जरूर है कि प्रतिवर्ष कार्तिक मास के मौके पर लगने वाले राजकीय कल्पवास मेले के दौरान शासन-प्रशासन की चेतना जागृत होती है और इस दौरान सिमरिया के विकास की परिकल्पना हर वर्ष तैयार की जाती है लेकिन कल्पवास मेला समाप्त होते ही वह परियोजना भी शासन-प्रशासन द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है.नतीजा है कि लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना सिमरिया धाम विकास के लिए टकटकी लगाये हुए हैं.
धन्यवाद के पात्र हैं मिथिलांचलवासी:सिमरिया में भारी कुव्यवस्था के बाद भी कार्तिक माह के मौके पर पर्णकुटीर बनाकर समस्तीपुर, दरभंगा,मधुबनी समेत अन्य जिले के लोग पहुंच कर सिमरिया में गंगा सेवन करते हैं.प्रत्येक वर्ष हजारों लोग आते हैं,यहां से जाने के बाद उन्हें लगता है कि इस बार सिमरिया का विकास हुआ होगा.लेकिन पुन: आने पर सिमरिया को उसी रूप में देखकर कल्पवासी द्रवित हो उठते हैं.
वर्ष 2006 में किया गया था राजकीय मेला घोषित :
सिमरिया घाट का अपना अलग महत्व है. अनादि काल से चल रही कल्पवास की परंपरा आज भी कायम है.वर्ष- 2006 में बिहार सरकार ने इसे राजकीय मेले का दर्जा तो प्रदान किया परन्तु सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ. सिमरिया घाट के जमा खाते में घोषित योजनाओं की लंबी फेहरिस्त है.सपनों और उम्मीदों के अलावा जमीन पर अभी तक कुछ खास नहीं उतरा है.
अर्धकुंभ के बाद सिमरिया में जगी विकास की आस :अर्धकुंभ के सफल आयोजन के बाद लोगों को लगा था कि सिमरिया में विकास होगा .लेकिन सिमरिया के विकास की कहानी अधूरी रह गयी. एक बार फिर नमामि गंगे परियोजना ने सिमरिया के विकास की आस जगाई है.लेकिन आने वाले वक्त में ही विकास का हाल पता चल सकेगा.
आवागमन की है बड़ी समस्या :सिमरिया धाम तक पहुंचने के लिए आवागमन की बड़ी समस्या लोगों के सामने है.सबसे ताज्जुब बात यह है कि सिमरिया में एनएच-31और रेलवे लाइन दोनों स्पर्श करती है लेकिन न तो लोग रेल लाइन से सीधे सिमरिया पहुंच पाते हैं और न ही एनएच के द्वारा सिमरिया पहुंचने के लिए समुचित साधन की व्यवस्था है.
सिमरिया तक पहुंच कर मां गंगा का स्पर्श करने वाले जिले ही नहीं राज्य के विभिन्न हिस्सों से आनेवाले लोगों को घोर परेशानियों का सामना करना पड़ता है.सिमरिया के विकास एवं सिमरिया घाट से सिमरिया धाम कैसे बने इसके लिए व्यापक रूप से जन आंदोलन चलाने की जरूरत है.

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