बेगूसराय(नगर) : जब से नव उदारवादी आर्थिक नीतियां लागू की गयी है सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की नौकरियों के सृजित पदों तथा न्यूनतम मजदूरी कानून पर लगातार हमला किया जा रहा है. समान काम के लिए समान वेतन तो इतिहास की कहानी बन गया. उक्त बातें शहर के स्वर्ण जयंती पुस्तकालय के प्रांगण में सीटू से संबद्ध बिहार राज्य आपदा सुरक्षा प्रेरक महासंघ बेगूसराय के स्थापना कन्वेंशन को संबोधित करते हुए सीटू राज्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहीं. श्री सिंह ने कहा कि शिक्षालय को भोजनालय बना दिया गया.
शिक्षा,स्वास्थ्य,बैंक बीमा से लेकर केंद्र और राज्य सरकार के सरकारी दफ्तरों में पहले नियोजन और बाद में एनजीओ के मातहत ठेका प्रथा लागू की जा रही है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून 2005 में लागू हुआ. बिहार आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देश पर बिहार प्राथमिक शिक्षा विभाग ने सर्वव्यापी जन सहयोग शिक्षा सेवा संस्थान बिहार नामक एनजीओ के मार्फत विद्यालयों में आपदा सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण व जागरूकता के लिए प्रेरकों की बहाली की गयी.
2014 से विभिन्न तीन चरणों में काम भी लिया गया. अभी जनवरी 2016 से लगातार प्रेरकों से काम लिया जा रहा है. लेकिन पारिश्रमिक के नाम पर पूर्व में 15 हजार रुपये मासिक भुगतान करने का आश्वासन देने वाले उक्त संस्थान प्रेरकों को एक फूटी कौड़ी भी नहीं दे सका. इन युवा छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ संगठित होकर आंदोलन चलाने की जरूरत है.
सीटू नेता ने आपदा सुरक्षा प्रेरकों से आह्वान करते हुए कहा कि पूरे बेगूसराय जिला और संपूर्ण बिहार में प्रेरकों को संगठित कर 22 जुलाई से आंदोलन की शुरुआत की जायेगी. 22 जुलाई को श्रम अधीक्षक कार्यालय के समक्ष चेतावनी धरना, 9 अगस्त को जिला मुख्यालय में सत्याग्रह आंदोलन चलाते हुए 2 दिसंबर के अखिल भारतीय आम हड़ताल तक आंदोलन का एक चक्र पूरा हो जायेगा.